महाराष्ट्र में शिवसेना को झटका: 400 से अधिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगा छोड़ी पार्टी

बता दें कि 24 अक्टूबर को आए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी 105 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी जबकि शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली है लेकिन बीजेपी के साथ गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने वाली शिवसेना का सरकार गठन को लेकर उससे मतभेद हो गया।

Update: 2019-12-05 16:00 GMT

महाराष्ट्र: राज्य में लंबे जद्दोजहद के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने वाली शिवसेना को झटका लगा है. मुंबई के धारावी में करीब 400 शिवसेना कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सदस्यता ग्रहण कर ली है। बताया जा रहा है कि ये सभी कार्यकर्ता शिवसेना के कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने से खासे नाराज हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि शिवसेना ने भ्रष्ट और विरोधी दलों से हाथ मिलाया है।

ये भी पढ़ें—प्याज ने दिया सरकार को टेंशन: गृहमंत्री अमित शाह ने किया बैठक, लिया ये फैसला

माना जा रहा है कि पार्टी छोड़कर जाने वाले ये सभी कार्यकर्ता शिवसेना के अपने घुर विरोधियों- एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के फैसले से नाराज थे. इसलिए उन्होंने बीजेपी में जाने का फैसला किया. नाडार ने यह भी बताया कि कई और कार्यकर्ता भी हैं जो शिवसेना से नाराज हैं। उनका कहना है कि पिछले सात साल से वे एनसीपी और कांग्रेस के खिलाफ लड़ रहे थे। चुनाव के दौरान उन्होंने लोगों के घर-घर जाकर वोट मांगे थे लेकिन अब वे उनसे कैसे आंख मिला पाएंगे जिनसे उन्होंने ईमानदार सरकार बनाने के लिए वोट मांगे थे।

शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत दर्ज की है

बता दें कि 24 अक्टूबर को आए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी 105 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी जबकि शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली है लेकिन बीजेपी के साथ गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने वाली शिवसेना का सरकार गठन को लेकर उससे मतभेद हो गया।

ये भी पढ़ें—भाजपा सरकार के कुशासन के खिलाफ 14 दिसंबर को दिल्ली में रैली करेगी कांग्रेस

शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद और 50-50 फॉर्मूले की मांग रखी थी जिससे बीजेपी ने इनकार कर दिया। विवाद बढ़ने पर शिवसेना ने बीजेपी के साथ तीस साल पुरानी अपनी दोस्ती तोड़ ली थी। इसके बाद उसने एनसीपी और कांग्रेस के साथ महा विकास अघाडी (गठबंधन) कर राज्य में नई सरकार का गठन किया।

Tags:    

Similar News