Identify Fresh Litchi: क्या मार्केट में लाल रंग में रंगी हुई आ रही है लीची, कैसे लगाएं इसका पता
Identify Fresh Litchi: मिलावट के समय में क्या चीज़ कितनी शुद्ध है ये जानना बेहद मुश्किल है, लेकिन यहाँ हम आपके लिए कुछ टिप्स लेकर आये हैं जिससे आप इस मिलावट का पता आसानी से लगा सकते हैं।
Tips to Identify Fresh and Chemical Free Litchi: लीची की उत्पत्ति भले ही दक्षिण पूर्व एशिया से हुई हो लेकिन फिलहाल ये पूरी दुनिया विशेषकर एशिया, अफ्रीका और अमेरिका में सबसे अधिक पसंद किये जाने वाला फल बन चुका है। लीची एशिया और उसके आसपास के कई क्षेत्रों, विशेषकर भारत और चीन के कुछ हिस्सों में स्थानीय महत्व रखती है। लीची इस समय भारत के कई बाज़ारों में खूब बिक रही है कुछ समय के लिए ही आने वाला ये रसीला फल लोगों को काफी भाता है लेकिन क्या बाज़ार से आप जो फल घर ला रहे हैं वो वाकई शुद्ध है और खाने लायक है भी या नहीं आइये जान लेते हैं।
मिलावटी लीची का लगाएं पता (Tips to Identify Fresh and Chemical Free Litchi)
मिलावट भरी दुनिया में क्या खाएं और क्या नहीं ये सबसे बड़ा सवाल होता है। जहाँ डॉक्टर्स और विशेषज्ञ सीजन के फल और सब्ज़ियां खाने की सलाह देते हैं वहीँ मार्केट में मिलने वाली खाद्य सामग्री सेहत के लिए कितनी शुद्ध है ये तो कहना काफी मुश्किल है। लेकिन अगर आप कुछ चीज़ों को परख सकते हैं तो आप ऐसा ज़रूर करना चाहेंगे। तो आइये जानते हैं कि मार्केट में मिल रही लीची सही है या इसे लाल रंग में रंग कर बेचा जा रहा इसका पता कैसे लगाएं। साथ ही ये ताज़ा है या नहीं इसका भी आप पता लगा सकते हैं।
गर्मियों के मौसम में बाजार लीची के रसीले फल से काफी सजा हुआ है। लीची में विटामिन सी, कॉपर, पोटेशियम जैसे एंटीऑक्सीडेंट शामिल होते हैं। जिससे आपको कई तरह के फायदे होते हैं ये न सिर्फ स्वाद में उम्दा होती है बल्कि इसके सेवन से आपको हार्ट, डाइजेशन, वायरल इंफेक्शन और आँखों की कई तरह की समस्या नहीं होती। लेकिन बाज़ार में मिलने वाली लीची खरीदते समय आप किन बातों का ख्याल रखें आइये इसपर एक नज़र डालते हैं।
ताजा और केमिकल फ्री लीची खरीदना आज के मिलावटी समय में काफी मुश्किल हो सकता है। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप कैसे ये पता लगा सकते हैं कि आप जो लीची खरीद रहे हैं वो ताज़ा और केमिकल फ्री है साथ ही इसपर किसी तरह का रंग नहीं किया गया है।
रंग से करें इसकी शुद्धता की पहचान
जब आप लीची लेने जाते हैं तो आप लाल या गुलाबी रंग की लीची लेना ही प्रीफेर करते होंगें क्योंकि हरे रंग की लीची खट्टी और कच्ची हो सकती है। लेकिन इस समय लीची को लाल या गुलाबी रंग में रंग कर बेचा जा रहा है। इसकी पहचान आप इसे लेते समय भी कर सकते हैं आप एक लीची को किसी पानी में थोड़ी देर डालकर देख सकते हैं की ये रंग छोड़ रही है या नहीं। लेकिन ध्यान रहे इसके लिए आपको थोड़ी देर इसे पानी में रहने देना होगा तभी ये अपना रंग छोड़ेगी।
लीची ताज़ी है इसकी ऐसे करें परख
