नार्थ कोरिया का नया लीडर कौन: ऐसे होता है चुनाव, किम जोंग के उत्तराधिकारी ये...

उत्तर कोरिया में सत्ता संभालने के लिए उत्तराधिकारी चुनने का तरीका काफी अलग है। साल 1948 में देश के गठन के बाद से सत्ता पर किम परिवार के सदस्यों का दबदबा रहा है। तब से अब तक किम परिवार के तीन पुरुषों ने सत्ता संभाली।

Update: 2020-04-28 06:25 GMT

नई दिल्ली: उत्तर कोरिया में इन दिनों सत्ता को लेकर हलचल तेज हो गयी है। दरअसल, तानाशाह किम जोंग उन की स्वास्थ्य को लेकर खबरे आ रही हैं। किम जोंग को लेकर कहा जा रहा है कि उनकी हार्ट सर्जरी हुई है, जो सक्सेसफुल नहीं रही, तो वहीं उनके ब्रेन डेड होने की बातें भी बताई जा रही हैं। इसके साथ ही ये अटकलें सबसे ज्यादा जोर पकड़ रही हैं कि किम के बाद अब सत्ता कौन संभालेगा। ऐसे में ये जानना जरुरी है कि नार्थ कोरिया का लीडर कैसे और कौन बन सकता है।

उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर का चुनाव ऐसे :

उत्तर कोरिया में सत्ता संभालने के लिए उत्तराधिकारी चुनने का तरीका काफी अलग है। साल 1948 में देश के गठन के बाद से सत्ता पर किम परिवार के सदस्यों का दबदबा रहा है। तब से अब तक किम परिवार के तीन पुरुषों ने सत्ता संभाली।

वैसे, देश के नए सुप्रीम लीडर की घोषणा उत्तर कोरियाई संसद 'सुप्रीम पीपल्स एसेंबली' करती है, हालंकि ये तय माना जा रहा है कि किम जोंग उन के बाद किम परिवार का ही कोई सदस्य सत्ता संभालेगा। ऐसे में एसेंबली सिर्फ दिखावा है।

देश में ये अफवाह है कि किम परिवार उत्तर कोरियाई संस्कृति का रक्षक है। उनके अलावा अगर कोई और लीडर बनता है तो देश खत्म हो जाएगा। अहम बात ये हैं कि देश में सेना या सत्ता से जुडी किसी भी एजेंसी में भर्ती के लिए अहम क्राइटेरिया ये है कि उम्मीदवार किम परिवार के प्रति कितना वफादार है।

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ये हैं किम जोंग उन के बाद सत्ता के दावेदार

किम जोंग उन की बहन

तानाशाह की छोटी बहन किम यो जोंग सत्ता की प्रबल दावेदार है। वह भाई किम जोंग के साथ साये की तरह रहती हैं। उनकी राजनैतिक सलाहकार हैं। वहीं सेना में भी अहम भूमिका रखती है।

गुप्त दफ्तरों में दखल

माना जाता है कि यो जोंग की उन 2 दफ्तरों में खासी दखल है, जहां गलत-सही कामों से परिवार और देश के लिए हार्ड कैश जमा होता है। उन दफ्तरों को Offices 38 & 39 के नाम से जाना जाता है, हालांकि इनकी कोई पुष्ट जानकारी नहीं मिलती है लेकिन कहा जाता है कि साइबरथेफ्ट, तस्करी जैसे कामों से आया कैश यहां रखा जाता है।

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देखती हैं ये काम

यो जोंग Propaganda and Agitation Department की पहली वाइस डायरेक्टर हैं। माना जाता है कि किम जोंग उन की विदेशों में और उत्तर कोरिया के अंदर सार्वजनिक छवि बनाने के पीछे किम यो जोंग का ही दिमाग है।

इसी पद के तहत यो जोंग ने अपने वास्तविक नाम के साथ पहला स्टेटमेंट दिया था। इसी से साफ हुआ था कि सिर्फ परदे के पीछे नहीं, बल्कि यो जोंग अपने भाई के साथ सत्ता में सामने भी आ चुकी हैं। हाल ही में उन्होंने इसी पद के साथ अमेरिका प्रेसिडेंट ट्रंप की कोरोनावायरस पर मदद की पेशकश ठुकरा दी थी।

सेना में भी अहम

पिछले साल के अंत में यो जोंग ने अपना पहला मिलिट्री ऑर्डर दिया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वे नार्थ कोरियन आर्मी की महिला-युनिट को भी संभालती हैं, अपने ऑर्डर ने यो जोंग ने महिला सैनिकों में वर्क साइट में काम के दौरान हो रहे शारीरिक बदलावों पर ध्यान देने को कहा था।

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तानाशाह के चाचा किम प्योंग इल:

किम प्योंग इल तानाशाह के सौतेले चाचा है, जो लंबे समय तक उत्तर कोरिया में राजदूत के पद पर रहे है। प्योंग इल हाल ही में एक नौकरशाह के तौर पर 30 साल देश से बाहर बिताकर लौटे हैं। बताया जाता है कि प्योंग इल की राजनैतिक काबिलियत हमेशा ही तानाशाह के पिता के लिए खतरा रही। इसी वजह से उन्हें 30 साल देश से बाहर रहना पड़ा।

उत्तर कोरिया के राजदूत के तौर पर उन्होंने फिनलैंड, बुल्गेरिया, हंगरी और पोलैंड में सेवा दी। जानकारी के मुताबिक देश से बाहर जाने से पहले तक वह सेना प्रमुख के पद पर भी रह चुके हैं।

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प्योंग इल की दावेदारी तगड़ी:

दरअसल उत्तर कोरिया में पुरुष सत्ता की सोच है। साल 1948 में उत्तर कोरिया के गठन के बाद से देश को एक ही परिवार के 3 पुरुषों ने संभाला। शासन संभालने में महिलाओं की संख्या बेहद कम है।

हालाँकि किम की बहन शासन के कामों में काफी एक्टीव है। वह न केवल किम की सलाहकार हैं, बल्कि उत्तर कोरिया की सत्ता में अहम भूमिका में हैं। बावजूद इसके देश में पुरुष शासक की दावेदारी ज्यादा प्रबल है। ऐसे में प्योंग इल की खूबियों में उनका पुरुष होना भी शामिल है।

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