महाराष्ट्र: शिवसेना को तगड़ा झटका, पवार ने कह दी ये बड़ी बात
महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए 145 सीटों की जरूरत है, जबकि विधानसभा चुनावों के नतीजे के बाद बीजेपी के पास 105 तो शिवसेना के पास 56 सीटें हैं। ऐसे में जहां शिवसेना 50-50 फॉर्मूले की बात कर रही है तो बीजेपी इसपर तैयार नहीं है।
मुंबई: महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए अभी भी मशक्कत जारी है। ऐसे में शिवसेना की उम्मीदों को एक बड़ा झटका लगा है। दरअसल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार ने सरकार बनाने को लेकर साफ कह दिया है कि उनकी पार्टी विपक्ष में बैठने वाली है। पवार ने कहा कि उनकी पार्टी को जनता ने विपक्ष के रूप में चुना है, जिसकी वजह से वह विपक्ष में बैठेंगे।
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वहीं, शिवसेना नेता संजय राउत से गुरुवार को मुलाक़ात के बाद शरद पवार ने कहा कि राउत उनसे मिलने जरूर आए थे, लेकिन इस दौरान सरकार बनाने को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई। पत्रकारों से बातचीत के दौरान पवार ने कहा कि सीएम पद और सीट बंटवारे को लेकर जो खींचतान बीजेपी और शिवसेना के बीच चल रही है, वह एक बचकानी हरकत है।
शिवसेना को समर्थन देने के मूड में नहीं पवार
सूत्रों के अनुसार, शरद पवार के अलावा अब तो कांग्रेस भी शिवसेना को समर्थन देने के मूड में नजर नहीं आ रही है। दरअसल सोनिया गांधी के घर पर कांग्रेस की बैठक हुई थी, जिसमें ये तय हुआ कि कांग्रेस विपक्ष में बैठेगी। हालांकि, शुरुआत में कांग्रेस शिवसेना को समर्थन देने के मूड में थी, लेकिन अब पार्टी ने अपना मन बदल लिया है। कांग्रेस का कहना है कि वह सरकार बनाने को लेकर कोई जल्दबाज़ी में फैसला नहीं करना चाहती।
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वहीं, महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर सोनिया गांधी के घर पर बैठक हुई थी, जिसमें पूर्व सीएम अशोक चव्हाण, बालासाहेब थोरट, मणिरॉव ठाकरे और पृथ्वीराज चौहान मौजूद थे। इस दौरान कई मुद्दों पर चर्चा हुई, लेकिन निष्कर्ष क्या निकला इसकी जानकारी अभी किसी को नहीं है। बैठक को लेकर बालासाहेब थोरट ने कहा कि सोनिया गांधी को विधानसभा चुनाव के सभी चीजों की रिपोर्ट देनी थी, जो कि उनको सौंप दी गयी।
सरकार बनाने के लिए जरूरी हैं 145 सीटें
बता दें, महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए 145 सीटों की जरूरत है, जबकि विधानसभा चुनावों के नतीजे के बाद बीजेपी के पास 105 तो शिवसेना के पास 56 सीटें हैं। ऐसे में जहां शिवसेना 50-50 फॉर्मूले की बात कर रही है तो बीजेपी इसपर तैयार नहीं है। इसकी वजह से शिवसेना दूसरे रास्ते तलाश रही है। दूसरे रास्ते के तौर पर शिवसेना के पास कांग्रेस या एनसीपी के साथ गठबंधन करने का विकल्प था। इस बार कांग्रेस ने 44 तो एनसीपी ने 54 सीटों पर कब्जा किया था।