जब आप लीची खरीदने जाएं तो इसे हल्का सा दबाकर देखें अगर ऐसा करने से ये आसानी से दब रही है या पिलपिली है तो इसे बिलकुल न खरीदें। ये लीची ख़राब या अंदर से सड़ी हुई भी हो सकती है। साथ ही ये आपके मुँह का स्वाद भी खराब कर देगी।
लीची का आकर बताता है इसकी मिठास
जब आप लीची लेने जाएं तो याद रखें कि ये थोड़ी बड़ी हो। ये भी कहा जाता है कि बड़े आकार की लीची पूरी तरह पकी हुई होती है। साथ ही ये खूब रसीली और स्वादिष्ट भी होती है।
भारत में लीची की कितनी किस्में मिलती हैं (Famous Litchi Varieties in India)
आइये अब आपको बताते हैं कि लीची की कितनी किस्मे भारत में पाईं जातीं हैं। और आखिर क्या हैं इनकी खासियत।
कलकतिया लीची
भारतीय उपमहाद्वीप में पायी जाने वाली लीची कलकतिया लीची के नाम से मशहूर है, इसकी खेती विशेष रूप से पश्चिम बंगाल राज्य में की जाती है। इस लीची को प्रदेश की राजधानी कोलकाता के पास के जिले में बगानों में पाया जाता है। आपको बता दें कि कलकतिया लीची को इंडियन लीची या बंगली लीची भी कहा जाता है।
देहरादून किस्म लीची
जैसा की नाम से हो पता चल रहा है कि ये लीची उत्तराखंड राज्य के देहरादून जिले में उगाई जाती है। यही वजह है इसे "देहरादून लीची" कहा जाता है। इसकी खासियत की बात करें तो इसकी लम्बाई लगभग 2.5 से 3 सेमी तक होती है साथ की ये सफ़ेद रंग की होती है। ये स्वास्थ की दृष्टि से काफी पौष्टिक भी होती है।
लीची की अर्ली लार्ज रेड किस्म
ये भी लीची की एक शानदार वैराइटी है जिसकी खेती जून महीने में की जाती है। इस लीची के पकने के बाद ये बाकि सभी लीचियों से काफी अलग दिखती है ये बीज के आकर की होती है और इसका स्वाद भी काफी अलग होता है।
रोज सेंटेड किस्म लीची
ये भी लीची की ऐसी वैराइटी है जिसके फूल जून के महीने के दूसरे सप्ताह तक पकते हैं। इस लीची का छिलका पतला होता है और ये दिखने में काफी लाल रंग की होती है। इसका बीज काफी छोटा होता है।
लेट बेदाना
इस लीची का अकार अंडाकार होता है। इस लीची की सुगंध गुलाब की तरह होती है। वहीँ लोग इसे काफी पसंद करते हैं यही वजह है कि इसकी डिमांड भी खूब होती है। ये वैराइटी बिहार के समस्तीपुर जिले में मिलती है साथ ही ये काफी मीठी होती है।
किस देश में सबसे पहले उगाई गयी लीची
लीची एक रसदार फल है जिसे हर कोई पसंद करता है इतना ही नहीं इसके जूस भी मार्केट में काफी पसंद किये जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि इस फल की उत्पत्ति मुख्य रूप से किस देश में हुई थी। आइये इसके बारे में भी आपको बता देते हैं।
दरअसल लीची की उत्पत्ति दक्षिणी चीन, विशेष रूप से क्वांगतुंग और फुकियन प्रांतों से हुई है। जहाँ एक ओर दुनिया के अन्य भागों में लीची का प्रसार अपेक्षाकृत धीमा था, वहीँ चीन के इन प्रांतों में संभवतः इसकी मिट्टी, जलवायु संबंधी आवश्यकताओं और इसके बीज के कम जीवन काल के कारण काफी ज़्यादा और तेज़ी से हुआ। इसके बाद 18वीं शताब्दी के दौरान लीची म्यांमार और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के माध्यम से भारत पहुंची। तभी से लीची भारत में खूब पसंद की जाती है और कई देशों में भी इसकी खूब मांग है।