रामकृष्ण वाजपेयी
breastfeeding मां अपने स्तनों को जानती है। जी हां यह सही है क्योंकि कुदरत ने अबोध शिशु के आहार के लिए उसे यह तोहफा दिया है। और ईश्वर की यह व्यवस्था उस महिला के होने वाले शिशु के जन्म से बहुत पहले ही ईश्वर ने कर दी। फिर मां अपने बच्चे को अपनी छाती का दूध कब पिलाए। पुरुष प्रधान सोच यह तय करेगी या वह मां जिसे अपने शिशु की जरूरतों का सबसे पहले पता चलता है।
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breastfeeding पर इन दिनों यह सवाल चर्चा में है। सार्वजनिक स्थान पर बच्चे को स्तनपान कराती महिला का स्तन यदि सार्वजनिक हो जाए तो क्या यह चर्चा का विषय है या फिर उस पर यह आरोप लगा दिया जाए कि वह दूसरे पुरुषों को रिझाने के लिए अपने शिशु को दूध पिलाने के बहाने अपने स्तन का प्रदर्शन कर रही है। अफसोस की बात यह है कि हमारे समाज में पुरुष तो पुरुष कुछ स्त्रियां भी इसे गलत मानती हैं।
breastfeeding से जुड़ी काफी साल पहले की बात है मेरा बड़ा पुत्र उस समय साल छह महीने का रहा होगा हम लोग एक फंक्शन में गए थे। वहां मेरा पुत्र रोने लगा तो पत्नी ने उसे स्तनपान कराना शुरू कर दिया। मुझे तो इसमें कुछ गलत नहीं लगा लेकिन मेरी एक बड़ी बहन को नागवार गुजरा उन्होंने बाद में इसे अश्लीलता से जोड़ कर मुझसे शिकायत की कि उस समय तमाम बड़े बुजुर्ग आदमी वहां बैठे थे यह बेशर्मी थी। मुझे उनकी सोच पर तरस आया।
breastfeeding को लेकर हमारे समाज में यह मान्यता भी रही है कि मां बच्चे को स्तनपान करा रही हो तो किसी के मन में अश्लीलता नहीं आ सकती। इसे प्राकृतिक और सामान्य माना जाता रहा है लेकिन विकास के इस चरण में एक बार फिर पुरुष सत्तात्मक सोच हावी होती दिख रही है जिसमें ब्रिटेन जैसे विकसित देश में अपनी शिशु को स्तनपान करा रही महिला को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है। विमान में स्तनपान करा रही इस महिला पर एक महिला ने ही आरोप लगाया कि वह अपने स्तन का प्रदर्शन करके उसके पति को रिझाने का प्रयास कर रही है।
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breastfeeding से जुड़ी इस घटना में रेका न्यारी नाम की यह महिला न्यू यार्क से अपने 34 माह की बेटी के साथ लौट रही थी जब उस पर यह आरोप लगा। जबकि वह जन्म से ही अपनी बेटी को स्तनपान करा रही है। रेका इस बात पर विश्वास नहीं करती वह अपनी बच्ची को स्तनपान इसलिए करा रही थी क्योंकि यह उसके स्वास्थ्य के लिए लाभदायक था।
breastfeeding कार्यकर्ता के रूप में रेवा ने अब अपनी बच्ची को स्तनपान कराते हुए फोटोग्राफ जारी किये हैं। इस बात को साबित करने के लिए कि बच्ची को दूध पिलाने एक सामान्य और प्राकृतिक क्रिया है। रेका ने कहा कि यह परेशान करने वाला है कि स्तनपान कराने वाली महिलाओं के बारे में निर्णय लेने वाले लोग कैसे हो सकते हैं और स्तन और निप्पल का यौनिकता से संबंध कैसे हो गया।
breastfeeding संभवतः सबसे नागवार उस महिला को लगा जो न्यू यार्क से अपने प्रेमी के साथ विमान में बैठी थी। वस्तुतः स्तनपान सामान्य प्रक्रिया है और महिलाओं को स्तन मिले ही उनके बच्चों को स्तनपान कराने के लिए हैं। वस्तुतः मां का दूध नवजात के लिए किसी भी कृत्रिम आहार से बेहतर होता है।
breastfeeding प्रकृति की इस अनूठी और पवित्र प्रक्रिया पर सवाल खड़े करना अपने आप में जाहिलियत है। कुछ महिलाएं बच्चों को सार्वजनिक रूप से स्तनपान कराने में शर्म महसूस करती हैं। वहीं कुछ महिलाएं बच्चें को स्तनपान कराने के दौरान पुरुषों की घूरती निगाहों से असहज महसूस करती हैं। जबकि बच्चे के लिए हर समय या परिस्थिति में यह जरूरी है।
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भारत में भी लौंडा डांस कराने, महिलाओं को अश्लील ढंग से नचाने या अपनी सेक्स कुंठा व्यक्त करने में हमें शर्म महसूस नहीं होती लेकिन एक मां बच्चे को स्तनपान कराए तो अश्लीलता नजर आती है। उस महिला को गंवार कहा जाता है। उसे सामाजिक सभ्यता की समझ का पाठ पढ़ाने की कोशिश की जाती है वहीं बच्चा रोता रहे और मां दूध न पिलाए इसे हम स्वीकार कर लेते हैं।
breastfeeding से जुड़े साक्ष्य बताते हैं कि जन्म के पहले घंटे से शिशु को स्तनपान करा कर शिशु मृत्यु दर में 20 फीसद की कमी लाई जा सकती है। माताओं द्वारा स्तनपान न कराने से लाखों बच्चों की हर साल मौत हो जाती है लाखों बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। जरूरत है जिस तरह यौन शोषण के खिलाफ मी टू कैम्पेन चल रहा है इसी तरह स्तनपान के समर्थन में महिलाओं के आगे आने की जरूरत है ताकि सामाजिक बंधनों के चलते किसी अबोध शिशु के अधिकारों में कटौती न हो।