Rajyavardhan Singh Rathore Biography: ओलंपिक से लेकर राजनीति के मैदान तक राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का कैसा रहा सफर, आइए जानते हैं
Rajyavardhan Singh Rathore Biography in Hindi: राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का जीवन संघर्ष, समर्पण और सफलता की अद्वितीय कहानी है। उन्होंने सेना में रहते हुए कारगिल युद्ध में अपनी बहादुरी और नेतृत्व का प्रदर्शन किया। क्रिकेट और ओलंपिक में सफलता पाकर दुनियाभर में पहचान बनाई। आइए जानें इनके बारे में।;
Rajyavardhan Singh Rathore Birthday: राज्यवर्धन सिंह राठौड़, जिन्हें भारत के पहले ओलंपिक व्यक्तिगत रजत पदक विजेता और एक उत्कृष्ट राजनेता के रूप में जाना जाता है, एक ऐसा नाम है जो खेल और राजनीति दोनों में प्रेरणा का प्रतीक बन गया है। उनका जीवन संघर्ष, समर्पण और सफलता की अद्वितीय कहानी है।
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ (Rajyavardhan Singh Rathore) का जन्म 29 जनवरी, 1970 को राजस्थान के जयपुर में हुआ था। उनका परिवार राजपूत समुदाय से संबंधित है, जो परंपरागत रूप से साहस और वीरता के लिए जाना जाता है। उनके पिता कर्नल लक्ष्मण सिंह राठौड़ और माता मालू राठौड़ सेना में सेवा कर चुके थे, जिससे राज्यवर्धन को बचपन से ही अनुशासन और कर्तव्यपरायणता का पाठ मिला। उनकी प्रारंभिक शिक्षा राष्ट्रीय सैनिक स्कूल, अजमेर से हुई। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में दाखिला लिया।
सैन्य करियर (Rajyavardhan Singh Rathore Army Career)
राज्यवर्धन भारतीय सेना में एक अधिकारी के रूप में शामिल हुए और ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट का हिस्सा बने। उन्होंने कारगिल युद्ध (Kargil War) के दौरान अपनी बहादुरी और नेतृत्व का प्रदर्शन किया। उनकी सैन्य सेवा ने उन्हें आत्मअनुशासन, धैर्य और साहस जैसे गुणों से भरपूर किया, जो आगे चलकर उनके खेल और राजनीतिक करियर में सहायक बने। उन्हें सेना में अपनी उत्कृष्ट सेवा के लिए कई सम्मान प्रप्त हुए, जिनमें सेना मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल शामिल हैं।
एनडीए के बाद, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ इंडियन मिलिट्री एकेडमी (Indian Military Academy) में शामिल हुए। उन्होंने करगिल युद्ध (Kargil Yudh) के दौरान जम्मू और कश्मीर में अपनी तैनाती के दौरान साहस और नेतृत्व का परिचय दिया। उनकी सैन्य सेवा ने उनके जीवन में अनुशासन और समर्पण के मूल्य और मजबूत किए।
खेलों में रुचि और क्रिकेट करियर (Rajyavardhan Singh Rathore Cricket Career)
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को कई खेलों में गहरी रुचि थी, खासकर क्रिकेट में। उन्होंने मध्य प्रदेश रणजी ट्रॉफी टीम में भी अपनी जगह बनाई थी। हालांकि, प्रतिष्ठित नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) में चयन होने और अपनी मां से बात करने के बाद, उन्होंने क्रिकेट छोड़ने का कठिन निर्णय लिया।
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का खेल के प्रति रुझान उनके सेना के दिनों में शुरू हुआ। शूटिंग में उनकी प्रतिभा को पहचान मिली और उन्होंने इसे अपने करियर का हिस्सा बनाने का निर्णय लिया। 1998 में, उन्होंने पेशेवर तौर पर शूटिंग शुरू की और जल्द ही अपने प्रदर्शन से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया।
एनडीए और भारतीय सेना के दौरान भी राठौड़ ने खेलों में शानदार प्रदर्शन किया। उन्हें एनडीए के सर्वोच्च खेल पुरस्कार 'ब्लेज़र' से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, इंडियन आर्मी एकेडमी में उन्हें सिख रेजिमेंट गोल्ड मेडल से नवाजा गया, जो सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी को दिया जाता है।
ओलंपिक और अंतरराष्ट्रीय सफलता (Rajyavardhan Singh Rathore Olympic Success)
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का नाम भारतीय खेल इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा गया, जब उन्होंने 2004 के एथेंस ओलंपिक में डबल ट्रैप शूटिंग (Double Tap Shooting) में रजत पदक जीता। यह भारत का उस समय तक का सबसे बड़ा व्यक्तिगत ओलंपिक पदक (India's First Olympic Individual Silver Medalist) था। उनकी इस ऐतिहासिक जीत ने न केवल भारतीय खेलों को नई पहचान दी, बल्कि देश में शूटिंग को एक लोकप्रिय खेल के रूप में स्थापित करने में मदद की।राज्यवर्धन सिंह राठौड़ आज़ादी के बाद ओलंपिक में व्यक्तिगत रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने। उन्होंने एथेंस 2004 में पुरुषों की डबल ट्रैप शूटिंग में पोडियम तक का सफर तय कर भारतीय खेल इतिहास में नया अध्याय जोड़ा।
