'CAB': रूपा गांगुली बोलीं- बुर्के में न भागती तो 'खान टाइगर' की बेगम बन जाती

राज्यसभा सांसद ने कहा 'हम कहां जाएंगे, अगर भारत हमें जगह न दे? कोई क्यों नहीं सोचेगा? हम कितनी बार बेघर होंगे? मेरे पिता को उनके ही देश में, कभी नारायणगंज, कभी ढाका, कभी दिनाजपुर में गए।

Update: 2019-12-12 09:41 GMT

कोलकाता: देश में नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर चल रही बहस के बीच भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) की नेता रूपा गांगुली ने अपने जीवन से जुड़ी एक खौफनाक घटना शेयर की है।

गांगुली ने बताया है कि किस तरह उन्हें और उनकी मां को किडनैप होने से बचने के लिए बुर्के में भागना पड़ा था। बीजेपी नेता ने बताया कि जिस समय यह घटना हुई, वह सातवीं में पढ़ती थीं।

गांगुली ने कहा कि यदि वह ऐसा नहीं करतीं तो 'खान टाइगर' की बेगम बन जातीं। रूपा गांगुली ने गृह मंत्री अमित शाह के संसद में दिए गए भाषण के ट्वीट के जवाब में कहा 'काश मैं कह पाती। मैंने खुद क्या-क्या झेला है। मैं तो खान टाइगर की बेगम बन जाती जो मुझे अपहरण करने आए थे।

अगर उस रात मैं और मेरी मां बुर्के में भाग नहीं पाती दिनाजपुर से। मैं क्लास सात में पढ़ती थी। अमित शाह आपको क्या बताऊं। आज आप और नरेंद्र मोदी को कितने लोगों के आशार्वाद मिले हैं।'



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हम कितनी बार अपने घरों को बदलेंगे?: रूपा गांगुली

राज्यसभा सांसद ने कहा 'हम कहां जाएंगे, अगर भारत हमें जगह न दे? कोई क्यों नहीं सोचेगा? हम कितनी बार बेघर होंगे? मेरे पिता को उनके ही देश में, कभी नारायणगंज, कभी ढाका, कभी दिनाजपुर में गए।

हम कितनी बार अपने घरों को बदलेंगे? हमें कितनी बार एक शरणार्थी का जीवन जीना पड़ेगा? नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को धन्यवाद।'

भाजपा नेता ने कहा 'मुझे यह देखकर हैरानी हो रही है कि इस मुद्दे पर विपक्ष हंस रहा है...हरेक टिप्पणी का मजाक उड़ा रहा है...यहां तक कि वरिष्ठ महिला नेता भी...मैंने उनके हावभाव को देखा...बेहद दुखद है...बेहद निराशाजनक।' गौरतलब है कि कि नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद ने पास कर दिया है।

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सोनिया गांधी ने बताया काला दिन

राज्यसभा में विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसे काला दिन करार दिया है। वहीं महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना के सांसदों ने राज्यसभा में वोटिंग में भाग नहीं लिया।

शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि शरणार्थियों को नागरिकता दी जानी ठीक है लेकिन उन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं मिलना चाहिए।

राज्यसभा में बिल के बिरोध में बात रखते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि इस बिल से अन्य पड़ोसी देशों को बाहर क्यों रखा गया है। उन्होंने यह भी कहा था कि मुसलमानों पर भी अफगानिस्तान में अत्याचार होता रहा है फिर उन्हें भी नागरिकता क्यों नहीं दी जानी चाहिए।

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