झारखंड सरकार और नगर निकाय आमने-सामने, सत्ता परिवर्तन के बाद राजनीति हावी

झारखंड में भाजपा सरकार के जाने और यूपीए सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही विवाद शुरू हुआ है। रांची नगर निगम समेत कई नगर निकायों में भाजपा के समर्थन से जन प्रतिनिधि निकायों तक पहुंचे हैं।

Update:2020-12-04 11:16 IST
झारखंड सरकार और नगर निकाय आमने-सामने, सत्ता परिवर्तन के बाद राजनीति हावी (Photo by social media)

रांची: झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार आने के बाद नगर निकायों में काबिज़ भाजपा समर्थित जनप्रतिनिधियों को असुविधा महसूस होने लगी। लिहाज़ा, ये असुविधा आगे चलकर गंदी सियासत में तब्दील हो गई। हालत ये है कि, रांची नगर निगम की मेयर आशा लकड़ा खुलेआम सरकार पर दुर्भावना के साथ काम करने का आरोप लगाती हैं। मामला इतना बिगड़ा कि, सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने झामुमो समर्थित वार्ड पार्षदों के साथ महापौर को घेरने की रणनीति बनाई। इन सबके बीच शहर का विकास कार्य कहीं ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। नगर निगम में राजनीति हावि होने से लोगों को बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं।

ये भी पढ़ें:65 मस्जिदें ध्वस्त: एक के बाद एक गिरा दिए चीन ने, लगातार नष्ट कर रहा वजूद

कहां से शुरू हुआ विवाद

jharkhand-govt (Photo by social media)

झारखंड में भाजपा सरकार के जाने और यूपीए सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही विवाद शुरू हुआ है। रांची नगर निगम समेत कई नगर निकायों में भाजपा के समर्थन से जन प्रतिनिधि निकायों तक पहुंचे हैं। सत्ता परिवर्तन के बाद नगर निकायों को लेकर सरकार ने अपने ढर्रे पर काम करना शुरू किया तो भाजपा समर्थित जनप्रतिनिधियों ने इसका विरोध शुरू किया। फरवरी 2020 में भ्रष्टाचार की शिकायत पर एंटी करप्शन ब्यूरो यानी एसीबी ने रांची नगर निगम में छापा मारा। विभाग की इस कार्रवाई पर मेयर आशा लकड़ा बिफर पड़ीं और सरकार पर बदले की कार्रवाई का आरोप लगा दिया। महापौर ने कहा कि, रांची नगर निगम एक स्वायत संस्था है। लिहाज़ा, बिना किसी पूर्व सूचना के जांच नहीं कराई जा सकती है। एसीबी को इसमें मोहरा बनाया गया है। सरकार विकास कार्यों को बाधित करना चाहती है।

विवाद का ताज़ा कारण

jharkhand-govt (Photo by social media)

झारखंड की सत्ताधारी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने रांची नगर निगम के कुछ वार्ड पार्षदों के साथ प्रेस वार्ता की। इस दौरान पार्टी के केंद्रीय महासचिव सुप्रीयो भट्टाचार्य ने कहा कि, निगम में मेयर, डिप्टी मेयर और चीफ इंजीनियर के बीच नेक्सस है। चुनिंदा वार्ड पार्षदों के क्षेत्र में ही विकास कार्य कराए जा रहे हैं। विकास कार्यों को कराने में पक्षपात किया जा रहा है। 14 वार्ड पार्षदों के साथ प्रेस वार्ता करते हुए झामुमो प्रवक्ता ने कहा कि, निगम अल्पसंख्यक पार्षदों की मांगों को दरकिनार कर देता है। लिहाज़ा, पिछले 05 वर्षों के कार्यों की जांच कराई जाए। मेयर, डिप्टी मेयर और पूर्व नगर विकास मंत्री की भूमिका की जांच हो। सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि, वो इन वार्ड पार्षदों की मांगों को लेकर जल्द ही मुख्यमंत्री से मिलेंगे और जांच की मांग करेंगे।

मेयर का आरोपों से इनकार

रांची नगर निगम की मेयर आशा लकड़ा ने सत्ताधारी झामुमो की ओर से लगाए गए आरोपों को निराधार बताया है। उन्होने कहा कि, पूर्व रघुवर दास के शासनकाल में आवंटित राशि से मुस्लिम वार्ड पार्षदों के क्षेत्रों में विकास के कार्य किए गए हैं। भाजपा धर्म, जाति और क्षेत्र के आधार पर पक्षपात नहीं करती है। केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ सबसे अधिक अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने उठाया है। प्रधानमंत्री आवास योजना से लेकर सड़क और नाली निर्माण में अल्पसंख्यक समुदाय के क्षेत्रों में काम हुआ है।

jharkhand-govt (Photo by social media)

ये भी पढ़ें:गोरखपुर: गारबेज फ्री सिटी का दावा, शहरी विकास मंत्रालय जानेगा हकीकत

झामुमो सोची समझी साज़िश के तहत भाजपा को अल्पसंख्यक विरोधी साबित करने में लगी है। पार्टी अपनी नाकामी छिपाने के लिए वार्ड पार्षदों को गुमराह कर प्रेस वार्ता की है। मेयर ने कहा कि, राज्य में यूपीए की सरकार है और नगर विकास विभाग का ज़िम्मा भी मुख्यमंत्री के पास है तो राज्य सरकार जांच करा ले। बहरहाल, नगर निकायों में जारी राजनीति का ख़ामियाज़ा आम जनता को चुकाना पड़ा रहा है। शहर में साफ-सफाई से लेकर पानी-बिजली की समस्या का बुरा हाल है। निगम फंड की कमी का रोना रोकर हाथ खड़े कर रहा है।

रिपोर्ट- शाहनवाज़

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Tags:    

Similar News