सांसद निधि स्थगित करने पर कांग्रेस में तकरार, आपस में ही उलझ गए बडे़ नेता
मोदी सरकार ने कोरोना की महामारी से जंग लड़ने के लिए सांसद निधि को दो साल तक स्थगित रखने का बड़ा फैसला लिया है। सरकार के इस फैसले को लेकर कांग्रेस में मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। देश की सियासत में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने आधिकारिक रूप से मोदी सरकार के इस फैसले पर गहरा एतराज जताया है
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने कोरोना की महामारी से जंग लड़ने के लिए सांसद निधि को दो साल तक स्थगित रखने का बड़ा फैसला लिया है। सरकार के इस फैसले को लेकर कांग्रेस में मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। देश की सियासत में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने आधिकारिक रूप से मोदी सरकार के इस फैसले पर गहरा एतराज जताया है। दूसरी और पार्टी के ही एक वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सांसद निधि निधि को दो साल तक स्थगित रखने का समर्थन किया है। पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सरकार के इस फैसले पर गहरी आपत्ति जताई है। इससे पता चलता है कि इस मुद्दे को लेकर पार्टी में एक राय नहीं है।
जयराम ने किया फैसले का स्वागत
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश का कहना है कि कोरोना के खिलाफ जंग जीतने के लिए सरकार का यह फैसला स्वागत योग्य कदम है। उनका कहना है कि वह पहले से ही यह कहते रहे हैं कि इस 7000 करोड रुपए का इस्तेमाल सरकारी खर्च पर चुनाव कराने के लिए किया जाना चाहिए। यहां यह उल्लेखनीय है कि जयराम रमेश को कांग्रेस में थिंक टैंक और हाईकमान का करीबी माना जाता है।
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चिदंबरम ने बोला जयराम पर हमला
जयराम रमेश के इस बाबत ट्वीट करते ही पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे और पार्टी के नेता कार्ति चिदंबरम ने जयराम रमेश पर हमला बोल दिया। चिदंबरम ने कहा कि ऐसी बात वही कर सकता है जिसने कभी चुनाव न लड़ा हो और वह सीधे जनता के प्रति जवाबदेह ना हो।
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शहरी मानसिकता वाला नेता बताया
कार्ति चिदंबरम ने जयराम रमेश पर तंज कसते हुए उन्हें शहरी मानसिकता वाला नेता बताया। उन्होंने कहा कि शहरी मानसिकता वाले लोग ही इसका स्वागत कर सकते हैं। ऐसे लोगों को उनके संसदीय क्षेत्र शिवगंगा में आकर देखना चाहिए कि सांसद निधि स्थानीय स्तर पर लोगों के लिए कितना लाभकारी साबित हो रही है।
शायद यह कदम उठाना जरूरी हो
कांग्रेस के ही एक दूसरे राज्यसभा सांसद अभिषेक सिंघवी धीमे सुर में सांसद निधि के निलंबन का स्वागत करते हुए दिखे। उन्होंने इस बाबत सीधे तौर पर तो कुछ नहीं कहा, लेकिन यह जरूर कहा कि शायद केंद्र सरकार के लिए यह कदम उठाना जरूरी हो।
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कई अन्य नेता भी फैसले के खिलाफ
कार्ति चिदंबरम के अलावा कांग्रेस के कई अन्य नेताओं मनीष तिवारी, शशि थरूर, तरुण गोगोई और मणिक्कम टैगोर ने भी सांसद निधि स्थगित करने के मोदी सरकार के फैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने सोशल मीडिया में इस मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार का यह फैसला उचित नहीं है।
थरूर ने लिखा पीएम को पत्र
शशि थरूर पर एक कदम और आगे निकल गए और उन्होंने इस मुद्दे पर बिना देरी किए हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र तक लिख डाला। शशि थरूर ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री को सुझाव दिया की सांसद निधि की राशि भले कोरोना से जंग लड़ने में खर्च की जाए मगर यह स्थानीय स्तर पर सांसदों के इलाके में ही खर्च की जाए। साथ ही उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि इस राशि को केंद्र सरकार की समेकित निधि में शामिल करने के फैसले पर पुनर्विचार हो।
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सुरजेवाला ने जताई आपत्ति
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने भी केंद्र सरकार के फैसले पर गहरी आपत्ति जताई है। इस बाबत किए गए अपने ट्वीट में सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस सांसदों की सैलरी में कटौती पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। इसे 30 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी तक किया जा सकता है मगर सांसद विकास निधि को स्थगित रखने का फैसला स्वीकार करने योग्य नहीं है। उन्होंने कहा कि सांसद निधि का इस्तेमाल लोकसभा क्षेत्र में विकास के लिए किया जाता है।
मोदी सरकार का यह फैसला जनता के लिए बड़ी नाइंसाफी होगी। सरकार का यह फैसला सांसदों की भूमिका और उनके कार्यों को कमजोर करेगा। उन्होंने कहा कि अगर यह पैसा खत्म कर देंगे तो सीधे-सीधे इसका प्रतिकूल असर संबंधित सांसद के इलाके के लोगों पर पड़ेगा। इससे सांसद की भूमिका पर भी प्रश्नचिन्ह लग जाएगा।
मनीष तिवारी भी फैसले के खिलाफ
कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने भी मोदी सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि मैं सांसदों की सैलरी में 30 फ़ीसदी कटौती का तो पूरा समर्थन करता हूं मगर सांसद निधि को सस्पेंड करना जरूरत से ज्यादा है। सांसद निधि एक ऐसा माध्यम है जिसके जरिए माइक्रो लेवल पर लोगों की मदद की जा सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करें और सांसद निधि को फिर से लागू किया जाए।
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