सीएम का आदेश बेअसर : जमीन सरकार की, कब्जा भूमाफिया का

Update: 2017-11-24 08:06 GMT

मंत्री के संरक्षण के कारण अफसर नहीं कर रहे कार्रवाई

कपिलदेव मौर्य की रिपोर्ट

जौनपुर। योगी सरकार के भूमाफिया पर अंकुश लगाने के आदेश का प्रदेश के अन्य जिलों में चाहे जितना भी असर हो, लेकिन जौनपुर जिले में सीएम के आदेश का कोई असर नहीं दिख रहा है। जिले में एक भूमाफिया लगभग एक महीने से सरकारी जमीन कब्जा करने में जुटा है। सबकुछ जानने के बावजूद जिला प्रशासन चुप्पी साधे बैठा है। इस बाबत जिम्मेदार अफसरों से शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। जानकारों के मुताबिक भूमाफिया पर एक मंत्री का वरदहस्त है और इसी कारण अफसर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। यह प्रकरण भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार के प्रभावी कार्रवाई के दावे की पोल खोल रहा है।

सात बीघा जमीन पर कब्जे का खेल

जिले की सदर तहसील क्षेत्र में शहर से लगभग 5 किमी दूरी पर एक गांव है फूलपुर। जौनपुर-मिर्जापुर मार्ग पर यहां की लगभग सात बीघा जमीन सरकारी अभिलेख के खाता संख्या 230, 234, 250, 255 214 ,432 पर दर्ज है। इसका अराजी नंबर 218 है। इसमें मछली विभाग का 50 साल पुराना तालाब है। गांव के कौशल यादव व रंजय कुमार यादव का कहना है कि यहां आज भी विभाग की ओर से मछली पालन किया जाता है।

इसके अलावा यहां की जमीन सरकारी अभिलेख में भीटा, कब्रिस्तान व चारागाह के नाम दर्ज रही है जिसे सरकारी जमीन माना जाता है। ऐसी जमीन का मालिक सीधे ग्राम प्रधान अथवा उपजिलाधिकारी को माना जाता है। सुप्रीमकोर्ट के आदेश के मुताबिक ऐसी जमीनें धारा 132 की परिधि में आती है। उस पर कोई भी व्यक्ति कब्जा आदि नहीं कर सकता है और न तो ऐसी जमीन का किसी के नाम पट्टा ही किया जा सकता है। पट्टा की कार्यवाही तो प्रधान के स्तर से होती है, लेकिन अंतिम स्वीकृति उपजिलाधिकारी के स्तर से होती है।

पूर्व डीएम ने रुकवा दिया था कब्जा

इस जमीन का पहले तो कैलाश पुत्र गिरधारी, चन्द्रबली पुत्र सुन्दर, राजनाथ पुत्र पल्टू, शंकर पुत्र सेवा एवं रामचरित्तर पुत्र राजारम के नाम से गलत तरीके से पट्टा कराया गया। इसके बाद जितेन्द्र यादव नामक भूमाफिया ने सभी पट्टेदारों से जमीन को मुहायदा करा लिया और सत्ताधारी दल के एक मंत्री को पटा लिया। लगभग 14 से 15 करोड़ की इस सात बीघा जमीन पर कब्जे का प्रयास किया तो जिले के तत्कालीन जिलाधिकारी रहे भानुचंद गोस्वामी ने कड़ाई से कब्जा रोकवा दिया।

दूसरी ओर शासकीय अधिवक्ता ने 22 फरवरी 2017 को पट्टा निरस्तीकरण का एक दावा न्यायालय मे दायर कर दिया जो अभी न्यायालय में लम्बित है। गोस्वामी के स्थानान्तरण के बाद भूमाफिया कब्जे के लिए फिर सक्रिय हो गया। एक मंत्री की शह पर उसने फिर कब्जा करना शुरू कर दिया है।

शिकायतकर्ता की ही क्लास ले ली

इस पर समाजसेवी अरविन्द कुमार सिंह ने 19 अक्टूबर 2017 को जिलाधिकारी को शिकायती प्रत्यावेदन दिया। सिंह के अनुसार जिलाधिकारी ने एसडीएम सदर को आदेश दिया कि तत्काल कब्जा रोकवा दें मगर एसडीएम ने कार्रवाई करने के बजाय उल्टे शिकायतकर्ता की ही क्लास ले ली। इस पर शिकायतकर्ता फिर जिलाधिकारी से मिलने गया तो वहां भी उसे निराशा ही मिली।

जिस जमीन व तालाब पर भूमाफिया कब्जा कर रहा है उस पर बने तालाब का सुन्दरीकरण सरकारी धन से गांव की तत्कालीन ग्रामप्रधान श्रीमती गीता मौर्या ने कराया है। इस पर सरकारी खजाने से करीब पांच लाख रुपये खर्च किए गए।

इस तालाब के पास सरकारी धन से एक गेट भी बना है जिसका उद्घाटन जिले की तत्कालीन जिलाधिकारी अर्पण यू ने किया था। भूमाफिया कब्जा करने के क्रम में भीटा को ढहा दिया है। उक्त जमीन पर पक्का निर्माण तेज गति से किया जा रहा है। ग्राम प्रधान दलित होने के चलते दबंग भूमाफिया से पंगा लेने का साहस नहीं जुटा पा रहा है और जिले के हुक्मरान सत्ता के दबाव मे चुप्पी साधे बैठे है। लोगों का सवाल है कि जब सत्ताधारी लोगों के दबाव में सरकारी जमीन पर कब्जा हो जा रहा है तो आम नागरिकों की जमीनें कैसे सुरक्षित रह सकेंगी।

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