मस्जिद के पास मिले 11 मंदिर, पुरातत्व विभाग के खुलासे से मचा गया हड़कंप

कारमाइकल लाइब्रेरी के गिराने के बाद मिले दो मंदिर सुर्खियों में बना हुआ है इनमें से एक मंदिरदंतपाणि भैरव का मंदिर है। और वही दूसरा शंकराचार्य की समाधि बताई जा रही है।लोगों का कहना है कि यह मंदिर विश्वनाथ मंदिर के निर्माण से से भी पुराना है।

Update:2020-12-30 17:22 IST
मस्जिद के पास मिले 11 मंदिर, पुरातत्व विभाग के खुलासे से मचा गया हड़कंप

लखनऊ: विश्वनाथ मंदिर का काम जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है मंदिर और शिवलिंग मिलने का सिलसिला भी बढ़ता ही जा रहा है ज्ञानवापी मस्जिद के पास कर माइकल लाइब्रेरी और उसके पास के मकानों को तोड़ने पर तकरीबन 11 मंदिर मिले हैं । इन 11 मंदिरों में से तीन ऐसे मंदिर मिले हैं जिसमें मूर्ति ही नहीं है यानी कि मंदिर तो मिला है पर भगवान की कोई मूर्ति नहीं मिली है। विशेषज्ञों की मानें तो मंदिर से भगवान की मूर्ति को शायद खंडित कर दिया गया है।

30 मंदिरों को भव्य निर्माण होगा

यह बात स्पष्ट नहीं हो पाई है कि यह मंदिर कितने साल पुराना है। मंदिर की भव्यता को देखकर ऐसा लग रहा है कि यह मंदिर 11 वीं या 12 वीं शताब्दी के होंगे विश्वनाथ कॉरिडोर परिसर से अब तक कुल 66 मंदिर मिल चुके हैं। इन सभी मंदिरों को संरक्षित करने के बारे में कहा जा रहा है पुस्तक इनमें से 30 मंदिरों को एक अलौकिक रूप दिया जाएगा। साथ में यह भी कहा जा रहा है कि जिन मंदिरों में मूर्ति नहीं मिली है उसमें मूर्ति की स्थापना की जाएगी।

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पुरातत्व विभाग बतायेगे मंदिर कितना पुराना

कारमाइकल लाइब्रेरी के गिराने के बाद मिले दो मंदिर सुर्खियों में बना हुआ है इनमें से एक मंदिर दंतपाणि भैरव का मंदिर है। और वही दूसरा शंकराचार्य की समाधि बताई जा रही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि दंतपाणि भैरव मंदिर बहुत पुराना है यह कितने शताब्दी पुराना है अभी का अंदाजा नहीं लग रहा है। हालांकि इसे देखकर लोगों का कहना है कि यह मंदिर विश्वनाथ मंदिर के निर्माण से से भी पुराना है। वही शंकराचार्य की समाधि को लेकर यह भी चर्चा हो रही है कि इसका इतिहास कई वर्ष पुराना निकलेगा। मंदिर के प्रशासन का कहना है कि इन दोनों मंदिर को संरक्षित किया जाएगा । यह दोनों मंदिर किस समय का है यह पुरातत्व विभाग ही बता पाएगा।

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दो कंपनी मिल कर कर रही हैं निर्माण

साल 2018 में नारिया स्थित रोहित नगर कालोनी के पास विश्वनाथ कॉरिडोर का मलबा फेंका गया था। इस मलबे में शिवलिंग की संख्या काफी पाई गई। जिसे देखकर लोगों ने बवाल कर दिया स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और कांग्रेस ने मंदिर प्रशासन पर आस्था के साथ खिलवाड़ करने का लगाया था काफी मशक्कत के बाद जिला प्रशासन ने सख्ती बरतते हुए इस स्थिति को संभाला। विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए अधिकतर मकानों को तोड़ा जा रहा है और कार्य को आगे बढ़ाने के लिए खुदाई का काम भी चल रहा है। कॉरिडोर का काम अहमदाबाद की कंपनी पीएसपी कंस्ट्रक्शन और दूसरी लोक निर्माण विभाग कर रही है। सबसे पहले मंदिर परिसर और दूसरा गंगा घाट क्षेत्र को विकसित करने का काम किया जाएगा।

बचने के लिए छुपाया था

फिर नेपाली ललिता घाट जंक्शन घाट और मणिकर्णिका घाट के आगे सिंधिया घाट तक हिस्सा विकसित होगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि औरंगजेब के समय हिंदू तीर्थ स्थलों को बड़ी संख्या में तोड़ा गया था यहां तक कि कई मंदिरों की मूर्तियों तक को तोड़कर वहां से फेंक दिया गया था। काशी के लोगों ने मंदिर शिवलिंग और भगवान की मूर्तियों को बचाने के लिए अपने अपने घरों में छुपा दिया था। और जब यह घर टूट रहे हैं तो यही पुरातन मंदिर और शिवलिंग सामने आ रहे हैं।

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