HEALTH : बिगड़ती लाइफस्टाइल से युवाओं में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ा

Update:2018-01-27 13:16 IST

डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव

लखनऊ : पहले जहां 60-70 साल के उम्र के बुजुर्गों में ब्रेन स्ट्रोक देखने को मिलता था वहीं अब इसके केस 20-35 उम्र के युवा मरीजों में दिखते हैं। ब्रेन स्ट्रोक के कारण तमाम युवा अस्पताल पहुंच रहे हैं। इसका कारण तेजी से बिगड़ता लाइफ स्टाइल है। पिछले साल एनल्स ऑफ इंडियन एकेडमी ऑफ न्यूरॉलोजी जर्नल के एक रिपोर्ट में युवाओं में ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढऩे की चर्चा भी की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल ब्रेन स्ट्रोक के केसों में लगभग 30 फीसदी तक युवा (40 साल से कम) हैं। इन युवा मरीजों में 80 फीसदी पुरुष हैं। शोध में कहा गया है कि इसका मुख्य कारण तेजी से नशे का बढ़ता चलन, बिगड़ता लाइफस्टाइल, तनाव, गलत खानपान और स्वास्थ्य को लेकर युवाओं में जागरूकता की कमी है।

क्या होता है ब्रेन स्ट्रोक

ब्लड नलियों में सिकुडऩ या क्लॉटिंग (नलियों में वसा का जमना) के कारण मस्तिष्क में ब्लड फ्लो कम हो जाता है। इसे इस्कमिक स्ट्रोक कहते हैं। वहीं मस्तिष्क के अंदर जब ब्लड नलियां फट जाती हैं तो उसे हैमरेजिक स्ट्रोक या ब्रेन हैमरेज भी कहते हैं। शुरू में इस्कमिक स्ट्रोक होता है और तत्काल इलाज न मिलने पर कुछ केसों में हैमरिज स्ट्रोक का भी खतरा हो जाता है। हैमरिज स्ट्रोक ज्यादा खतरनाक होता है।

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ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण

  • किसी व्यक्ति में निम्र लक्षण अचानक होने पर उनमें ब्रेन
  • स्ट्रोक की आशंका होती है। ऐसा होता है तो तुरंत
  • अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। -शरीर के आधे हिस्से म
  • कमजोरी आना। आधा चेहरा, एक हाथ या पैर सुन्न हो जाना या कमजोरी आना। आवाज में तुतलाहट आना या फिर आवाज का बंद हो जाना।चाल में लडख़ड़ाहट आना या फिर हाथ-पैर का संतुलन बिगडऩा।
  • धीरे-धीरे बेहोशी छाना या फिर सिर में बहुत तेज दर्द के साथ उल्टी होना।
  • बिना कारण ही भ्रम की स्थिति हो जाना और आंख से धुंधला दिखना दोहरा दिखना।
  • कुछ खाते समय उसे निगलने में परेशानी होना भी इसका लक्षण हो सकता है।

इसका रखें विशेष ध्यान

अगर ये लक्षण किसी में 24 घंटे से अधिक समय से हैं तो ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है। मरीज को तुरंत ऐसे हॉस्पिटल में भर्ती करना चाहिए जहां तुरंत सीटी स्कैन और ब्लड टेस्ट की व्यवस्था हो। अगर किसी भी व्यक्ति में स्ट्रोक के लक्षण दिखते हैं और स्वत: ही (24 घंटे के अंदर) ठीक भी हो जाते हैं तो इसे ट्रांजियंट इस्कमिक स्ट्रोक (टीआईए) कहते हैं। यह ब्रेन स्ट्रोक की चेतावनी है। इस परिस्थिति में भी तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो हैमरिज स्ट्रोक हो सकता है।

शुरू के तीन घंटे महत्वपूर्ण

ब्रेन स्ट्रोक में शुरू के तीन घंटे बहुत अहम होते हैं। इस दौरान मरीज को सही इलाज मिलने पर रिकवरी जल्दी होती है और खतरा कम होता है। इलाज में देरी होने पर स्थायी अपंगता और जान जाने का भी खतरा रहता है। ब्रेन स्ट्रोक का इलाज मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है।

