ममता के विरोधी दिनेश त्रिवेदी! TMC में रहकर भी हमेशा बागी तेवर, क्या छोड़ेंगे पार्टी

ममता की पार्टी में उनके साथ रहकर भी त्रिवेदी अपनी अलग लाइन खींचते रहे हैं। उन्होंने पहले भी रेलमंत्री रहते हुए ममता बनर्जी के एजेंडे को लागू करने से साफ मना कर दिया था जिसकी वजह से उन्हें रेल मंत्री का पद भी गंवाना पड़ा था।

Update: 2021-02-12 14:21 GMT

अखिलेश तिवारी

नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दिनेश त्रिवेदी ने शुक्रवार को जब सदन में सदस्यता से इस्तीफा देने का ऐलान किया तो उनके बारे में अटकलें तेज हो गई कि वह टीएमसी छोडक़र भाजपा का दामन थामने वाले हैं। त्रिवेदी का अगला कदम क्या होगा, यह तो अभी निश्चित नहीं है लेकिन उन्होंने ऐसा पहली बार नहीं किया है।

TMC के राज्यसभा सदस्य दिनेश त्रिवेदी की बगावत

ममता की पार्टी में उनके साथ रहकर भी त्रिवेदी अपनी अलग लाइन खींचते रहे हैं। उन्होंने पहले भी रेलमंत्री रहते हुए ममता बनर्जी के एजेंडे को लागू करने से साफ मना कर दिया था जिसकी वजह से उन्हें रेल मंत्री का पद भी गंवाना पड़ा था।

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तृणमूल कांग्रेस के सांसद दिनेश त्रिवेदी की राजनीति सबसे अलहदा है। एक साल पहले ही उन्हें टीएमसी ने राज्यसभा में पहुंचाया है। कांगे्रस के साथ राजनीति की शुरुआत करने वाले त्रिवेदी अगर भारतीय जनता पार्टी का झंडा थामते हैं तो उनका देश के लगभग सभी प्रमुख राजनीतिक दलों में भ्रमण का नया कीर्तिमान स्थापित हो सकता है।

दिनेश त्रिवेदी का राजनीतिक जीवन

कांग्रेस के बाद 1990 में उन्होंने विश्वनाथ प्रताप सिंह की अगुवाई वाले जनता दल के साथ राजनीति शुरू की लेकिन जब उन्होंने देखा कि जनता दल का सूरज अस्त हो रहा है तो पश्चिम बंगाल में नया राजनीतिक जनाधार तैयार कर रही ममता बनर्जी के साथ जुड़ गए। 1998 में ममता बनर्जी ने जब टीएमसी का गठन किया तो दिनेश त्रिवेदी को राष्ट्रीय महासचिव का भारी भरकम ओहदा दे दिया। ममता ने पार्टी की राजनीति में उन्हें हमेशा आगे बढ़ाया और जब केंद्र की मनमोहन सरकार को छोडक़र पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री बनीं तो दिनेश त्रिवेदी को अपना उत्तराधिकारी बना दिया।

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रेलमंत्री रह चुके दिनेश त्रिवेदी

रेलमंत्री रहने के दौरान दिनेश त्रिवेदी ने सरकार के साथ अपनी नजदीकियां बढ़ानी शुरू कर दीं और एक वक्त ऐसा आया जब ममता बनर्जी के गरीब उन्मुख रेल बजट के बजाय उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आर्थिक सुधार वाला रेल बजट पेश कर दिया। बताया जाता है कि रेल किराया बढ़ाने वाला बजट तैयार करने से ममता ने उन्हें मना किया था लेकिन दिनेश त्रिवेदी नहीं माने। तब ममता को कठोर फैसला लेना पड़ा और उन्हें हटाकर मुकुल रॉय को रेल मंत्री बनाया गया।

मनमोहन सिंह के दम पर कांग्रेस में शामिल होने की कोशिश कर चुके त्रिवेदी

राजनीति के जानकारों के अनुसार तब त्रिवेदी ने मनमोहन सिंह के दम पर कांग्रेस में शामिल होने की कोशिश भी की थी लेकिन कांग्रेस ने ममता बनर्जी के साथ अपने संबंधों को ध्यान में रखकर त्रिवेदी को तवज्जो देने से मना कर दिया। इसके बाद त्रिवेदी मजबूर होकर टीएमसी में काम करते रहे। ममता ने भी उनकी बगावत को भुलाकर उन्हें मौका दिया लेकिन त्रिवेदी ने एक बार फिर अपने व्यवहार से सभी को चौंका दिया है। जिस तरह से उन्होंने पांच साल पहले ही अपनी सदस्यता छोड़ी है इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि त्रिवेदी ने कुछ बड़ा पाने के लिए यह छोटा दांव लगाया है।

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