जानिए कैसे, कुलदीप सिंह सेंगर की बर्बादी के सबसे असली विलेन हैं अखिलेश यादव

ऐसे में सेंगर ने आव देखा न ताव, तुरंत पार्टी बदल दी। इस बार सेंगर ने बीजेपी का दामन थामा। बीजेपी ने इस बार सेंगर को उन्नाव की बांगरमऊ विधानसभा की सीट से चुनाव लड़ने का मौका दिया। यहां से सेंगर चौथी बार विधायक बन गए।

Update:2019-08-02 13:43 IST

लखनऊ: उन्नाव रेप केस के मुख्य आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर को बीजेपी ने पार्टी से निष्कासित कर दिया है। मालूम हो, सेंगर उत्तर प्रदेश की सोलहवीं विधानसभा में विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत कांग्रेस के साथ की थी।

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इसके बाद साल 2002 में सेंगर ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और विजयी रहे। फिर साल 2007 में सेंगर ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। इसके बाद वह साल 2017 में बीजेपी में शामिल हो गए। यहां भी उन्होने 2017 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा जीता।

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मगर आज हम आपको बताएंगे कि आखिर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कुलदीप सिंह सेंगर को कैसे बर्बाद किया।

कुलदीप सिंह सेंगर ने अखिलेश यादव से की थी बगावत

साल 2016 में जब सेंगर सपा से भगवंत नगर विधानसभा सीट से विधायक थे, तब जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव होना था। उस दौरान सेंगर ने पत्नी संगीता के लिए सपा का टिकट मांगा। मगर अखिलेश ने सेंगर की पत्नी संगीता को टिकट न देकर ज्योति रावत को टिकट दे दिया। ऐसे में सेंगर ने अखिलेश यादव से बगावत करते हुए पत्नी संगीता को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतार दिया।

पत्नी को सेंगर ने जिताया था चुनाव

जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में सपा को तगड़ा झटका तब लगा, जब वह सेंगर के तिलिस्म को तोड़ नहीं पाई। सेंगर ने अपनी पत्नी को जिताने के लिए जी-जान लगा दी थी। ऐसे में जब इसका नतीजा आया तो दोनों को वोट बराबर मिले। इसलिए तब सिक्का उछाल कर चुनाव का फैसला हुआ। यहाँ सेंगर की पत्नी ने बाजी मार ली और वह जिला पंचायत अध्यक्ष बन गईं।

अखिलेश से पंगा लेना सेंगर को पड़ा भारी

जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के बाद 2017 का विधानसभा चुनाव आया। इस बार अखिलेश यादव ने कुलदीप सिंह सेंगर से किनारा कर लिया। ऐसे में सेंगर ने आव देखा न ताव, तुरंत पार्टी बदल दी। इस बार सेंगर ने बीजेपी का दामन थामा। बीजेपी ने इस बार सेंगर को उन्नाव की बांगरमऊ विधानसभा की सीट से चुनाव लड़ने का मौका दिया। यहां से सेंगर चौथी बार विधायक बन गए।

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