होगी कयामत! इन 13 खोपड़ियों से जुड़ा है रहस्य, साथ मिलीं तो खत्म सब कुछ

खोपड़ियां सफेद स्फटिक यानि क्वार्ट्ज से बनी हुई हैं, इसे रॉक क्रिस्टल भी कहते हैं। ये प्री कोलंबियन मेसो अमेरिकन की देन मानी जाती हैं, जो 1300 से 1521 के बीच की हो सकती हैं। यह भी एक रहस्य है कि बनाने के बाद इन्हें किस वजह से पूरी दुनिया में बिखेर दिया गया?

Update:2023-08-24 18:26 IST

लखनऊ: नर कंकाल की जब भी बात होती है तो लोगों के दिल और दिमाग में एक डरावना दृश्य उभर आता है। उसके बाद अनसुलझे रहस्यों की बातें होने लगती है। कुछ ऐसा ही अनसुलझा रहस्य क्रिस्टल स्कल का है जिनका रहस्य दुनिया का सबसे बड़ा रहस्य है। और उन रहस्यों में ये काफी ऊपर आता है।

आपको बता दें कि दुनियाभर में कुल 13 क्रिस्टल स्कल हैं। यह भी माना जाता है कि स्फटिक (quartz) से बनी ये सारी खोपड़ियों का एक दूसरे से गहरा संबंध है। अगर ये एक जगह मिल जाएं तो निश्चित ही कुछ बेहद खतरनाक या रहस्यमयी होना तय है।

ये स्फटिक की खोपड़ियां इंसानी खोपड़ी की नकल हैं

ये खोपड़ियां सफेद स्फटिक यानि क्वार्ट्ज से बनी हुई हैं, इसे रॉक क्रिस्टल भी कहते हैं। ये प्री कोलंबियन मेसो अमेरिकन की देन मानी जाती हैं, जो 1300 से 1521 के बीच की हो सकती हैं। यह भी एक रहस्य है कि बनाने के बाद इन्हें किस वजह से पूरी दुनिया में बिखेर दिया गया?

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इन खोपड़ियों को लेकर एक बड़ा खेमा ये भी मानता है कि ये एलियन्स की देन हैं। इसकी वजह ये भी है कि जिस तरह से ये खोपड़ियां बनी हुई हैं, वैसा इतने पुराने वक्त पर किसी भी तकनीक से बनाया जा सकना मुमकिन नहीं था।

मिलने और बोलने के बाद सबकुछ बदल सकता है

इनके जबड़े movable यानी हिल-डुल सकने लायक बताए जाते हैं और माना जाता है कि इनके पास दुनिया और इंसानों को लेकर रहस्यमयी बातें हैं जो इनके मिलने और बोलने के बाद सबकुछ बदल सकती हैं। क्रिस्टल से बने ये कपाल अपनी बनावट की वजह से ज्यादा रहस्यमयी लगते हैं।

सदियों से इसके बारे में जानने की कोशिश हो रही है लेकिन कोई नहीं जानता कि ये आखिर कैसे बने हैं, किसने बनाया होगा, कहां से आए हैं और इनका इस्तेमाल क्या है। मंदिरों के खंडहरों में मिलने के बाद से इसपर लगातार कहानियां बन रही हैं।

सबसे पहले लोकप्रिय ब्रिटिश लेखक फ्रेडरिक मिशेल-हेजस की गोद ली हुई बेटी अन्ना मिशेल-हेजस ने एक रहस्यमयी खोपड़ी के बारे में बात की थी। अन्ना का दावा था कि उन्हें सेंट्रल अमेरिका के Belize शहर में साल 1920 में प्राचीन पूजा की वेदी के पास एक स्कल मिला, जो कि सबसे पुराना माना जा सकता है।

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पारदर्शी क्वार्ट्ज से बना ये स्कल हूबहू इंसानी सिर से मिलता-जुलता है

इसका वजन लगभग 12 पौंड है और ये स्कल 8 इंच लंबा और 5 इंच चौड़ा है। पारदर्शी क्वार्ट्ज से बना ये स्कल हूबहू इंसानी सिर से मिलता-जुलता है, जिसके गालों की हड्डियां, नाक की जगह सॉकेट, हिलने-डुलने वाला जबड़ा और आंखों की जगह 2 गड्ढे हैं। यही स्कल सबसे ज्यादा चर्चित रहा।

पूरे 100 साल पूरे करके गुजरी अन्ना बताती थीं कि स्कल ही उन्हें स्वस्थ रखता है। अन्ना का दावा था कि स्कल उनसे बात भी करता है और आने वाले खतरों से आगाह करता है। लेखक की बेटी होने की वजह से अन्ना की बातें मीडिया में तेजी से फैलीं और दुनियाभर के लोग अन्ना के पास आने लगे ताकि हीलिंग पावर वाले स्कल को देख या उससे बात कर सकें। कहा जाता है कि अन्ना मुलाकातियों से काफी पैसे लेकर उन्हें स्कल से मिलने की इजाजत देती थीं।

