Mayawati Government: जब विकीलीक्स रिपोर्ट पर भड़की थीं माया, हजार रुपए की सैंडल पर होते थे 10 लाख शाही खर्च
Mayawati Government :प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री का नाम विकीलीक्स की एक रिपोर्ट में आया। उस वक्त मायावती विकीलीक्स रिपोर्ट से बेहद नाराज हो गई थीं।;
बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती की तस्वीर (डिजाइन फोटो: न्यूज़ट्रैक)
Mayawati Government : बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती (Supremo Mayawati) चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं। धीरे-धीरे उनका राजनीतिक कद इतना बढ़ा कि भले ही वो विपक्ष में बैठें।लेकिन उन्हें दरकिनार नहीं किया जा सकता। बीच-बीच में कई विवादों में भी मायावती और उनकी सरकार के नाम आते रहे। मायावती के खिलाफ उनकी ही पार्टी के कभी बागी तो कभी विपक्ष के नेता टिकट बेचने और पार्टी पैसों के दुरुपयोग जैसे आरोप लगाते रहे हैं।
एक वह दौर भी आया जब प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री का नाम विकीलीक्स की एक रिपोर्ट में आया। उस वक्त मायावती विकीलीक्स रिपोर्ट से बेहद नाराज हो गई थीं। रिपोर्ट में कुछ ऐसा था जिसे विपक्षी दलों ने मुद्दा बनाया और उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। मायावती अब तक दलित उत्थान और सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले के बल पर देश के सबसे बड़े सूबे की सत्ता पर बार-बार काबिज हुईं। लेकिन इस बार उन पर शाहीखर्च का आरोप लगा था।
शाही खर्च का व्यक्तिगत इस्तेमाल
विकीलीक्स की रिपोर्ट में मायावती का आया था नाम (फाइल फोटो - सोशल मीडिया)
अब आप कहेंगे कि किसी मुख्यमंत्री द्वारा शाही खर्च में गलत क्या है? बिलकुल सही। लेकिन, यह खर्च जनता के लिए नहीं था। बल्कि व्यक्तिगत काम के लिए सरकारी खर्च का जिक्र विकीलीक्स की रिपोर्ट में हुआ था। ऑस्ट्रेलियन इंटरनेट एक्टिविस्ट, कंप्यूटर प्रोग्रामर और हैकर जूलियन असांजे की वेबसाइट विकीलीक्स ने साल 2011 में पूर्व सीएम मायावती के शाही खर्च का जो ब्यौरा दिया था, उससे राजनीति में बवाल मच गया था।
अफसर कई बार विमान से सैंडल लाए
जूलियन असांजे ने विकीलीक्स की रिपोर्ट में मायावती के तानाशाही अंदाज में काम करने तक की बात की थी। इस रिपोर्ट में उन्होंने मायावती के अपने आवास से दफ्तर जाने के लिए विशेष सड़क बनवाने तथा पसंदीदा ब्रांड की चप्पलें मंगवाने के लिए सरकारी खर्च पर विमान लखनऊ से मुंबई भेजने का जिक्र किया था। इतना ही नहीं, विकीलीक्स के मुताबिक, "तब मायावती के करीबी आईएसएस अफसर और उस वक्त उनके मुख्य रहे सचिव शशांक शेखर तथा पार्टी के वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्रा के निर्देश पर अफसरों को कई बार मुंबई भेजकर हवाई जहाज से सैंडल मंगवाई गई थी।"
मुख्यमंत्री आवास में रसोइयों की फौज
विकीलीक्स के इसी रिपोर्ट के एक अन्य हिस्से में मायावती सरकार के दौरान मुख्यमंत्री आवास में रसोइयों की फौज तैनात करने का भी जिक्र किया गया था। इसके अलावा भोजन की गुणवत्ता जांचने के लिए खाद्य निरीक्षक तक की नियुक्ति की गई थी। इसे भी सरकारी राशि के दुरुपयोग से जोड़कर देखा गया। जिस पर तब लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों ने आपत्ति जतायी थी।
एक हजार की सैंडल पर 10 लाख खर्च
विकीलीक्स की रिपोर्ट में सबसे ज्यादा बवाल उस हिस्से पर मचा जिसमें कहा गया था, कि मायावती की सैंडल जो एक हजार रुपए की होती थी, उसे लाने में 10 लाख से ज्यादा खर्च हो जाते थे। सरकारी पैसों के इस तरह दुरुपयोग ने मायावती की छवि को धक्का पहुंचाया। तब आम लोगों में भी ये बातें होने लगी थी। साथ ही साथ विपक्षी पार्टियों ने इसे भुनाने का कोई मौका नहीं छोड़ा।
'असांजे को भेज दो पागलखाना'
विकीलीक्स के इन आरोपों पर मायावती आगबबूला हो गई थीं। तब उन्होंने विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन अंसाजे को पागल तक कह दिया था। मायावती ने कहा था, कि जूलियन असांजे को देश की सरकार को पागलखाने भेज देना चाहिए। नहीं, तो यूपी में आगरा का पागलखाना भी खाली है। वहीं उसकी सही जगह है।
कौन है जूलियन असांजे?
विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन अंसाजे (फाइल फोटो - सोशल मीडिया)