नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में शीघ्र नयी सरकार शपथ ले सकती है। यह सरका भाजपा और नॅशनल कॉन्फ्रेंस के गठजोड़ की होगी। इससके आधार में अटल बिहारी बाजपेयी की नीतियां होंगी ताकि नेका को कही असहज न होना पड़े। सूत्र बता रहे हैं कि इसके लिए कवायद शुरू हो गई है। इसमें नए राज्यपाल सत्यपाल मालिक की भूमिका को भी बहुत मह्त्वपूर्ण माना जा रहा है।
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सूत्रों के अनुसार इससे पहले पीडीपी और भाजपा के बीच गठजोड़ सभी देख चुके हैं। इसलिए अब नए गठबंधन की साथी नेकां लोगों को कहेगी कि हमने दूसरे चुनाव से बचने, रुके विकास कार्यों को पूरा करने और रियासत में लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए यह गठजोड़ किया है। इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत के अटल बिहारी वाजपेयी के सिद्धांत को आगे बढ़ाकर कश्मीर मसले के हल करने का आश्वासन दिया है।
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इस मामले में जम्मू कश्मीर की सियासत के जानकार रहे हैं कि रियासत के नए राजयपाल जिस प्रकार की राजनीतिक पृष्ठभूमि के हैं उससे उनकी राजनीतिक कुशलता पर संदेह नहीं किया जाना चाहिए। वह कांग्रेस, समाजवादी, लोकदल समेत विभिन्न राजनीतिक दलों में रह चुके हैं।
पीडीपी के साथ भी उनके संबंध बहुत अच्छे हैं। डॉ. फारूक अब्दुल्ला के साथ भी उनकी घनिष्ठता है। नेकां पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में एनडीए का हिस्सा रह चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला उस समय केंद्र में मंत्री थे।
जानकारों के अनुसार हाल के दिनों में डॉ. फारुख अब्दुल्ला के वक्तव्य और उनकी सक्रियता इस बात की गवाह है कि रियासत की राजनीति नयी दिशा में जा रही है। डॉ. अब्दुल्ला की नए राजयपाल से निकता भी है। नए राजयपाल के श्रीनगर पहुंचने पर जिस गर्मजोशी से उन्होंने उनका स्वागत किया वह देखने लायक था।
वैसे भी डॉ. अब्दुल्ला ने पिछले कुछ महीनो से कश्मीर को लेकर जिस ढंग से बातें की हैं और खासतौर पर खुद को प्रबल राष्ट्रवादी होने की बात कही है उससे जाहिर है कि कही न कही केंद्र की तरफ से भी उनके लिए सकारात्मक संकेत हैं। वैसे भी राजनीति में कही भी स्थाई मित्रता और दुश्मनी नहीं होती।