इस दावे को बल मिला कि ये स्कल एलियन्स के हो सकते हैं

चमत्कार पर यकीन करने वाले लोगों ने अन्ना के पास मिली खोपड़ी के भीतर कई तस्वीरें भी देखीं और यहां तक कि इसके आसपास अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑबजेक्ट (UFO) भी देखा गया। इसके साथ ही इस दावे को बल मिला कि ये स्कल एलियन्स के हो सकते हैं। साल 1954 में अन्ना के लेखक पिता मिशेल-हेजस ने अपनी आत्मकथा डेंजर माई ऐली (Danger My Ally) में इस स्कल का जिक्र किया था। उन्होंने दावा किया कि स्कल तीन से चार हजार साल पुराना है और इसका इस्तेमाल माया सभ्यता के पुजारी गुप्त अनुष्ठानों के लिए करते थे हालांकि इन बातों की पुष्टि के लिए लेखक के पास कोई प्रमाण नहीं था। लेखक ने अपनी विवादित आत्मकथा में यह भी नहीं बताया है कि स्कल उनकी बेटी को मिला।

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हैं चमत्कारिक शक्तियां

टेक्सास के हॉस्टन में रहने वाली जोएन पार्क्स नामक महिला को भी एक स्कल मिला। एक रिपोर्ट के अनुसार इस महिला ने भी दावा किया कि क्रिस्टल स्कल में चमत्कारिक शक्ति है और उसका स्कल भी बात करता है। साल 1978 में जोएन की बेटी डायना को बोन कैंसर हुआ। डॉक्टरों ने उसकी जिंदगी केवल 3 महीनों की बताई। जोएना ने तब तिब्बती लामा Norbu Chen से मदद मांगी, जो खुद को हीलर भी बताया था। इसी लामा के पास क्रिस्टल स्कल था, जिसकी मदद से डायना तीन महीने की बजाए पूरे तीन साल जिंदा रही। बेटी की मौत के परेशान जोएना को उस लामा ने स्कल दे दिया। जोएना को उस क्रिस्टल स्कल के बारे में इससे ज्यादा कोई जानकारी नहीं कि वो लामा को ग्वाटेमाला में कहीं मिला था।

ऐसे पहुंचा संग्रहालयों में

साल 1992 में वॉशिंगटन के Smithsonian Institution में रहस्यमयी परिस्थितियों में मिला। इसे किसी अनाम शख्स ने National Museum of American History को दान किया था। लंदन के ब्रिटिश म्यूजियम में भी एक स्कल है, जो साल 1898 से वहां रखा हुआ है। संग्रहालय में इसके आने की कहानी भी कुछ कम हैरतअंगेज नहीं। बताया जाता है कि संग्रहालय के एक कर्मचारी ने स्कल को एक शीशे के बक्से में बंद और घूमते हुए देखा। घूमते हुए ही ये संग्रहालय के परिसर में आ गया। हालांकि ये भी कहा जाता है कि संग्रहालय ने Tiffany & Co. से 1898 में ये स्कल खरीदा था। ये स्कल थोड़े धुंधले स्फटिक का बना हुआ है। पेरिस के संग्रहालय में रखा स्कल आकार में छोटा है और इसके सिर में एक कट लगा हुआ है। इसे साल 1878 में एक शख्स Alphonse Pinart ने डोनेट किया था।

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शुरू हुई वैज्ञानिक जांच

क्रिस्टल के मालिकों ने पहले इसकी किसी भी तरह की वैज्ञानिक जांच से इंकार कर दिया था। बाद में कई वैज्ञानिकों ने इसकी जांच की। क्रिस्टल स्कल के एक्सपर्ट निकेल के अनुसार कोई भी स्कल प्री-कोलंबियन नहीं लगता। इसकी तराश, कटाई और पॉलिश सबकुछ अत्याधुनिक है। लगातार कहानियों और वैज्ञानिकों के खंडन के बाद अन्ना ने अपने पास रखा स्कल वैज्ञानिक जांच के लिए दुनिया की चुनिंदा सबसे बड़ी कंप्यूटर कंपनियों में (उस वक्त की) से एक Hewlett-Packard को दिया।

ये स्कल हो ही नहीं सकते!

लैब में लंबी जांच के बाद भी वैज्ञानिक स्कल की उम्र या कुछ और पता नहीं कर सके। चूंकि क्रिस्टल यानी स्फटिक की कोई कार्बन डेट नहीं होती है इसलिए ये तो पता नहीं ही किया जा सकता कि ये कितने पुराने हैं।

जांच के बाद वैज्ञानिकों ने कहा कि मॉर्डन औजारों से भी क्रिस्टल को इतनी बारीकी से तराशा जा सकना मुमकिन नहीं। और अगर हो भी सकता है तो 1 स्कल को बनने में कम से कम 300 साल लगेंगे। इसके बाद की जांच के बाद दुनिया के बड़े वैज्ञानिकों का एक लाइन का निष्कर्ष था- “This skull shouldn’t even exist!”\

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हो सकता है कि क्रिस्टल प्राचीन समय में information storage system यानि सूचनाओं के भंडारण के लिए हों, जैसे कि हमारे कंप्यूटर में होता है लेकिन तब भी इसके बारे में कोई ठोस जानकारी वैज्ञानिक नहीं जुटा सके।

पुरातत्वविदों के अनुसार ये सभी खोपड़ियां माया या एज़्टेक मूल (Mayan or Aztec origin) से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने ही ये खोपड़ियां बनाईं जो बाद में दुनिया में बिखर गईं। हालांकि इसे बनाने के तरीके और कारण पर पुरातत्वविद भी कोई टिप्पणी नहीं कर सके। फिलहाल संग्रहालयों में इन्हें खूबसूरती के नमूनों की तरह रखा गया है।

 

 

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