G20 Summit: जी-20 के मंच के माध्यम से भ्रष्टाचार से निपटना
G20 Summit: अपनी जी-20 अध्यक्षता के दौरान, भारत ने बेहतर और प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से इस खामी को दूर करने के अभियान का नेतृत्व किया है।
G20 Summit: भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आर्थिक अपराधों का मुकाबला करने के लिए 'धन का पीछा करो' एक आजमाई हुई रणनीति है। इस लोकाचार के अनुरूप, भारत ने रिश्वत के मामले में पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण उपाय लागू किए हैं। इसके बावजूद, कतिपय कमजोरियां बनी हुई हैं, क्योंकि तेजी से वैश्वीकृत दुनिया में भ्रष्टाचार की कमाई को आसानी से देश की सीमाओं के बाहर ले जाया जा सकता है। अपनी जी-20 अध्यक्षता के दौरान, भारत ने बेहतर और प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से इस खामी को दूर करने के अभियान का नेतृत्व किया है।
औपचारिक सहयोग में चुनौतियां
भ्रष्टाचार संबंधी अपराधों पर औपचारिक सहयोग आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता (एमएलए) के जरिए होता है। इसके साथ ही वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) सभी देशों से यह उम्मीद करता है कि वे जांच, अभियोजन और संबंधित कार्रवाई के दौरान एमएलए को व्यापकता प्रदान करेंगे, लेकिन मैदानी स्तर पर कार्रवाई हमेशा समय पर नहीं हो पाती है।
उदाहरण के लिए, 12 अगस्त को कोलकाता में तीसरी जी-20 भ्रष्टाचार विरोधी कार्य समूह (एसीडब्ल्यूजी) मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान जारी पारस्परिक कानूनी सहायता 2023 पर जी-20 जवाबदेही रिपोर्ट, कुछ जी-20 देशों के संबंध में एमएलए आग्रहों के समाधान पर रोशनी डालती है। जैसा कि रिपोर्ट से पता चलता है, भारत ने भ्रष्टाचार के मामलों में प्राप्त शत-प्रतिशत एमएलए आग्रहों का समाधान किया है, जबकि भारत के 10 प्रतिशत से भी कम एमएलए आग्रहों का समाधान किया गया है।
एमएलए आग्रहों के समाधान में कई कारणों से देरी होती है, जैसे घरेलू कानूनी ढांचे में अंतर, एमएलए आग्रहों के प्रसंस्करण में प्रशासनिक और प्रक्रियात्मक अंतराल, पर्याप्त और समय पर प्रतिक्रियाओं की कमी आदि। इस तरह की देरी से प्रत्यक्ष जांच के साथ-साथ भ्रष्टाचार से कमाई का पता लगाने और उसे रोकने के प्रयास भी प्रभावित होते हैं।
यह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में देशों के लिए अहम खामियां पैदा करता है। भ्रष्टाचारियों की एक प्रचलित कार्यप्रणाली यह है कि वे मुखौटा कंपनियों के जाल के पीछे अपनी अवैध कमाई को छुपा लेते हैं। ऐसी संपत्तियों का पता लगाने के लिए सभी देशों को इन कंपनियों से फायदा उठाने वाले मालिकों तक पहुंचने की आवश्यकता होती है। उल्लेखनीय है कि भारत और कुछ अन्य देशों ने कंपनियों से फायदा उठाने वाले मालिकों के विवरण तक सार्वजनिक पहुंच प्रदान की है, जबकि अधिकांश देश ऐसा नहीं करते हैं। उन देशों से फायदा उठाने वाले मालिकों के बारे में जानकारी मांगा जाना जरूरी है।
एक बार जब भ्रष्टाचारियों के स्वामित्व वाली संपत्तियों का पता चल जाता है, तो जांचकर्ताओं को संपत्तियों को जब्त करने के लिए मेजबान क्षेत्राधिकार के सहयोग की आवश्यकता होती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भ्रष्टाचारी अपने अपराध की कमाई से लाभ न उठा सकें। अभियोजन के मामलों को चलाने के लिए सबूत जमा करने में भी सहयोग की आवश्यकता होती है।
भारत ने जी-20 में अपने नेतृत्व के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में खामियों को दूर करने के लिए ठोस प्रयास किए हैं। प्रमुख प्रयासों का वर्णन आगे दिया जा रहा हैः
परिसंपत्ति की वसूली
भारत अपराध की कमाई की वसूली और बरामदगी के लिए भ्रष्टाचार विरोधी नीति तैयार करने के संबंध में जी-20 सदस्यों के बीच आम सहमति बनाने में सफल रहा है। भारत ने इस बात पर जोर दिया है कि इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण कदमों में से एक पूर्व-एमएलए परामर्श को सक्रिय रूप से संचालित करना है।
