मनमोहन के कार्यक्रम में मोदी के नारे, सरकार को अर्थव्यवस्था पर दिया ये सुझाव

मनमोहन सिंह ने ये कहा कि देश में लगातार बेरोजगारी बढ़ती जा रही। ऐसे में भारत को 5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए एक अच्छी रणनीति की जरूरत है। पूर्व पीएम ने इस मामले में सुझाव दिया कि अगर केंद्र सरकार 5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना चाहती है तो उसे आतंकवाद रोकना होगा।

Update: 2023-04-05 17:01 GMT
मनमोहन के कार्यक्रम में मोदी के नारे, सरकार को अर्थव्यवस्था पर दिया ये सुझाव

नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक मंत्र दिया है। पूर्व पीएम ने देश को 5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का मंत्र पीएम मोदी को दिया है। सिंह ने कहा कि अगर भारत को 5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था तब ही बनाया जा सकता है जब हम एलपीजी यानि उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (Liberalization, Privatization, Globalization) की नीतियों पर आधारित आर्थिक सुधार के काम को जारी रखेंगे।

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बता दें, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ही वो व्यक्ति हैं, जिन्होंने बतौर केंद्रीय वित्त मंत्री देश में साल 1991 में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीतियों को लागू किया था।

मनमोहन सिंह के कार्यक्रम में लगे मोदी के नारे

जयपुर में आयोजित हुए एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि अभी देश के सामने गरीबी, सामाजिक असमानता, भ्रष्टाचार, सांप्रदायिकता और धार्मिक कट्टरवाद जैसी कुछ प्रमुख चुनौतियां हैं, जिनसे निपटना बेहद जरूरी है। यही नहीं, मनमोहन सिंह जब जब संबोधन के लिए मंच पर आ रहे थे तो छात्रों ने मोदी के समर्थन में नारे भी लगाए।

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अपने संबोधन के दौरान पूर्व पीएम ने ये भी कहा कि आज के समय में हमारी अर्थव्यवस्था काफी धीमी पड़ती नजर आ रही है। जीडीपी लगातार गिरती नजर आ रही है और निवेश की दर भी काफी स्थिर हो गई है। इसके अलावा किसान भी संकट में हैं। बैंकिंग प्रणाली की बात करें तो यह भी संकट का सामना कर रही है।

बढ़ रही बेरोजगारी

मनमोहन सिंह ने ये कहा कि देश में लगातार बेरोजगारी बढ़ती जा रही। ऐसे में भारत को 5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए एक अच्छी रणनीति की जरूरत है। पूर्व पीएम ने इस मामले में सुझाव दिया कि अगर केंद्र सरकार 5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना चाहती है तो उसे आतंकवाद रोकना होगा। इसके साथ ही भिन्न विचारों की आवाजों का सम्मान भी करना होगा। इसके अलावा आर्थिक सुधारों को जारी रखने के लिए कई तरह की नीतियां भी लागू करनी होंगी।

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