मोदी सरकार-2.0 शपथ ग्रहण: दूसरी पारी, उम्मीदें भारी
मोदी के बाद 24 कैबिनेट मंत्रियों, 9 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 24 राज्यमंत्रियों ने शपथ ली। मोदी कैबिनेट में यूपी के सबसे ज्यादा मंत्री बनाए गए हैं। यूपी कोटे से आठ मंत्री बनाए गए हैं जबकि पीएम मोदी भी काशी से सांसद हैं। मोदी ने अपनी कैबिनेट में कई पुराने चेहरों को स्थान दिया है। साथ ही उन्होंने क्षेत्रीय व जातीय संतुलन को साधने की भी कोशिश की है।
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में अपने दम पर भाजपा व एनडीए को प्रचंड बहुमत दिलाने वाले नरेन्द्र दामोदरदास मोदी ने गुरुवार को दोबारा पीएम के रूप में देश की कमान संभाली। मोदी ने राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में आयोजित भव्य समारोह में कई विदेशी राष्ट्राध्यक्षों व देश की महत्वपूर्ण हस्तियों की मौजूदगी में दूसरी बार हिन्दी में शपथ ली। शपथग्रहण के दौरान मोदी पूरी तरह आत्मविश्वास से भरे दिखे। शाम सात बजे आयोजित समारोह में मोदी सहित 58 मंत्रियों ने पद व गोपनीयता की शपथ ली।
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मोदी के बाद 24 कैबिनेट मंत्रियों, 9 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 24 राज्यमंत्रियों ने शपथ ली। मोदी कैबिनेट में यूपी के सबसे ज्यादा मंत्री बनाए गए हैं। यूपी कोटे से आठ मंत्री बनाए गए हैं जबकि पीएम मोदी भी काशी से सांसद हैं। मोदी ने अपनी कैबिनेट में कई पुराने चेहरों को स्थान दिया है। साथ ही उन्होंने क्षेत्रीय व जातीय संतुलन को साधने की भी कोशिश की है। मोदी ने अमित शाह के साथ गहन मंथन करने के बाद मंत्रियों की सूची को अंतिम रूप दिया। वैसे जदयू के किसी मंत्री के शपथ न लेने से यह समारोह विवाद की छाया से नहीं बच सका। यूपी में सहयोगी अपना दल की अनुप्रिया पटेल को भी इस बार मंत्री पद नहीं मिला है।
राजनाथ ने ली नंबर दो पर शपथ
सभी की उत्सुकुता इस बात को लेकर थी कि पीएम मोदी के बाद नंबर दो पर कौन शपथ लेता है। मोदी के बाद शपथ लेने के लिए राजनाथ सिंह का नाम पुकारा गया। राजनाथ को फिर गृह मंत्री बनाए जाने की उम्मीदहै। नंबर तीन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने शपथ ली। शाह के बाद क्रमश: नितिन गडकरी, सदानंद गौड़ा, निर्मला सीतारमण, रामविलास पासवान, नरेन्द्र तोमर, रविशंकर प्रसाद, हरसिमरत कौर बादल, थावर चंद गहलौत, एस.जयशंकर, रमेश पोखरियाल निशंक, अर्जुन मुंडा और स्मृति ईरानी ने पद व गोपनीयता की शपथ ली।
स्मृति के लिए बजीं सबसे ज्यादा तालियां
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद जिस मंत्री के शपथ लेने पर सबसे ज्यादा तालियां बजीं वह स्मृति ईरानी थीं। स्मृति इस बार अमेठी से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को हराकर संसद पहुंची हैं। यही कारण था कि जब शपथ लेने के लिए उनका नाम पुकारा गया तो काफी देर तक तालियां बजती रहीं। मजे की बात यह रही कि उस समय समारोह में स्मृति से चुनाव हारने वाले राहुल गांधी भी मौजूद थे। स्मृति के बाद जिस मंत्री के लिए सबसे ज्यादा तालियां बजीं वह बालासोर से चुनाव जीतने वाले प्रकाश चंद्र सारंगी थे। सादगी पसंद सारंगी झोपड़ी में रहते हैं और उन्होंने अपना पूरा चुनाव प्रचार साइकिल पर किया था।
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जदयू का कोई मंत्री नहीं
शपथ ग्रहण समारोह से पहले रिश्तों की खटास वाली खबर यह आई कि जदयू मोदी कैबिनेट में शामिल नहीं होगी। हालांकि जदयू की ओर से स्पष्ट किया गया कि जदयू एनडीए में बना रहेगा और पार्टी मोदी सरकार को समर्थन जारी रखेगी। सूत्रों के मुताबिक जदयू ने यह कदम नाराजगी में उठाया है। मोदी कैबिनेट में जदयू के एक सांसद को मंत्री बनाया जा रहा था जबकि पार्टी की ओर से मंत्री के तीन पद मांगे जा रहे थे। सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार चाहते थे कि आरसीपी सिंह और लल्लन सिंह को केंद्रीय मंत्री बनाया जाए और संतोष कुशवाहा को राज्यमंत्री का दर्जा मिले. अमित शाह अंतिम समय तक इस मामले को सुलझाने की कोशिश में लगे हुए थे मगर जदयू की नाराजगी दूर नहीं की जा सकी।
