महाराष्ट्र: मंदिर पूजा के नाम पर राजनीति खेल क्यों खेल रही है भाजपा
देश के लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोरोना के बारे में वह बयान अच्छी तरह याद है जिसमें उन्होंने लोगों से घरों में रहकर पूजा-पाठ और नमाज अदा करने की अपील की थी।
लखनऊ: लोकप्रियता के रथ पर सवार भाजपा क्या केवल राजनीतिक हितों से ही वास्ता रखती है। महाराष्ट्र में हिंदू धर्म स्थलों को खोलने के लिए जिस तरह का हंगामा मंगलवार को शुरू हुआ है। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को हिन्दुत्व की याद दिलाई। उसने भाजपा की नीयत पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पूरे देश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार पिछले एक महीने के दौरान सबसे तीव्र रही है। महाराष्ट्र आज भी कोरोना संक्रमण के मामले में नंबर एक पर खड़ा है ऐसे में धर्म स्थलों को खोले जाने से किसे फायदा होगा। धार्मिक स्वतंत्रता के लिए क्या मानव जीवन को दांव पर लगाया जा सकता है।
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रमजान के दौरान मस्जिदों में केवल पांच नमाजी ही उपस्थित रहने की अनुमति
देश के लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोरोना के बारे में वह बयान अच्छी तरह याद है जिसमें उन्होंने लोगों से घरों में रहकर पूजा-पाठ और नमाज अदा करने की अपील की थी। रमजान के दौरान मस्जिदों में केवल पांच नमाजी ही उपस्थित रहने की अनुमति मिली तो काशी, मथुरा और अयोध्या के मंदिरों को पांच से छह महीने तक बंद रखा गया।
ऐसे में महाराष्ट्र में अचानक ऐसा क्या हो गया है कि वहां मंदिरों और धर्म स्थलों को सार्वजनिक प्रयोग के लिए खोला जाना जरूरी हो गया है। भाजपा के कार्यकर्ता मंगलवार को महाराष्ट्र की सड़कों पर उतर आए हैं। हंगामेदार प्रदर्शन कर सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है कि नवरात्र से पहले मुंबई समेत महाराष्ट्र के प्रमुख मंदिरों व धर्म स्थलों को खोल दिया जाए।
राज्यपाल व मुख्यमंत्री के बीच पत्रों के आदान -प्रदान में झलकी राजनीति
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर याद दिलाया है कि वह हिन्दुत्व के बड़े समर्थक हैं। उन्हें मंदिर खोलने का फैसला करना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री से यह भी कहा कि क्या वह अपने सहयोगी दलों के साथ जाकर तथाकथित सेकुलर हो गए हैं। इस राजनीतिक हमले से तिलमिलाए उद्धव ठाकरे ने भी पत्र का जवाब भेजा है और कहा कि उन्हें हिन्दुत्व का प्रमाण पत्र लेने के लिए किसी के समर्थन की जरूरत नहीं है। राज्यपाल भी उन्हें ऐसा प्रमाण पत्र न दें।
महाराष्ट्र में सर्वाधिक कोरोना संक्रमित
महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमितों की तादाद बहुत अधिक है। भाजपा नेता अभी तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की यह कहकर आलोचना करते रहे हैं कि वह कोरोना से निपटने में रणनीतिक चूक करते रहे हैं इससे महाराष्ट्र की जनता के स्वास्थ्य को खतरे में डाल रखा है। अब वही भाजपा उन पर दबाव डाल रही है कि सबसे ज्यादा मरीजों के होते हुए भी वह मंदिर खोल दें। जाहिर है कि मंदिर खोले जाने पर आम श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ेगी जिसे संभालना उद्धव सरकार के लिए संभव नहीं होगा।
अगर सरकार ने श्रद्धालुओं के साथ सख्त रवैया अपनाया तो भाजपा के लोग उन्हें हिन्दू विरोधी और मुस्लिम परस्त बताकर उनकी छवि पर हमला करेंगे और मंदिरों को खोलने की अनुमति नहीं देने पर भी उन्हें सेकुलर राजनीतिक दलों का पिछलग्गू बताया जा रहा है। मंदिरों को खोलने पर महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण भी भयावह और विनाशकारी हो सकता है तब भी उद्धव सरकार ही अलोकप्रिय होगी। इस तरह भाजपा अपने राजनीतिक हित को साधने के लिए जन स्वास्थ्य को भी दांव पर लगाने में हिचक नहीं दिखा रही है।
मंगलवार को भाजपा समर्थक जब महाराष्ट्र में हंगामा कर रहे थे उस दिन तक महाराष्ट्र में 40349 लोगों की मौत हो चुकी है और 15 लाख से भी ज्यादा संक्रमित हो चुके हैं। महाराष्ट्र के बाद दूसरे नंबर पर आंध्रप्रदेश है जबकि कर्नाटक तीसरे तमिलनाडु चौथे और उत्तर प्रदेश पांचवें नंबर है।
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केंद्र सरकार ने कोरोना संक्रमण की जिम्मेदारी राज्यों पर छोड़ी
केंद्र की मोदी सरकार ने कोरोना संक्रमण को रोकने की सारी जिम्मेदारी अब राज्य सरकारों पर छोड़ दी है। किस राज्य में लॉक डाउन रहेगा। किस स्तर का लॉक डाउन होगा यह सारा फैसला राज्य सरकारों पर छोड़ा गया है। इसके बावजूद महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शन के जरिये भाजपा की दबाव वाली राजनीति सवाल खड़े करती है कि क्या उसके लिए जन स्वास्थ्य की सुरक्षा से बढ़कर राजनीतिक स्वार्थ है जो आम लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़काने में एक बार फिर जुट गई है।
अखिलेश तिवारी
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