ब्रेन स्ट्रोक के रिस्क फैक्टर

जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज अनकंट्रोल रहता है।

-ब्रेन स्ट्रोक के लिए मोटापा जहर के सामान होता है। मोटे लोगों को ब्रेन स्ट्रोक का खतरा दुबले लोगों की तुलना में अधिक रहता है।

-ज्यादा तनाव लेने से भी दिमाग के हार्मोन्स में संतुलन बिगडऩे से भी ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है।

-हार्ट अटैक के मरीजों और ज्यदा कोलेस्ट्रॉल वाले मरीजों को भी इसका खतरा रहता है।

-खून की कमी (एनीमिया) और धूम्रपान, शराब व तम्बाकू का सेवन करने वाले भी रिस्क श्रेणी में आते हैं।

-स्ट्रोक की पॉजीटिव फैमिली हिस्ट्री यानी जिनके घर में किसी को ब्रेन स्ट्रोक हो चुका है।

-कुछ हार्मोनल दवाओं का अधिक इस्तेमाल करना और फास्ट फूड अधिक खाने वाले लोगों में इसका अधिक खतरा रहता है।

ब्रेन स्ट्रोक के लिए होती हैं ये जांचें

ब्रेन स्ट्रोक की प्रारंभिक जांचों में कुछ ब्लड टेस्ट और सीटी स्कैन किया जाता है। जरूरत पडऩे पर डॉक्टर एमआरआई, एंजियोग्राफी और 2डी ईको भी कराते हैं।

इसमें सावधानी ही बचाव

  • इससे बचाव के लिए हम हाई रिस्क फैक्टर को पहचानें और उससे बचाव करना चाहिए।
  • अगर हार्ट, बीपी और शुगर के मरीज हैं तो इसे कंट्रोल में रखें व नियमित दवाइयां लें। इसकी दवाइयां न छोड़ें।

    अगर शराब, तंबाकू और धूम्रपान करते हैं तो इनको तत्काल छोड़ दें। ये न केवल ब्रेन स्टोक बल्कि कई और बीमारियों के लिए भी जिम्मेदार हैं। विशेषज्ञों की मानें तो नशा छोडऩे के तुरंत बाद से ही शरीर को लाभ मिलने लगता है। वजन नियंत्रित रखें क्योंकि मोटापा बीमारी तो नहीं है लेकिन इससे कई बीमारियां होती हैं। इनमें ब्रेन स्टोक भी एक है।

  • नियमित एक्सरसाइज और योग करें। शोध में कहा गया है कि सप्ताह में कम से कम 5 दिन एक्सरसाइज करने से कई बीमारियों से बचाव होता है और वजन भी नियंत्रित रहता है। शरीर में पानी की कमी न होने दें। नियमित रूप से कम से 2-3 लीटर पानी रोजाना पीना चाहिए। इससे बीमारियों से बचाव होता है। फास्ट फूड खाने से परहेज करें क्योंकि इसमें कई प्रकार के केमिकल्स का यूज होता है। इनको खाने से हार्मोनल बैलेंस बिगड़ जाता है।

सीएन सेंटर में कराएं भर्ती

इस तरह के मरीजों का तत्काल इलाज इमरजेंसी यानी सीएन (कार्डियो-न्यूरो) सेंटर में होना चाहिए जहां हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों को 24 घंटे इमरजेंसी इलाज मिलता है। अगर किसी मरीज को ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण दिखते हैं तो तत्काल सीएन सेंटर में दिखाएं। यहां 24 घंटे एक न्यूरोलॉजिस्ट उपलब्ध रहता है। ऐसे सेंटर्स की खास बात यह है कि यहां डॉक्टर्स के साथ सभी तरह की जांच सुविधा भी मौजूद होती है जैसे सीटी स्कैन और एमआरआई आदि।

न्यूरोलॉजिस्ट, लखनऊ

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