दिवाली पर न खरीदें दुकानों से मिठाईयां, हो सकती है हालत खराब

भारत में, पूजा के रिवाजों से लेकर गिफ्ट देने तक, दिवाली के हर हिस्से में बहुत सारी मिठाइयां शामिल होती हैं और साथ ही मार्केट प्लेयर्स को आपको मूर्ख बनाने की भी गुंजाइश देती है।

Update:2019-10-25 16:51 IST
दिवाली पर न खरीदें दुकानों से मिठाईयां, हो सकती है हालत खराब

दिवाली केवल रोशनी का त्योहार नहीं है, बल्कि ये मिठाइयों का भी त्योहार है। भारत में, पूजा के रिवाजों से लेकर गिफ्ट देने तक, दिवाली के हर हिस्से में बहुत सारी मिठाइयां शामिल होती हैं और साथ ही मार्केट प्लेयर्स को आपको मूर्ख बनाने की भी गुंजाइश देती है। आप सोच रहे हैं कैसे? मिठाई की दुकानों को डिमांड पूरा करने के लिए मिठाइयों में मिलावट करने के लिए जाना जाता है। दूध से लेकर चीनी तक, सब कुछ मिलावटी होता है और आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक भी। फूड एक्सपर्ट्स और होम सेफ ये सुझाव देते हैं कि हलवा, गुलाब जामुन, बेसन बर्फी और नारियल के लड्डू ये सब घर पर बनाने चाहिए। ये सब बनाने में आसान हैं और कम से कम मिलावटी हैं। चलिए आपको बताते हैं कि दिवाली पर दुकान की मिठाइयों से बचना क्यों सही होगा।

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चीनी-

आप मिठाई बिना चीनी के कैसे सोच सकते हैं? और त्योहारों के दौरान मिठाई की डिमांड को ध्यान में रखते हुए, मार्केट प्लेयर्स एक स्मार्ट ट्रिक चलते हैं, जहां वो पाउडर सुगर के साथ पाउडर चॉक, वॉशिंग सोडा या सफेद रेत मिला देते हैं। जानकारों के मुताबिक, ये सभी सामग्रियां पानी और दूध में आसानी से घुल जाती हैं और आपके गले और पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकती हैं।

दूध-

भारतीय मिठाइयां दूध के बिना अधूरी हैं। और जब बात दिवाली की आती है तो, मिठाइयां सेलिब्रेशन का एक जरुरी हिस्सा है। इस दौरान दूध की मांग बढ़ जाती है और आखिरी में ये मिलावट की ओर अग्रसर हो जाती है। इन दिनों मार्केट प्लेयर्स न केवल दूध में पानी मिलाते हैं बल्कि उसमें अन्य उप-मानक सामग्री (sub-standard ingredients) जैसे- डिटर्जेंट, शैम्पू।

देसी घी-

भारतीय मिठाइयां आमतौर पर रिफाइंड आयल, या देसी घी से बनाई जाती हैं। त्योहार के दौरान, बाजार के खिलाड़ी पशु वसा, कपास के बीज और ताड़ के तेल के अर्क के साथ पूर्व मिलावट करते हैं। इससे तेल की लागत कम लगती है और लाभ ज्यादा बढ़ता है। जबकि पशु वसा के साथ मिलावटी होने के कारण ये मानव शरीर में कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को बढ़ाता है।

पनीर-

हम सब जानते हैं कि पनीर दूध से बनता है और जब दूध में ही पानी, शैम्पू और पेंट जैसी सामग्री मिली हो तो, ये जाहिर तौर पर साफ है कि प्रमुख उत्पाद के समान ही उप-उत्पाद भी उतना ही हानिकारक और खतरनाक होगा। ये दुखद है क्योंकि दिवाली पार्टी बिना मटर पनीर, शाही पनीर और चना अधारित मिठाइयों के बिना अधूरी है।

मावा-

दिवाली की पॉपुलर मिठाइयों में बहुत सारे मावा का इस्तेमाल किया जाता है और अक्सर इसमें स्टार्च के साथ मिलावट की जाती है। ऐसी मिठाइयों को खाने से बदहजमी होती है। अगर रिपोर्ट्स की मानें तो इससे फूड पॉइजनिंग भी हो सकती है।

सिल्वर छाल-

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के अनुसार, खाद्य सामग्री के रुप में यूज की जाने वाली चांदी 99.9 पर्सेंट शुद्ध होनी चाहिए। लेकिन इन दिनों दुकानदार मिठाई को लागत-प्रभावी बनाने के लिए, इसमें एल्यूमीनियम मिलाते हैं। एक्सपर्ट्स मिलावटी छाल लगे हुए काजू कतली और चम चम न खाने की चेतावनी दी है, क्योंकि इससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है।

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