बीजेपी के 13 धुरंधरों पर बड़े आरोप, ये पहुंचे CBI के घेरे में
अब कल्याण सिंह राज्यपाल पद से रिटायर हो गए हैं। यही वजह है कि सिंह को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को सिंह को तुरंत आरोप के रूप में कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया था। अब कोर्ट ने उनको समन जारी कर दिया है।
लखनऊ: राजस्थान के राज्यपाल के पद से रिटायर होने के बाद उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। ऐसे में अब उनकी मुसीबतें भी उनकी ओर तेजी से बढ़ रही हैं। दरअसल सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले को लेकर एक अर्जी दाखिल की है।
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इस अर्जी में कल्याण सिंह को बतौर आरोपी फिर से कोर्ट में पेश करने की बात कही गई है। हालांकि, कल्याण सिंह को अब तक आर्टिकल 351 के तहत संवैधानिक पद पर होने की वजह से कानूनी कार्रवाई से छूट मिली हुई थी लेकिन अब ऐसा नहीं है।
कल्याण सिंह को छोड़कर सबकी हुई जमानत
19 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की याचिका पर आदेश दिया था कि लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्यगोपाल दास, विनय कटियार, सतीश प्रधान, चंपत राय बंसल, विष्णु हरि डालमिया, नृत्य गोपाल दास, सतीश प्रधान, आरवी वेदांती, जगदीश मुनि महाराज, बीएल शर्मा (प्रेम), धर्म दास पर मामला चलना चाहिए। इस लिस्ट में कल्याण सिंह भी शामिल थे। मगर अब कल्याण सिंह को छोड़कर बाकी सबकी जमानत हो चुकी है।
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मालूम हो, लिस्ट में शामिल सभी नेताओं पर बाबरी विध्वंस मामले में आपराधिक षडयंत्र करने का आरोप लगा है, जोकि धारा 120 (बी) के तहत चल रहा है। वहीं, कोर्ट ने कल्याण सिंह मामले पर सीबीआई की अपील को स्वीकार कर लिया है। ऐसे में अब उनको कानूनी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
सिंह पर लगे ये आरोप
मालूम हो, अयोध्या मामले के लिए 16 दिसंबर 1992 को लिब्राहन आयोग का गठन किया गया था। इसपर एक रिपोर्ट तैयार करते हुए आयोग ने 68 लोगों को दोषी माना था। उस दौरान आयोग ने ये भी कहा था कि घटना को रोकने के लिए कल्याण सिंह ने कोई कदम नहीं उठाया था। दरअसल जब अयोध्या में 16 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला हुआ था, तब यूपी के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ही थे।
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उनपर आरोप लगाया गया कि पहले तो उन्होंने यह वादा किया कि वह बाबरी मस्जिद को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होने देंगे लेकिन कार सेवा आयोजित होने के दौरान मस्जिद को गिरा दिया गया था। इसके बाद मामले की जिम्मेदारी लेते हुए सीएम कल्याण सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
विपरीत काम किया
वहीं, 1997 में लखनऊ की एक विशेष अदालत ने सिंह के खिलाफ सीबीआई के आरोपपत्र के बाद ये कहा था कि, ‘कल्याण सिंह ने यह भी कहा था कि वह सुनिश्चित करेंगे कि विवादित ढांचा पूरी तरह सुरक्षित रहे और उसे ढहाया न जाए, लेकिन उन्होंने कथित तौर पर अपने वादों के विपरीत काम किया।’
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यही नहीं, सिंह पर सीबीआई ने ये भी आरोप लगाया कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए भी केंद्रीय बल का इस्तेमाल करने का आदेश नहीं दिया। विशेष अदालत ने कहा था, 'इससे प्रथम दृष्टया यह मालूम पड़ता है कि वह आपराधिक षडयंत्र में शामिल थे।'
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अब कल्याण सिंह राज्यपाल पद से रिटायर हो गए हैं। यही वजह है कि सिंह को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को सिंह को तुरंत आरोप के रूप में कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया था। अब कोर्ट ने उनको समन जारी कर दिया है। सिंह के साथ बीजेपी नेताओं की मुश्किलें अब और बढ़ गई हैं। सभी आरोपियों पर सेक्शन 120-बी के तहते मामला चल रहा है, जिसके तहत दोषी पाए जाने पर अधिकतम तीन साल तक की सजा का प्रावधान है।