पद संभालने के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ की बैठक
अधिकारियों ने बताया कि सिंह ने यहां रक्षा मंत्रालय मुख्यालय में थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी. एस. धनोआ और नव-नियुक्त नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह के साथ बैठक की। इस दौरान उनके साथ कई मुद्दों पर चर्चा की।
नई दिल्ली: नये रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सुरक्षा चुनौतियों पर उच्च स्तरीय बैठक की। पदभार संभालने के शीघ्र बाद राजनाथ सिंह ने शनिवार को थलसेना, नौसेना एवं वायुसेना प्रमुखों को देश के समक्ष मौजूद सुरक्षा चुनौतियों पर और अपने-अपने बलों के संपूर्ण कामकाज पर अलग-अलग विवरण तैयार करने के लिए कहा।
अधिकारियों ने बताया कि सिंह ने यहां रक्षा मंत्रालय मुख्यालय में थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी. एस. धनोआ और नव-नियुक्त नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह के साथ बैठक की। इस दौरान उनके साथ कई मुद्दों पर चर्चा की।
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रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद यशो नाइक, रक्षा सचिव संजय मित्रा, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी, सचिव (रक्षा उत्पादन) अजय कुमार और कई अन्य अधिकारी भी बैठक में मौजूद थे।
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि सिंह ने अधिकारियों को मंत्रालय के सभी डिविजनों पर विस्तृत विवरण तैयार करने और वांछित नतीजों को हासिल करने के लिए समयबद्ध लक्ष्य तय करने को कहा।
अधिकारियों ने कहा कि जल्द ही होने वाली एक उच्च स्तरीय बैठक में सिंह द्वारा विवरण की समीक्षा की जाएगी।
शनिवार की बैठक में सिंह को मंत्रालय के कामकाज और इसके चारों विभागों -रक्षा विभाग, रक्षा उत्पादन विभाग, पूर्व सैनिक कल्याण विभाग और डीआरडीओ की भूमिका के बारे में संक्षिप्त प्रस्तुति दी गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रथम कार्यकाल वाली सरकार में सिंह गृह मंत्री थे।
रक्षा मंत्रालय में दोपहर के वक्त सिंह के पहुंचने पर सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों और वरिष्ठ अधिकारियों ने उनका भव्य स्वागत किया।
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रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि सिंह ने उन्हें शुभकामना देने वाले सभी लोगों को लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने कहा।
इससे पहले, सिंह राष्ट्रीय समर स्मारक गए और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
रक्षा मंत्री के तौर पर सिंह की सबसे अहम चुनौती सेना के तीनों अंगों के काफी समय से लंबित पड़े आधुनिकीकरण को तेज करने और उनकी युद्ध तैयारियों में संपूर्ण सामंजस्य सुनिश्चित करने की होगी।
उनके समक्ष एक और चुनौती चीन से लगी सीमा पर शांति एवं स्थिरता कायम करने तथा वहां चीन की किसी संभावित शत्रुता से निपटने के लिए जरूरी सैन्य बुनियादी ढांचा विकसित करने की होगी।
पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर भारत के एयर स्ट्राइक करने के महज तीन महीने बाद रक्षा मंत्रालय की उन्हें जिम्मेदारी मिलने पर यह उम्मीद जताई जा रही है कि वह सीमा पार से आतंकवाद से निपटने की दृढ़ संकल्प वाली नीति को जारी रखेंगे।
पाकिस्तान से जम्मू कश्मीर में घुसपैठ पर रोक लगाना एक और अहम क्षेत्र होगा।
बदलते क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य और भू-राजनीतिक परिदृश्य के चलते बतौर रक्षा मंत्री सिंह को थलसेना, नौसेना और वायुसेना की युद्ध क्षमताओं को मजबूत करने की चुनौती का सामना करना होगा।
सशस्त्र बल ‘‘हाईब्रिड वारफेयर’’ से निपटने के लिए खुद को साजो सामान से सुसज्जित करने पर जोर दे रहे हैं और सिंह को यह अहम मांग पूरी करनी होगी।
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उल्लेखनीय है कि ‘‘हाईब्रिड वारफेयर’’ एक ऐसी रणनीति है, जिसमें परंपरागत सैन्य बल को तैनात किया जाता है और इसे साइबर युद्ध तरकीबों से सहयोग प्रदान किया जाता है।
सरकार स्वदेशी रक्षा उत्पादन पर ध्यान केंद्रित कर रही है और सिंह को महत्वाकांक्षी रणनीतिक साझेदारी मॉडल के क्रियान्वयन सहित कई बड़े सुधारों की पहल करनी होगी।
नये मॉडल के तहत चयनित भारतीय निजी कंपनियों को विदेशी रक्षा कंपनियों के साथ भारत में पनडुब्बी और लड़ाकू विमान जैसे साजो सामान बनाने के काम में लगाया जाएगा।
रक्षा बलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों का देश में उत्पादन कर सकने के लिए रक्षा अनुसंधान संगठनों और रक्षा क्षेत्र के अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के आधुनिकीकरण की भी उनके समक्ष चुनौती होगी।
सिंह को सेना में बड़े सुधारों के क्रियान्वयन की निगरानी भी करनी पड़ेगी। सेना ने इस सिलसिले में एक खाके को भी अंतिम रूप दिया है।
उनकी पूर्ववर्ती निर्मला सीतारमण को राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर विपक्ष के आरोपों का सामना करना पड़ा था और अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सिंह इस मुद्दे से कैसे निपटते हैं।
(भाषा)