भारत की अध्यक्षता में, जी-20 देशों ने अपराध की कमाई पर समय पर रोक लगाने या जब्ती की कार्रवाई सुनिश्चित करने पर भी सहमति व्यक्त की है। जी-20 देशों ने माना है कि इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्हें अपनी वित्तीय आसूचना इकाइयों (एफआईयू) या अन्य संबंधित अधिकारियों को आवश्यक पर्याप्त अधिकार, प्रक्रियाएं और उपकरण प्रदान करने की आवश्यकता हो सकती है, ताकि अपराध की कमाई के रूप में संदिग्ध संपत्तियों के हस्तांतरण या व्यय को रोका जा सके। यह बहुत जरूरी है, क्योंकि इंटरनेट प्रौद्योगिकियों में नवाचारों ने धन के तेजी से प्रवाह को सक्षम किया है। इसके अलावा एलईए तभी चुराए गए धन को दोबारा हासिल कर सकते हैं, जब वे 'निर्णायक पल' में कार्रवाई कर सकें।
फायदा उठाने वाले मालिकों की जानकारी
एक अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में गुमनाम रूप से रखी गई कुल संपत्ति सात ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर और 32 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के बीच है, जो वैश्विक संपत्ति का लगभग 10 प्रतिशत है। यदि किसी अधिकार क्षेत्र के तहत कंपनियों और ट्रस्टों को स्वामित्व और नियंत्रण का खुलासा करने की आवश्यकता नहीं होती है, तो धन छुपाना आसान होता है।
एफएटीएफ ने लाभकारी स्वामित्व पर अपने मानकों के माध्यम से पारदर्शिता में सुधार का मार्ग प्रशस्त किया है, जिन्हें हाल ही में संशोधित किया गया था। उल्लेखनीय है कि जी-20 देश संशोधित मानकों के समय पर और वैश्विक कार्यान्वयन के लिए प्रतिबद्ध हैं, वे लाभकारी स्वामित्व जानकारी को बनाए रखने और साझा करने के तंत्र पर भारतीय अध्यक्षता के तहत महत्वपूर्ण सिद्धांत पर सहमत हुए हैं। ऐसी प्रणाली में एलईए और एफआईयू सहयोग के जरिए फायदा उठाने वाले मालिकों की सूचना को सभी देश कारगर तरीके से एक दूसरे के साथ साझा कर सकते हैं।
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वर्चुअल संपत्ति
अक्टूबर, 2022 में एक सरकारी इंजीनियर पर भ्रष्टाचार के एक मामले में ओडिशा के सतर्कता विभाग ने छापा मारा था। उसके पास से 1.75 करोड़ रुपए कीमत की क्रिप्टोकरेंसी पाई गई, जो उसके आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक कीमत की थी। बाद में उस इंजीनियर को आय के स्रोतों से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। इस मामले से बेनामी वाली वर्चुअल संपत्तियों के बारे में पता लगता है। वर्चुअल संपत्तियों के रूप में धन छुपाने के लिए ब्लॉकचेन-आधारित प्रणालियों के कारण उनका पता लगाने तथा उनकी बरामदगी नई चुनौती के रूप में समाने आती है।
ब्लॉकचेन-आधारित प्रणाली पर निजी वॉलेट छद्मनाम वाले होते हैं, जहां धन को छुपाने और उसे खपाने के तमाम अवसर मिलते हैं। ऐसे वॉलेट के माध्यम से धन को निर्बाध रूप से देश के बाहर ले जाया जा सकता है या उन्हें फिजिकल कोल्ड वॉलेट में जमा किया जा सकता है। इन वॉलेट के जरिए भ्रष्ट व्यक्ति को रिश्वत लेने और उसे खपाने में आसानी होती है।
वर्चुअल संपत्तियों से जुड़े विभिन्न जोखिमों को ध्यान में रखते हुए भारत ने वर्चुअल संपत्तियों के विनियमन के संबंध में एक व्यापक वैश्विक नीति के विकास के लिए जी-20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों (एफएमसीबीजी) को नियोजित किया है। इस व्यापक नीति में वित्तीय अखंडता बनाए रखने और वर्चुअल संपत्तियों के संबंध में पारदर्शिता में सुधार के लिए प्रासंगिक विनियमन के तत्व शामिल होंगे।
( लेखक पांडेय और स्वैन क्रमशः वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग में संयुक्त सचिव और निदेशक हैं/ लेख में व्यक्त विचार पूरी तरह से लेखक के हैं और जरूरी नहीं कि ये विचार लेखक के नियोक्ता, संगठन, समिति या अन्य समूह या व्यक्ति के हों।)