नीतीश को ऑफर के बाद RJD का बड़ा दावा, JDU के 17 विधायक बगावत को तैयार

राजद नेता श्याम रजक का कहना है कि जदयू विधायकों में भाजपा को लेकर काफी गुस्सा है। इस कारण जदयू के 17 विधायक पार्टी छोड़कर राजद में शामिल होना चाहते हैं मगर दलबदल कानून के तहत इन विधायकों की सदस्यता रद्द होने का खतरा है। इस कारण इन विधायकों की संख्या बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।

Update: 2020-12-30 03:50 GMT
नीतीश को ऑफर के बाद RJD का बड़ा दावा, JDU के 17 विधायक बगावत को तैयार

नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश के छह जदयू विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद बिहार में तेज हुई सियासी सरगर्मियां से साफ है कि जदयू और भाजपा के बीच सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। जदयू ने भाजपा से दो टूक कहा है कि अरुणाचल में जो कुछ भी हुआ, वह ठीक नहीं और भाजपा को गठबंधन कैसे चलाया जाता है, यह बात नीतीश कुमार से सीखनी चाहिए।

इस बीच राजद ने नीतीश कुमार को पीएम बनाने का ऑफर देने के बाद बड़ा दावा किया है। राजद नेता श्याम रजक ने कहा है कि जदयू के विधायकों में भाजपा की कार्यशैली से काफी नाराजगी है और जदयू के 17 विधायक राजद के संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि ये जदयू विधायक जल्दी ही राजद में शामिल होंगे। इससे पूर्व राजद के वरिष्ठ नेता और विधानसभा के पूर्व स्पीकर उदय नारायण चौधरी ने नीतीश कुमार को राजद नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने पर 2024 के लोकसभा चुनावों में पीएम के तौर पर उनका नाम आगे करने का बड़ा ऑफर दिया था।

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जदयू के 17 विधायक लालटेन थामने को तैयार

नीतीश सरकार में मंत्री रह चुके हैं और मौजूदा समय में राजद नेता श्याम रजक का कहना है कि जदयू विधायकों में भाजपा को लेकर काफी गुस्सा है। इस कारण जदयू के 17 विधायक पार्टी छोड़कर राजद में शामिल होना चाहते हैं मगर दलबदल कानून के तहत इन विधायकों की सदस्यता रद्द होने का खतरा है। इस कारण इन विधायकों की संख्या बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।

विधायकों की संख्या बढ़ाने की कोशिश

उन्होंने कहा कि यदि जदयू के करीब 26 विधायक पार्टी छोड़कर राजद की सदस्यता लेते हैं तो उनकी सदस्यता पर कोई खतरा नहीं रहेगा।

श्याम रजक ने दावा किया कि अरुणाचल प्रदेश में हुई घटना के कारण इन विधायकों में नाराजगी है और बिहार में साफ तौर पर दिख रहा है कि भाजपा नीतीश कुमार पर पूरी तरह हावी हो चुकी है। इस कारण नीतीश कुमार की दिक्कतें लगातार बढ़ती जा रही हैं।

राजद का दावा गुमराह करने की कोशिश

दूसरी ओर श्याम रजक के दावों को भ्रामक बताते हुए जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि वे लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की अगुवाई में जदयू पूरी तरह से एकजुट है और बिहार में जदयू और भाजपा मिलकर 5 साल तक सरकार चलाएंगे। उन्होंने कहा कि अरुणाचल की घटना से जदयू आहत जरूर है मगर पार्टी के विधायक किसी के झांसे में नहीं आने वाले। उन्होंने कहा कि राजद को अपना घर संभालना चाहिए क्योंकि राजद विधायक तेजस्वी यादव की कार्यशैली से नाराज हैं।

अरुणाचल की घटना से जदयू में नाराजगी

सियासी जानकारों का कहना है कि राजद ने ऐसे मौके पर बड़ी चाल चली है जब भाजपा और जदयू के बीच खटपट की शुरुआत हो चुकी है। अरुणाचल प्रदेश में जदयू के सात में से छह विधायकों को भाजपा में शामिल करने पर जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में जो घटना हुई, वह पार्टी के लिए अच्छा अनुभव नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि गठबंधन में शामिल दलों को भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 15 वर्षों तक बिहार में गठबंधन को लेकर किसी को भी किसी शिकायत का मौका नहीं दिया। भाजपा का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि दूसरे दलों को इससे नसीहत लेनी चाहिए।

