सरकारी नौकरी: शिवराज ने लिया ऐसा फैसला, दूसरे राज्य जता सकते हैं एतराज

मंगलवार को सबसे बड़ी खबर मध्य प्रदेश से आई है। शिवराज सरकार ने सरकारी नौकरियों में भर्ती को लेकर बड़ा ही महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। जिसके मुताबिक अब सिर्फ मध्य प्रदेश के बच्चों को ही राज्य के अंदर सरकारी नौकरी मिलेगी। दूसरे राज्यों के आवेदकों को किसी तरह की सरकारी नौकरी में तवज्जो नहीं दी जाएगी।

Update: 2020-08-18 11:07 GMT
मध्य प्रदेश में फिलहाल 38 जिला को-ऑपरेटिव बैंक हैं। इनमें से 34 में अध्यक्ष पद पर सांसद-विधायकों को बिठाया जा सकता है। संशोधन अध्यादेश लागू होने के बाद इसका रास्ता साफ हो गया है।

भोपाल: मंगलवार को सबसे बड़ी खबर मध्य प्रदेश से आई है। शिवराज सरकार ने सरकारी नौकरियों में भर्ती को लेकर बड़ा ही महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। जिसके मुताबिक अब सिर्फ मध्य प्रदेश के बच्चों को ही राज्य के अंदर सरकारी नौकरी मिलेगी। दूसरे राज्यों के आवेदकों को किसी तरह की सरकारी नौकरी में तवज्जो नहीं दी जाएगी।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बैठक में इस बात का एलान किया। शिवराज ने इस मामले पर अपनी बात रखते हुए कहा कि इसके लिए आवश्यक कानून बनाया जा रहा है। मध्य प्रदेश के संसाधन मध्य प्रदेश के बच्चों के लिए हैं। इसलिए यहां की सरकारी नौकरियों में भी उनका ही हक होना चाहिए।

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वीडी शर्मा ने फैसले को बताया स्वागतयोग्य

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस फैसले पर मध्य प्रदेश के बीजेपी नेताओं के बयान आना भी शुरू हो गये हैं। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा शिवराज सिंह चौहान के इस कदम को ऐतिहासिक बताया है।

कहा कि सरकार का यह फैसला स्वागतयोग्य है। मध्य प्रदेश सरकार के इस फैसले से राज्य के अंदर युवाओं में खुशी की लहर है। मैं सीएम शिवराज सिंह चौहान और उनकी पूरी कैबिनेट को इस फैसले के लिए बधाई देता हूं।

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दिग्विजय सिंह ने उठाया मुद्दा

बता दें कि सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस मुद्दे को उठाया था और बीते दिनों शिवराज सिंह चौहान से ये मांग की थी कि मध्य प्रदेश की सरकारी नौकरियों में राज्य के युवाओं को ही लिया जाए। उन्होंने कहा था युवा संकट काल में बेरोजगार होते जा रहे हैं। कांग्रेस की मांग है कि मप्र में सरकारी नौकरी उन्हें ही मिले जिन्होंने प्रदेश में 10वीं की परीक्षा पास की हो।

दिग्विजय सिंह ने कहा था कि उन्होंने अपने कार्यकाल में युवाओं की मदद के लिए नियम बनाया था कि वो ऐसे बच्चों को गवर्नमेंट जॉब देंगे जिन्होंने 10वीं और 12वीं का एग्जाम प्रदेश से पास किया हो। लेकिन बीजेपी ने इस नियम को चेंज कर दिया था।

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