नीतीश कुमार ने कहा कि हमने उन्हें सूचित किया कि हमें मंत्री पद की जरूरत नहीं है। यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। हम पूरी तरह से एनडीए में हैं और परेशान नहीं हैं। जदयू नेता बशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि हम मोदी सरकार का हिस्सा नहीं होंगे, लेकिन हमारा गठबंधन जारी रहेगा। हम एनडीए का हिस्सा रहेंगे। नीतीश कुमार मोदी के शपथग्रहण में तो जरूर पहुंचे मगर उनकी पार्टी के किसी सांसद ने मंत्री पद की शपथ नहीं ली। राष्ट्रपति भवन में मौजूद नेताओं के बीच जदयू की नाराजगी चर्चा का विषय बनी रही। जदयू महासचिव के.सी.त्यागी ने कहा कि इसका असर बिहार विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा। हालांकि जदयू से अधिक सांसद वाली शिवसेना ने मंत्री पद को लेकर कोई शिकवा शिकायत नहीं की।
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अनुप्रिया पटेल को नहीं मिला मंत्री पद
अपना दल (एस) ने उत्तर प्रदेश में दो लोकसभा सीटें जीती हैं मगर दल की नेता अनुप्रिया पटेल को इस बार मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिली। मिर्जापुर संसदीय सीट से चुनाव जीतने वाली शपथग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए राष्ट्रपति भवन तो जरूर पहुंची मगर उन्होंने मंत्री पद की शपथ नहीं ली। पिछली बार मोदी मंत्रिमंडल में अनुप्रिया पटेल को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री बनाया गया था। इस बार भी उनके मंत्री बनने की अटकलें लगाई जा रही थीं। अनुप्रिया पटेल के अलावा अपना दल के पकौड़ी लाल कोल ने राबट्र्सगंज से इस बार विजय हासिल की है।
शपथ के दौरान भटके दो मंत्री
शपथग्रहण समारोह में एक दिलचस्प वाकया देखने को मिला। मनसुख मांडविया और फग्गन सिंह कुलस्ते पद और गोपनीयता की शपथ लेने के दौरान अपने नाम से पहले मैं लगाना भूल गए। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तुरंत भूल सुधार कराया और दोनों मंत्रियों से दोबारा अपने नाम के साथ मैं जोडऩे को कहा। राष्ट्रपति यह कहते हुए सुने गए कि मंत्री जी अपने नाम के साथ मैं लगाइए। मनसुख मांडविया वही नेता हैं जिन्हें संसद में साइकिल से जाने के लिए जाना जाता है। इस बार उन्हें दोबारा मंत्री बनाया गया है। मांडविया ने साइकिल से शपथ ग्रहण में जाने के बारे में कहा कि मेरे लिए साइकिल पर शपथ ग्रहण में जाना कोई फैशन नहीं है बल्कि यह मेरा पैशन है।
राष्ट्रपति ने जिस दूसरे नेता से भूल सुधार कराया उनका नाम है फग्गन सिंह कुलस्ते। कुलस्ते मध्य प्रदेश की मंडला लोकसभा सीट से छठी बार जीते हैं। कुलस्ते को इस बार फिर मोदीकैबिनेट मेंजगहमिलीहै।
वे पहले भी केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। कुलस्ते को पार्टी का सबसे बड़ा आदिवासी चेहरा माना जाता है। उनका विवादों से भी नाता रहा है। उन्होंने ही संसद में नोंटों का बंडल लहराया था।
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मां ने घर पर देखा बेटे का शपथग्रहण समारोह
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मां हीरा बेन ने अपने घर पर बेटे का शपथग्रहण समारोह टीवी पर देखा। बेटे के शपथ पूरा करते ही बुजुर्ग मां खुद को ताली बताने से नहीं रोक सकीं। एएनआई की ओर से जारी ट्वीट में जानकारी दी गई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां ने अहमदाबाद स्थित अपने घर पर नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह देखा। वह गांधीनगर के समीप रायसान गांव में वृंदावन बंगला में अपने छोटे बेटे और प्रधानमंत्री के छोटे भाई पंकज के साथ रहती हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमत दिलाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपनी मां हीराबेन से मिलकर उनका आशीर्वाद लिया था।
पिछली सरकार के दो बड़े चेहरे नहीं
मोदी की पिछली कैबिनेट के दो बड़े चेहरे इस बार कैबिनेट में नहीं होंगे। पिछली बार वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली ने स्वास्थ्य कारणों से पहले ही मोदी को पत्र लिखकर मंत्रिमंडल में शामिल होने से मना कर दिया था। दूसरा बड़ा नाम सुषमा स्वराज का है। स्वराज अभी तक विदेश मंत्री थीं। विदेश मंत्री के रूप में उन्हें खूब प्रशंसा भी मिली थी मगर इस बार वे मोदी कैबिनेट में नहीं दिखेंगी। उन्हें लेकर आखिरी समय तक अटकलें लगती रहीं। वे शपथग्रहण समारोह में जरूर पहुंचीं मगर जब वे नए मंत्रियों के लिए निर्धारित कुर्सी पर नहीं बैठीं तो स्पष्ट हो गया कि वे शपथ नहीं लेने जा रही हैं। यह भी कहा जा रहा है कि जेटली की तरह ही सुषमा ने भी स्वास्थ्य कारणों से मंत्री बनने से इनकार कर दिया था। पिछली सरकार के एक और दमदार मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर के मोदी कैबिनेट में न होने का बड़ा अचरज माना जा रहा है क्योंकि मंत्री के रूप में राठौर ने अच्छा काम किया था। महेश शर्मा को भी इस बार मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिली है।