Motivational Story in Hindi: जुलाहे के आम
Best Motivational Story in Hindi: एक जुलाहा और एक ब्राह्मण की आपस में गहरी मित्रता थी। दोनों वैष्णव थे और आपसी बैठक में केवल हरि कथा हरि गुणगान करते। कारण भी ऐसा था जिससे आपसी प्रीति और श्री हरि के प्रेम में वृद्धि होने लगी। इन दोनों को श्री जगन्नाथ जी में प्रगाढ़ निष्ठा थी।
Best Motivational Story in Hindi: एक जुलाहा और एक ब्राह्मण की आपस में गहरी मित्रता थी। दोनों वैष्णव थे और आपसी बैठक में केवल हरि कथा हरि गुणगान करते। कारण भी ऐसा था जिससे आपसी प्रीति और श्री हरि के प्रेम में वृद्धि होने लगी। इन दोनों को श्री जगन्नाथ जी में प्रगाढ़ निष्ठा थी।
एक बार ब्राह्मण ने जुलाहे से कहा कि भैया मैं तो पुरी धाम में जगन्नाथ जी के दर्शन के लिए जा रहा हूँ। यदि तुम भी चलो तो यात्रा का आनंद बढ़ जाएगा। जुलाहे ने विचार किया कि मैं तो शूद्र हूँ, यदि भगवान् के किसी सेवक से स्पर्श हो गया तो अपराध हो जायेगा। वैसे भी शुद्रों का मंदिर में प्रवेश वर्जित है। जुलाहे ने कहा कि भैया आप जाने से पहले मुझसे मिलकर जाना। ब्राह्मण ने कहा कि वह सातवें दिन जायेगा।
सातवें दिन ब्राह्मण जुलाहे से मिलने आया। तो जुलाहे ने एक टोकरी आम ब्राह्मण को दिए और कहा भैया मैं तो शूद्र हूँ। मेरा मंदिर में प्रवेश उचित नहीं है। आम भी मेरे है। उनका भी मंदिर में प्रवेश उचित नहीं है। अतः तुम सिंह द्वार पर खड़े होकर कहना ठाकुर जी ये जुलाहा के आम हैं। खाना हो तो खाओ नहीं तो फेंक दो। ब्राह्मण ने सिंह द्वार के पास जाकर एक आम उठाया और बोला कि ठाकुर जी ये जुलाहा के आम हैं। खाना हो तो खाओ नहीं तो फेंक दो ; आम गायब हो गया.
दूसरा आम लेकर फिर यही कहा, वह आम भी गायब हो गया। यह क्रिया ब्राह्मण दोहराता गया सारे आम भी गायब होते गए। सैनिक उसकी क्रिया देख कर उसे बंदी बनाकर राजा के पास ले आये। राजा ने उसका अपराध पूछा। सैनिकों ने बताया कि यह जादू से आम गायब करके रास्ता जाम कर रहा था। राजा ने ब्राह्मण से सच्चाई पूछी। तो ब्राह्मण ने मित्र जुलाहे की सारी बात बता दी।
राजा ने आदेश दिया कि मुख्य पुजारी जी को सारी बात बताई जाय तब न्याय होगा। सेवकों ने पुजारी जी को सारी बात बता कर राजदरबार में उपस्थिति देने के लिए प्रार्थना की, पुजारी जी बोले ठाकुरजी के कपाट खोल कर आता हूँ। पुजारी जी ने जैसे ही मंदिर के कपाट खोले तो देखा एक तरफ आम की गुठली और दूसरी तरफ आम के छिलके पड़े थे।
ब्राह्मण ने आकर जुलाहे को सारी बात बताई कि ठाकुर जी ने तेरे सारे आम स्वीकार कर लिए हैं तो जुलाहे की प्रभु प्रेम से आंखें भर आईं।भगवान तो सिर्फ भावना देखते हैं, उन्हें कोई मतलब नहीं कि कौन क्या जाति से है वे केवल प्रेम प्यार में बसते हैं।