कोरोना से जंग में जुटा एक परिवार, 1000 मास्क मुफ्त बांटे, लोगों को कर रहे जागरूक
कोरोना वायरस की दहशत पूरे विश्व में है। भारत में संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। यह एक अति संक्रामक वायरस है। इससे बचने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन और सरकार ने सामाजिक दूरी बनाये रखने, ज़रूरत पड़ने पर मास्क पहनने और हर हाल में घर पर ही रहने की हिदायत दी है।
तेज प्रताप सिंह
गोंडा: कोरोना वायरस की दहशत पूरे विश्व में है। भारत में संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। यह एक अति संक्रामक वायरस है। इससे बचने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन और सरकार ने सामाजिक दूरी बनाये रखने, ज़रूरत पड़ने पर मास्क पहनने और हर हाल में घर पर ही रहने की हिदायत दी है। प्रशासन और विभिन्न सामाजिक संगठन अपने स्तर पर लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं, लेकिन फिर भी मास्क की किल्लत बाज़ार में बनी हुई है। समाज का एक वर्ग ऐसा भी है, जिसे न तो इस वायरस की जानकारी है और न ही वे इन चीज़ों को खरीद सकते हैं। ऐसे में गोंडा जिले में तरबगंज बाजार के घनश्याम जासवाल परिवार ने इस महामारी के खिलाफ अपनी तरफ से एक मुहिम छेड़ी है। जायसवाल परिवार से यह सीखा जा सकता है कि व्यक्ति अगर अपनी ज़िम्मेदारी का सही तरीके से निर्वाहन करे, तो वो बड़ी से बड़ी चुनौती का आसानी से सामना कर सकता है।
अब तक 1000 मास्क बांटे
जिले में स्वच्छत भारत मिशन के ब्रांड अम्बेस्डर व्यवसाई घनश्याम जायसवाल काफी समय से स्वच्छता को लेकर मुहिम चला रहे हैं। इस मुहिम में वे लोगों के घर जाकर शौचालय बनाने के लिए प्रेरित करते हैं और शासन प्रशासन के अधिकारियों से मिलकर सहायता भी दिलाते हैं। गरीबों, विकलांगों के लिए स्वयं के पैसे से शौचालय बनवाते हैं। जब घनश्याम को पता चला कि बाज़ार में मास्क की कालाबाज़ारी हो रही है और एक बड़ा तबका है जो मास्क खरीदने में सक्षम ही नहीं है। बहुत लोगों को यह भी नहीं पता था कि कोरोना वायरस जैसा इन्फेक्शन भी फ़ैल रहा है। ये देख कर घनश्याम ने घर पर ही मास्क बनाने का काम शुरू कर दिया।
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घनश्याम कहते हैं, स्वच्छता के अभियान को अभी हमने रोक दिया है क्योंकि अभी देश संकट में है और सबसे अधिक जरुरत इस महामारी से निपटने की है। एक आम व्यक्ति जिस दिन अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास कर लेगा उस दिन हम बड़ी से बड़ी आपदा से निपट लेंगे। पहले दिन हम सिर्फ 100 मास्क बना पाए थे, लेकिन धीरे-धीरे लोगों का सहयोग हमें मिल रहा है और अब तक हमने 1000 से अधिक मास्क बनाकर बाज़ार और गांवों में बांट दिए हैं। ये मास्क पूर्ण रूप से सुरक्षित हैं तथा इसे धोकर फिर से उपयोग किया जा सकता है। महामारी से निपटने के लिए उन्होंने दलित बस्तियों में जाकर लोगों को डेटाल बांटा।
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देश के काम आ सकती हूं
जहां घनश्याम लोगों को मास्क का वितरण कर रहे हैं वहीं उनकी पत्नी सरिता अपनी बेटियों ज्योति और गुड़िया के साथ दिन-रात सिलाई मशीन पर मास्क बनाने का कार्य करती हैं। सरिता कहती हैं कि इस महामारी के खात्मे के लिए एक-एक व्यक्ति को अपना समय देना होगा। डाक्टर, नर्स, पुलिस अपना काम कर रहे हैं तो मैं गृहणी होकर मास्क क्यों नहीं बना सकती। जब तक यह महामारी नियंत्रित नहीं हो जाती है, हमारा पूरा परिवार अपना हर संभव प्रयास करेंगे।
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नेकी की दीवार पर उपलब्ध है मास्क
समाजसेवी घनश्याम घर में तैयार कुछ मास्क बाजार में बनी नेकी की दीवार पर टांग देते हैं जहां से गुजरने वाले राहगीर मास्क लेकर पहन लेते हैं। इसके अलावा वे गांव में जाकर गरीबों मास्क पहनाकर उनसे घर में ही रहने की अपील करते हैं।