अपने लचीले रवैये से कोरोना के जाल में फंसे इन 5 राज्यों के सीएम
ऐसे राज्यों में सबसे आगे महाराष्ट्र है, जिसे सबसे अधिक कोरोना संकट का सामना करना पड़ा है। इसके पीछे इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों की उदारवादी और ढुलमुल नीति और उनका लचर रवैया भी रहा है जिसने उन्हे इस संकट में डालने का काम किया है।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ: कोरोना की जंग में देश के कई राज्य इसके खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखे हुए हैं। इनमें से कई राज्य कुछ हद तक सफल हुए है और कुछ राज्य इस प्रयास में हैं कि जल्द ही कोरोना के संकट से छुटकारा मिल जाएगा पर कुछ राज्य ऐसे भी हैं जो कोरोना के खिलाफ चल रही जंग में उतने सफल नहीं हो पाए जितने उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों की तरफ से प्रयास किए गए।
ऐसे राज्यों में सबसे आगे महाराष्ट्र है, जिसे सबसे अधिक कोरोना संकट का सामना करना पड़ा है। इसके पीछे इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों की उदारवादी और ढुलमुल नीति और उनका लचर रवैया भी रहा है जिसने उन्हे इस संकट में डालने का काम किया है।
इन राज्यों में तबलीगी जमात से जुडे़ लोगों की कोराना संक्रमण बढाने में बड़ी भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है। आईए आपको बताते हैं ऐसे ही राज्यों और उनके मुख्यमंत्रियों के बारे में:-
महाराष्ट्र (उद्धव ठाकरे)
पिछले साल चली लम्बी मशक्कत के बाद महाराष्ट्रके मुख्यमंत्री बने उद्वव ठाकरे ने पार्टी के मूल स्वाभाव के विपरीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का समर्थन लिया और 28 नवम्बर को मुख्यमंत्री बन बैठे। उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री होते हुए भी अब तक न तो किसी विधानपरिषद के सदस्य हैं और न ही विधानसभा के।
मूलरूप से हिन्दुत्ववादी विचारधारा वाली पार्टी शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनने के बाद से खुलकर सरकार चलाने में नाकाम ही रहे हैं। जमातियों के मामले में भी वह ज्यादा कड़ी कार्रवाई से बचते रहे जिसका नतीजा अब सबके सामने है।
महाराष्ट्र के पुणे जिले में तबलीगी जमात के 11 सदस्य एक मस्जिद से कथित रूप से भाग चुके हैं। हाल यह है कि पुणे से लेकर मुम्बई तक कोरोना संक्रमित है। आज हाल यह है कि महाराष्ट्र में 2500 कोरोना संक्रमित हैं जबकि 150 लोगों की मौत हो चुकी है।
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दिल्ली ( अरविन्द केजरीवाल)
कोरोना संक्रमण फैलने की घटना सबसे पहले दिल्ली में ही सामने आई थी। दिल्ली पुलिस ने निजामुद्दीन पश्चिम में इस महीने की शुरुआत में बड़ी धार्मिक सभा की अगुवाई करने वाले मौलाना के खिलाफ कोविड-19 संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए कोई जनसभा आयोजित नहीं करने और सामाजिक दूरी बनाए रखने संबंधी सरकारी आदेशों के उल्लंघन को लेकर जब मामला दर्ज किया।
तब तक काफी देर हो चुकी थी। इसके लक्षणों की शुरूआत तो फरवरी के अंत से ही होने लगी थी जब दिल्ली के शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों को हुजूम एकत्र होता रहा पर मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल अपनी वोट बैंक की राजनीति के चलते यह तमाशा देखते रहे।
इसके बाद जब कोरोना का कहर दिल्ली से निकलकर पूरे देश में दिखा। तब मुख्यमंत्री केजरीवाल ने तत्परता दिखाई। उन्होंने कोरोना वायरस को जड़ से खत्म करने के लिए दिल्ली सरकार ने तलबीगी जमात से जुड़े 1950 लोगों के फोन नंबर दिल्ली पुलिस को दिए।
इन सभी लोगों को निजामुद्दीन से निकाला गया था। पर तब तक काफी देर हो चुकी थी। दिल्ली में अबतक 24 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि कोरोना संक्रमितों की संख्या 1154 हो चुकी है।
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ममता बनर्जी (पश्चिम बंगाल)
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने राज्य के उन लोगों के बारे में कोई भी अपडेट देने इनकार कर दिया है। जिन्होंने पिछले माह दिल्ली में आयोजित तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शिरकत की थी।
यहीं नहीं एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब ममता बनर्जी से यह सवाल पूछा गया कि क्या जमात के कार्यक्रम में भाग लेने वाले राज्य के लोगों को ट्रेस किया गया है जो मुख्यमंत्री ने गुस्से में कहा, ‘ऐसे कम्युनल सवाल मत पूछिए’।
हाल यह है कि अब ममता बनर्जी और केन्द्र सरकार में कोरोना प्रभावित संक्रमितों को लेकर टकराव की स्थिति पैदा हो चुकी है। ममता इसके आंकड़ों को जारी करने से लगातार बच रही है।
केन्द्र सरकार की संख्या अलग है और ममता बनर्जी की सरकार कुछ और बता रही हैं। पश्चिम बंगाल में अब तक कोरोना से सात लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि संक्रमितों का अबतक कोई आंकड़ा सामने नहीं आया है।
पिनराई विजयन (केरल)
देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या इसी राज्य में पाई गयी। यही वह राज्य है जिसमें सबसे पहले यानी कि मार्च महीने के शुरूआत से ही कोरोना के मरीज मिलने शुरू हो गए थे। दिल्ली के निजामुद्दीन तबलीगी जमात से वापस लौटे 300 लोगों की इस प्रदेश में पहचान की जा चुकी है।
दो हफ्ते पहले तक सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से एक केरल में इस जानलेवा वायरस की रफ्तार सुस्त पड़ गई है। मुसिलम बाहुल्य इस छोटे राज्य में शुरूआती दौर में राज्य सरकार ने बेहद उदारता पूर्ण रवैया अपनाया जिसका असर यह रहा कि इस राज्य में सबसे अधिक कोरोना संक्रमित होते गए। केरल में कोरोना वायरस के अब तक 374 मरीज मिले हैं, इनमें से लगभग आधे यानी 179 मरीज पूरी तरह ठीक भी हो चुके हैं जबकि 2 की मौत हुई है।
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के पलानीस्वामी (तमिलनाडु)
हजरत निजामुद्दीन से तमिलनाडु एक्सप्रेस 13-14 मार्च को चलकर होते हुए चेन्नै पहुंची थी। इस ट्रेन में तबलीगी जमात के करीब 110 लोग थे। तमिलनाडु में जमातियों के पहुंचने के बाद कोरोना पीड़ितों की संख्या अचानक तेजी से बढ़ी थी।
पर अन्य राज्यों की तुलना में यहां की सरकार ने वो कडी कार्रवाई नहीं की जितनी यूपी जैसे राज्यों में की गयी। हाल यह रहा कि लॉकडाउन की वजह से जब देश कोरोना से जंग जीतता नजर आ रहा था, तबलीगी जमात की लापरवाही ने इन कोशिशों पर पानी फेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। तमिलनाडु में कोरोना के 411 मरीज मिले हैं। उनमें से 364 मरीजों का मरकज कनेक्शन सामने आया है।