कमलनाथ के 10 दिन: क्या बचा पाएंगे सत्ता या BJP के इन विकल्पों से गिरेगी सरकार

विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होने की अटकलों के बीच 26 मार्च तक के लिए विधानसभा स्थगित हो गयी। ऐसे में कमलनाथ को बहुमत साबित करने के लिए दस दिनों का समय मिल गया

Update: 2020-03-16 07:09 GMT

भोपाल: मध्य प्रदेश की राजनीति में उठा पटक जारी है। पहले कांग्रेस के विधायकों के ताबड़तोड़ इस्तीफे के बाद पार्टी ने अपने बचे हुए विधायकों को जयपुर में छिपा दिया तो फिर फ्लोर टेस्ट को लेकर भाजपा की मांग और सीएम कमलनाथ के दावे लगातार सियासी गलियारे में हलचल मचाते रहे। हालाँकि सोमवार को विधानसभा में बजट सत्र के दौरान फ्लोर टेस्ट होने की अटकलें लग रही थी लेकिन बाद में सदन को 26 मार्च तक स्थगित कर दिया गया। ऐसे में एक ओर तो कमलनाथ को बहुमत साबित करने के लिए दस दिनों का समय मिल गया तो वहीं बचे हुए विधायकों की सुरक्षा और बढ़ाने की चिंता भी..

10 दिनों के लिए टला फ्लोर टेस्ट

मध्य प्रदेश में अपनी सरकार बचाने में लगे मुख्यमंत्री कमलनाथ को एक मौका मिल गया है। राज्य में विधानसभा की कार्यवाही को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया। ऐसे में अब दोबारा विधानसभा सत्र शुरू होने तक कमलनाथ को शक्ति परिक्षण का ओका मिल गया है।

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अब क्या करेगी कमलनाथ सरकार

ये दस दिन कमलनाथ सरकार के लिए लाइफ लाइन बढ़ाने जैसे हैं। एक ओर तो कांग्रेस को समय मिल गया कि वह अपने बागी विधायकों को पार्टी में वापस ला सके और विधायकों में जोड़ तोड़कर अपने मतों की संख्या को बढ़ा सके। वहीं भाजपा के विधायकों को भी खरीदने या अपने पक्ष में शामिल करने की कोशिश कर सकती है।

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हालाँकि इन सब के बीच कांग्रेस के लिए चिंता का विषय ये भी है कि वह अपने बचे हुए विधायकों को भी बचा कर रखे। इसके लिए भी भाजपा के सम्पर्क में आने से रोने के लिए कांग्रेस ने अपने 92 विधायकों को राजस्थान के जयपुर में छिपा दिया था। कांग्रेस के विधायकों को एक रिजार्ट में रखा गया। अब यही समस्या कांग्रेस के सामने फिर से है। सम्भावना है कि कमलनाथ अपने विधायकों को फिर से राजस्थान रवा कर सकते हैं।

भाजपा के पास क्या विकल्प

वहीं भाजपा कमलनाथ सरकार को गिराने के लिए फ्लोर टेस्ट की मांग कर रही है। दस दिनों तक विधानसभा की कार्यवाही न होने के चलते अब भाजपा कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है। कोर्ट के फैसले पर कमलनाथ सरकार को बहुमत साबित करना पड़ सकता है।

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इसके अलावा भाजपा को भी मौका मिल गया कि वह कांग्रेस के विधायकों को अपने पाले में ला सके ताकि कमलनाथ सरकार के पास 92 विधायकों का आंकड़ा और कम हो जाए और वह बहुमत साबित न कर सकें।

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