गठबंधन की राजनीति के लिए अच्छा संकेत नहीं

इससे पहले जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी भी यह बात कह चुके हैं कि अरुणाचल प्रदेश में हुई घटना गठबंधन की राजनीति के लिए अच्छा संकेत नहीं है। उन्होंने कहा कि गठबंधन में सहयोगी दल के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जाता। हालांकि उन्होंने यह भी दावा किया कि बिहार में जदयू और भाजपा गठबंधन पर अरुणाचल की घटना का असर नहीं होगा।

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सहयोगी दल के साथ ईमानदारी जरूरी

अरुणाचल की घटना के बाद जदयू के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने भी इशारों-इशारों में भाजपा को नसीहत दी है। उन्होंने भी कहा है कि हम किसी साथी की पीठ में छुरा भोंकने का काम नहीं करते। ऐसे में दूसरे दलों को भी गठबंधन में सहयोगी दल के साथ ईमानदारी का व्यवहार रखना चाहिए। साफ तौर पर उनका इशारा भाजपा की ओर ही है और उन्होंने भाजपा को ऐसी हरकतों से बाज आने की नसीहत दी है।

राजद ने दिया नीतीश को बड़ा ऑफर

भाजपा और जदयू में चल रही है खटपट के बीच राजद के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी ने नीतीश कुमार को बड़ा ऑफर देकर सियासी हलचल और तेज कर दी है। उन्होंने कहा कि अगर नीतीश कुमार एनडीए छोड़कर तेजस्वी यादव को बिहार का सीएम बनाते हैं तो विपक्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार को पीएम के रूप में प्रोजेक्ट करने की कोशिश करेगा। राजद नेता के इस बयान के बाद बिहार की सियासत एक बार फिर गरमा गई है।

राजद ने नहीं छोड़ी है सरकार की उम्मीद

सियासी जानकारों का कहना है कि बिहार की एनडीए सरकार में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। राजद नेता के बयान से यह भी साफ हो गया है कि राजद ने फिलहाल बिहार में सरकार बनाने की उम्मीद नहीं छोड़ी है और अब भी वह शर्तों के साथ नीतीश कुमार से गठबंधन के लिए तैयार है। नीतीश कुमार पहले भी राजद के साथ मिलकर बिहार में सरकार चला चुके हैं। ऐसे में राजद की ओर से उन्हें एक बार फिर अपने पाले में लाने के लिए पासा फेंका गया है। नीतीश कुमार इस बार के विधानसभा चुनाव में अपेक्षा के अनुरूप सीट न मिलने के बावजूद बिहार के मुख्यमंत्री बने हैं, लेकिन उन्होंने यह बयान भी दिया है कि इस बार उनका सीएम बनने का कोई मन नहीं था। भाजपा की ओर से दबाव डाले जाने के कारण ही उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली है।

डैमेज कंट्रोल में जुटी हुई है भाजपा

वैसे अरुणाचल की घटना के बाद जदयू की नाराजगी को देखते हुए भाजपा डैमेज कंट्रोल की कोशिश में जुटी हुई है। राज्यसभा सांसद और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बयान दिया है कि एनडीए गठबंधन अनब्रेकेबल है। उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार स्वाभाविक रूप से सबकी पसंद थे। वैसे वे मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे। वह मुख्यमंत्री बनने के लिए तब राजी हुए जब उन्हें यह बात याद दिलाई गई कि एनडीए ने मुख्यमंत्री के रूप में उनका चेहरा ही प्रोजेक्ट किया था।

नीतीश कुमार ने नहीं तोड़ी चुप्पी

राजद नेता उदय नारायण चौधरी के बयान के बाद राजद के एक वरिष्ठ पदाधिकारी का कहना है कि पार्टी भाजपा और जदयू के बीच चल रहे तनाव का जायजा लेना चाहती है। हालांकि राजद नेता के ऑफर पर अभी तक नीतीश कुमार ने चुप्पी साध रखी है। उन्होंने इस बाबत अपनी कोई प्रतिक्रिया अभी तक नहीं व्यक्त की है। अब हर किसी को नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया का इंतजार है। हालांकि सियासी जानकारों का मानना है कि जदयू और भाजपा का गठबंधन बिहार में इतनी जल्दी नहीं टूटने वाला मगर इसके साथ ही यह भी सच्चाई है कि दोनों दलों के रिश्ते पहले जैसे सहज नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में राजद ने एक पत्थर उछालकर दोनों दलों के रिश्तों की गहराई नापने की कोशिश की है।

अंशुमान तिवारी

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