इसके अलावा, उन्होंने एशियाई खेल, राष्ट्रमंडल खेल और विश्व चैंपियनशिप में भी कई पदक जीते। उनकी उपलब्धियों में 2002 और 2006 के राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक, 2003 विश्व शूटिंग चैंपियनशिप में रजत पदक, और एशियाई खेलों में कांस्य पदक शामिल हैं। उनकी सफलता ने युवा पीढ़ी को खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।
खेल से राजनीति की ओर
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने 2013 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होकर राजनीति में कदम रखा। उनकी राजनीतिक यात्रा का उद्देश्य था देश की सेवा और युवाओं को प्रोत्साहित करना। 2014 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने राजस्थान के जयपुर ग्रामीण सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
राजनीति में योगदान और महत्वपूर्ण भूमिकाएँ
लोकसभा सांसद के रूप में, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया। 2014 में उन्हें केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री नियुक्त किया गया। उनकी कार्यक्षमता और दूरदर्शिता को देखते हुए, 2017 में उन्हें युवा मामले और खेल मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया। इस भूमिका में उन्होंने कई उल्लेखनीय पहल कीं।
खेलो इंडिया योजना (Khelo India Scheme)
उनके कार्यकाल में शुरू की गई ‘खेलो इंडिया’ योजना ने देश में खेलों को नई दिशा दी। इस योजना का उद्देश्य था युवा प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देना और खेल अवसंरचना को मजबूत करना। उनके नेतृत्व में कई नए खेल मैदान और प्रशिक्षण केंद्र बनाए गए।
डिजिटल मीडिया और सूचना
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में रहते हुए उन्होंने डिजिटल मीडिया के माध्यम से सरकार की योजनाओं को आम जनता तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने पारदर्शिता बढ़ाने और सरकारी योजनाओं की जानकारी को सरल और सुलभ बनाने के लिए कई पहल कीं।
लोकसभा में सक्रियता
लोकसभा में एक सांसद के रूप में, उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए कई परियोजनाएँ शुरू कीं। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार सृजन जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया। ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क, बिजली, और जल जैसी बुनियादी सुविधाओं में सुधार के लिए उन्होंने कई कदम उठाए।
उनके पास हथियारों का एक शानदार कलेक्शन है, जिसमें प्वाइंट 22 और प्वाइंट 30 बोर की राइफल और प्वाइंट 357 की पिस्टल शामिल हैं। उनकी रुचि और विशेषज्ञता ने उन्हें न केवल खेल में बल्कि व्यक्तिगत रूप से भी एक सटीक निशानेबाज बनाया।साल 2014 के चुनावों के दौरान राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने बताया था कि उनके पास 11 बंदूकें हैं। इनमें 0.12 बोर गन शामिल थी, जिसकी कीमत 1.48 लाख रुपये थी। इसके साथ ही उनके कलेक्शन में दो लाख रुपये की LVT-322 पिस्टल भी थी।
सियासत में कदम रखने से पहले, राज्यवर्धन ने 2008 में एक ज्वैलरी ब्रांड के प्रमोशन के लिए रैंप वॉक किया था। यह उनके व्यक्तित्व का एक और रोचक पहलू दिखाता है, जिसमें वे नए अनुभवों को अपनाने में संकोच नहीं करते।
आज, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं और अपने क्षेत्र के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी सक्रिय हैं। हाल ही में, उन्होंने कई युवा केंद्रित अभियानों का नेतृत्व किया, जिनका उद्देश्य युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उनके कौशल का विकास करना है। वर्तमान में वे सांसद के रूप में अपने निर्वाचन क्षेत्र जयपुर ग्रामीण की सेवा कर रहे हैं।
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का विवाह गायत्री राठौड़ से हुआ है और उनके दो बच्चे हैं। वे अपने परिवार के साथ समय बिताना पसंद करते हैं और अपने बच्चों को भी खेल और शिक्षा के प्रति प्रेरित करते हैं। उनकी पत्नी गायत्री राठौड़ एक सशक्त महिला हैं जो सामाजिक कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाती हैं।
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का जीवन संघर्ष, सफलता और सेवा का प्रतीक है। उन्होंने अपनी उपलब्धियों से देश को गौरवान्वित किया और लाखों युवाओं को प्रेरित किया। उनके द्वारा खेल, राजनीति और समाज सेवा में किए गए योगदान को सदैव याद किया जाएगा। वे वास्तव में एक ऐसे नेता और खिलाड़ी हैं जिनसे आने वाली पीढ़ियाँ प्रेरणा लेती रहेंगी।