देखिए रावण का शव, तो क्या विभीषण ने नहीं किया था अंतिम संस्कार?

ममी बनाने की परंपरा प्राचीनकाल में काफी प्रचलन में थी। मिस्र यह किया जाता था। वहां राजाओं के शवों के साथ ये परंपरा की जाती थी। शैव संप्रदाय में उस समय समाधि देने का रिवाज था। माना जाता है कि रावण भी शैवपंथी था, जिसकी वजह से उसे ताबूत में रखा गया।

Update:2023-07-18 20:48 IST

नई दिल्ली: 8 अक्टूबर (मंगलवार) को पूरे देश में धूमधाम से दशहरा मनाया जाएगा। देश में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है, जिसको दशानन रावण के बारे में मालूम नहीं। हर कोई जानता है कि रावण बुराई का एक ऐसा प्रतीक था, जिसे स्वयं भगवान को मारने के लिए अवतार लेना पड़ा था। रावण की मौत के बाद उसका क्या हुआ इस बारे में रामायण में ज्यादा कुछ जानकारी नहीं है।

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मगर कई ऐसे स्थान श्रीलंका में माजूद हैं, जोकि रामायण काल के इतिहास की गवाही देते हैं। आज हम आपको इन जगहों के बारे में बताएंगे। हम आज आपको रावण से जुड़ी कुछ ऐसी रोचक जानकारी देंगे, जिनके बारे में आप ज्यादा नहीं जानते होंगे। रामायण काल के इतिहास की गवाही श्रीलंका में कई स्थान देते हैं।

सामने आई रावण की गुफा

बता दें, श्रीलंका में 50 ऐसे स्थल खोजने का एक रिसर्च में दावा किया गया है, जिनका सीधा संबंध रामायण से है। इस रिसर्च के जरिये ये बात सामने आई है कि रैगला के जंगलों के बीच में एक विशाल पहाड़ी है। विशाल पहाड़ी पर एक गुफा है, जिसको रावण की गुफा कहा जाता है। ये वो गुफा है, जहां रावण ने तपस्या करके शक्तियां प्राप्त की थीं। बताया जाता है कि आज भी राक्षस राज रावण का शव इस गुफा में सुरक्षित है।

 

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जहां रावण की सोने की लंका थी, वह जगह वर्तमान श्रीलंका में ढूंढ ली गई है। ये खोज श्रीलंका के इंटरनेशनल रामायण रिसर्च सेंटर और पर्यटन मंत्रालय ने मिलकर की है। लंकाधिपति रावण का शव विभीषण को सौंप दिया गया था। इसके बाद उसका अंतिम संस्कार किया गया या नहीं, इसकी कोई जानकारी नहीं है और न ही कोई इसके बारे में जनता भी नहीं होगा।

17 फुट लंबे ताबूत में रावण का शव

एक दावे के अनुसार, रावण का शव एक 17 फुट लंबे ताबूत में रखा गया है। यही नहीं, जिस ताबूत में रावण का शव रखा गया है, उसके हर तरह एक खास तरह का लेप भी गया है। इस लेप की वजह से ताबूत आजतक सही-सलामत है।

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मालूम हो, ममी बनाने की परंपरा प्राचीनकाल में काफी प्रचलन में थी। मिस्र यह किया जाता था। वहां राजाओं के शवों के साथ ये परंपरा की जाती थी। शैव संप्रदाय में उस समय समाधि देने का रिवाज था। माना जाता है कि रावण भी शैवपंथी था, जिसकी वजह से उसे ताबूत में रखा गया।

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