तीन तलाक बिलः बीजेपी ने बनाई रणनीति, कांग्रेस बोलीं- हमारा स्टैंड बिल्कुल साफ
नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन भी सरकार और विपक्ष आमने-सामने है। शुक्रवार को राफेल डील पर राज्यसभा में जोरदार हंगामा हुआ, जिसके चलते सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी। अब 2.30 बजे संशोधित तीन तलाक बिल को पेश किए जाने की संभावना है।
बीजेपी ने दो बैठकें कर बनाई रणनीति
शुक्रवार को बीजेपी ने संसद में तीन तलाक बिल पर अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए एक के बाद एक दो अहम बैठकें कीं। पहली बैठक संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले सुबह हुई, जिसमें बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्तार अब्बास नकवी, संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार समेत कई बड़े नेता शामिल हुए। इसके बाद दूसरी बैठक राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर तक स्थगित हो जाने के बाद हुई। माना जा रहा है कि राज्यसभा में बिल पास नहीं हुआ तो सरकार इस पर अध्यादेश ला सकती है।
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सरकार तीन तलाक बिल पर ला सकती है अध्यादेश
आपको बता दें कि मूल विधेयक को लोकसभा द्वारा पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है और यह राज्यसभा में लंबित है, जहां बीजेपी की अगुआई वाले एनडीए के पास बहुमत नहीं है। इस बीच केंद्रीय कैबिनेट ने ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2017’ में तीन संशोधनों को मंजूरी दे दी है।
अब सरकार राज्यसभा में इस संशोधित बिल को पेश करेगी। अगर विधेयक उच्च सदन में पारित हो जाता है तो इसे संशोधन पर मंजूरी के लिए वापस लोकसभा में पेश करना होगा। हालांकि अगर विपक्ष इसे पास नहीं होने देता है तो माना जा रहा है कि सरकार इस पर अध्यादेश भी ला सकती है।
इससे पहले सरकार ने गुरुवार को मुस्लिम समुदाय में तीन तलाक से जुड़े प्रस्तावित कानून में आरोपी को सुनवाई से पहले जमानत देने जैसे कुछ प्रावधानों को मंजूरी दे दी। दरअसल, इस कदम के जरिए कैबिनेट ने उन चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया है जिसमें तीन तलाक की परंपरा को अवैध घोषित करने तथा पति को तीन साल तक की सजा देनेवाले प्रस्तावित कानून के दुरुपयोग की बात कही जा रही थी।
पहला बड़ा बदलाव
प्रस्तावित कानून ‘गैरजमानती’ बना रहेगा लेकिन आरोपी जमानत मांगने के लिए सुनवाई से पहले भी मैजिस्ट्रेट से गुहार लगा सकता है। गैरजमानती कानून के तहत, जमानत पुलिस द्वारा थाने में ही नहीं दी जा सकती है। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि प्रावधान इसलिए जोड़ा गया है ताकि मैजिस्ट्रेट ‘पत्नी को सुनने के बाद’ जमानत दे सकें। उन्होंने स्पष्ट किया, ‘हालांकि प्रस्तावित कानून में तीन तलाक का अपराध गैरजमानती बना रहेगा।’ सूत्रों का कहना है कि मैजिस्ट्रेट यह सुनिश्चित करेंगे कि जमानत तभी दी जाए जब पति विधेयक के अनुसार पत्नी को मुआवजा देने पर सहमत हो। विधेयक के अनुसार मुआवजे की राशि मैजिस्ट्रेट द्वारा तय की जाएगी।
दूसरा संशोधन
एक अन्य संशोधन यह स्पष्ट करता है कि पुलिस केवल तब प्राथमिकी दर्ज करेगी जब पीड़ित पत्नी, उसके किसी संबंधी या शादी के बाद रिश्तेदार बने किसी व्यक्ति द्वारा पुलिस से गुहार लगाई जाती है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘यह उन चिंताओं को दूर करेगा कि कोई पड़ोसी भी प्राथमिकी दर्ज करा सकता है जैसा कि किसी संज्ञेय अपराध के मामले में होता है। यह दुरुपयोग पर लगाम कसेगा।’
तीसरा संशोधन
तीसरा संशोधन तीन तलाक के अपराध को ‘समझौते के योग्य’ बनाता है। अब मैजिस्ट्रेट पति और पत्नी के बीच विवाद सुलझाने के लिए अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। समझौते के योग्य अपराध में दोनों पक्षों के पास मामले को वापस लेने की आजादी होती है। सरकार को उम्मीद है कि कैबिनेट द्वारा किए गए संशोधन से गैरएनडीए दल भी उसके साथ आ सकते हैं जो अब तक कानून के दुरुपयोग को लेकर चिंता जता रहे थे। बीजेपी ने अपने सांसदों से राज्यसभा में मौजूद रहने को कहा है।