अमृतसरियों को याद आए 'मेघनाद' और 'हनुमान'

लॉकडाउन के बीच करीब 33 साल बाद पौराणिक धारावाहिक रामायण की दूरदर्शन पर दोबारा वापसी हो गई है। एक समय का सुपरहिट-डुपरहिट रहा ये शो इस दौर में भी जबरदस्त हिट साबित हो रहा है। खुद भगवान राम का किरदार निभाने वाले अभिनेता अरुण गोविल और लक्ष्‍मण की भूमिका निभाने वाले सुनील लहरी भी दर्शकों का आभार जताते देखे गए थे।

Update: 2020-04-17 14:05 GMT

दुर्गेश पार्थसारथी

अमृतसर: लॉकडाउन के बीच करीब 33 साल बाद पौराणिक धारावाहिक रामायण की दूरदर्शन पर दोबारा वापसी हो गई है। एक समय का सुपरहिट-डुपरहिट रहा ये शो इस दौर में भी जबरदस्त हिट साबित हो रहा है। खुद भगवान राम का किरदार निभाने वाले अभिनेता अरुण गोविल और लक्ष्‍मण की भूमिका निभाने वाले सुनील लहरी भी दर्शकों का आभार जताते देखे गए थे।

अमृतसर के विजय अरोड़ा नें निभाया था रामायण में 'मेघनाद' का किरदार

रामायण का प्रसारण शुरू होते ही इसके कलाकार फिर से चर्चा में आ गए हैं। इनमें से कुछ जिवित हैं तो कुछ इस दुनिया को अलविदा कह गए हैं। इनमें से हनुमान और मेघनाद का ऐसा किरदार था जिसे राम, लक्ष्‍मण और रावण के साथ-साथ लोगों ने सबसे अधिक पसंद किया।

रामायण में दमदार अभिनय करने वाले अमृतसर निवासी 'इंद्रजीत' विजय अरोड़ा का कैंसर की वजह से करीब 13 साल पहले फरवरी 2007 में निधन हो गया था। जबकि 'हनुमान' दारा सिंह रन्धावा 2012 का मुंबई में निधन हो गया था।

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अमृतसर में बीता हनुमान और मेघनाद का बचपन

इन दिनों टीवी स्‍क्रीन पर फिर से हनुमान और मेघनाद को देख गुरु नगरी को लोगों इन दोनो कलाकारों की याद आने लगी है। क्‍योंकि दारा सिंह और विजय अरोड़ा का बचपन अमृतसर की गलियां में बीता है।

चित्रा सिनेमा के सामने होती विजय अरोड़ा के पिता की दुकान

पंजाबी फिल्‍मों के लेखक, निर्देशक और अभिनेता मुकेश कुंद्रा कहते हैं कि 'मेघनाद' विजय आरोड़ा के पिता की चित्रा सिनेमा के पास दुकान हुआ करती थी। यह बात करीब पचास साल पहले की है। विजय का परिवार 1971से पहले मुंबई बस गया था। कुंद्रा के मुताबकि विजय अरोड़ा का पुस्‍तैनी मकान नमक मंडी में होता था।

 

उन्‍होंने कहा कि एक बार हमने दारा सिंह की कुश्‍ती देखी थी। हनुमान के किरदार ने दारा सिंह को अमर बना दिया। ये दोनों ही कलकार पंजाब खासकर अमृतसर के कलाकारों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

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मेघनाद के किरदार ने बना दिया अमर

हिंदी और पंजाबी फिल्‍मों के चरित्र अभिनेता अशोक सलवान कहते हैं कि दारा सिंह और विजय रोड़ा ये पंजाब के कलाकारों के सिरमौर थे। बचपन में इन दोनो अभिनेताओं की फिल्‍में देखी थी। लॉकडाउन में ही सही अब करीब 30-32 साल बाद दोबारा दूरदर्शन पर 'हनुमान' और 'मेघनाद' के अभिनय को देखने का मौका मिल रहा है।

अमृतसर के गांव धरमूचक के रहने वाले थे दारा सिंह

'हनुमान' दारा सिंह रन्धावा अमृतसर जिले के गांव धरमूचक के रहने वाले थे। कम उम्र में ही उनके पिता सूरत सिंह रन्धावा दारा सिंह से आयु में बहुत बड़ी लड़की से शादी कर दी। कहा जाता है कि मां ने बेटे को जल्‍दी जवान होने के लिए बादाम, मक्खन और भैंस का दूध पिलाना शुरू कर दिया। नतीजा यह हुआ कि सत्रह साल की नाबालिग उम्र में ही दारा सिंह प्रद्युम्न रंधावा नामक बेटे के बाप बन गये।

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दारा सिंह और उनके भाई गांव में करते थे पहलवानी

दारा सिंह और उनका छोटा भाई सरदारा सिंह दोनों मिल कर गांव में पहलवानी करते थे। धीरे-धीरे आसपास के गांव के दंगलों से लेकर शहरों तक में ताबड़तोड़ कुश्तियां जीतकर दोनों भाइयों ने गांव का नाम रोशन किया। कहा जाता है कि दारा सिंह ने 1947से 1954 कुश्‍ती लड़ते रहे। वे हर मुकाबले में विजेता रहे। 1983 में उन्होंने अपने जीवन का अन्तिम मुकाबला जीता। यही नहीं बाजपेयी सरकार में वह राज्‍य सभा के मनोनित सदस्‍य भी रहे।

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