विपक्ष की चुप्पी: संसद में प्रश्नकाल पर जिद्द, पर राज्य विधानसभाओं पर बोलती बंद

कोरोना संकटकाल में केरल, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल विधानसभा के सत्र आयोजित किए गए मगर इन सभी राज्यों में सत्र बिना प्रश्नकाल के ही पूरा किया गया।

Update: 2020-09-05 15:22 GMT
कोरोना संकटकाल में केरल, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल विधानसभा के सत्र आयोजित किए गए मगर इन सभी राज्यों में सत्र बिना प्रश्नकाल के ही पूरा किया गया।

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। संसद के 14 सितंबर से शुरू होने वाले सत्र में प्रश्नकाल को लेकर हंगामा मचा हुआ है। कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल मानसून सत्र के दौरान प्रश्नकाल आयोजित करने की जिद पर अड़े हुए हैं। दूसरी ओर कोरोना संकटकाल में कई राज्यों के विधानसभा सत्र आयोजित किए गए मगर इन सत्रों के दौरान प्रश्नकाल हुआ ही नहीं। इस मुद्दे पर विपक्षी के किसी नेता का कोई बयान भी नहीं आया।

कोरोना संकटकाल में इन राज्यों में हुआ विधानसभा सत्र आयोजित

कोरोना संकटकाल में केरल, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल विधानसभा के सत्र आयोजित किए गए मगर इन सभी राज्यों में सत्र बिना प्रश्नकाल के ही पूरा किया गया।

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कई राज्यों की विधानसभाओं में प्रश्नकाल नहीं

जानकारों के मुताबिक कोरोना संकटकाल में आंध्र प्रदेश विधानसभा का सत्र 16 से 28 जून तक चला जबकि केरल और और पंजाब में क्रमश: 24 और 28 अगस्त को विधानसभा का सत्र आयोजित किया गया मगर तीनों ही राज्यों में प्रश्नकाल नहीं हुआ।

राजस्थान में 14 से 21 अगस्त के बीच तीन बार सदन की कार्यवाही चलाई गई जबकि उत्तर प्रदेश में 20 से 22 अगस्त तक विधानसभा का सत्र आयोजित किया गया और इन दोनों राज्यों में भी प्रश्नकाल नहीं हुआ।

पश्चिम बंगाल में भी नहीं हुआ प्रश्नकाल

सबसे आखिर में पश्चिम बंगाल में विधानसभा का सत्र आयोजित किया गया और वहां भी प्रश्नकाल को रद्द कर दिया गया। तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने संसद में प्रश्नकाल आयोजित न होने पर सबसे तीखा बयान दिया है और इसे लोकतंत्र की हत्या बताया है मगर उन्होंने भी पश्चिम बंगाल विधानसभा के सत्र को लेकर चुप्पी साध रखी है।

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जानकार सूत्रों का कहना है कि महाराष्ट्र विधानसभा का भी सत्र जल्दी ही बुलाने की तैयारी है और यहां भी विधानसभा का सत्र बगैर प्रश्नकाल के ही चलेगा।

बदलाव सिर्फ मानसून सत्र के लिए

प्रश्नकाल को लेकर लोकसभा सचिवालय की ओर से स्पष्टीकरण जारी किया गया है कि यह बदलाव सिर्फ मानसून सत्र के लिए ही किया गया है और शीतकालीन सत्र से प्रश्नकाल जरूर आयोजित किया जाएगा।

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सचिवालय का कहना है कि कोरोना संकटकाल में शारीरिक दूरी की जरूरत को महसूस करते हुए संसद की गैलरी में भीड़ से बचने के लिए सरकार की ओर से यह कदम उठाया गया है। यह भी स्पष्ट किया गया है की सांसद बड़े महत्व के मुद्दों को शून्यकाल के दौरान उठाकर सरकार से जवाब मांग सकते हैं।

सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार

संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी का कहना है कि सरकार किसी भी चर्चा से भाग नहीं रही है और हर महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा करने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा कि अब विपक्षी दल प्रश्नकाल और शून्यकाल को लेकर हंगामा कर रहे हैं जबकि मैंने अर्जुन राम मेघवाल और मुरलीधरन के साथ इसे लेकर हर पार्टी के नेताओं से बात की थी और तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन को छोड़कर हर किसी ने इस मुद्दे पर सहमति जताई थी।

उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के विरोध में कोई दम नहीं है और पहले सहमति जताने के बाद अब विरोध का झंडा उठाना उचित नहीं है।

कई बार हंगामे की भेंट चढ़ चुका है प्रश्नकाल

विपक्ष की ओर से प्रश्नकाल को लेकर भले ही हंगामा मचाया जा रहा हो मगर पूर्व में भी संसद की बैठकों के दौरान कई ऐसे मौके आए हैं जब विपक्ष के हंगामे के कारण प्रश्नकाल को स्थगित करना पड़ा है। संसद का मानसून सत्र 14 सितंबर से शुरू होकर 1 अक्टूबर तक चलेगा और ऐसा पहली बार होगा जब मानसून सत्र के दौरान एक भी अवकाश नहीं होगा।

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बैठक से पहले कोरोना संबंधी जांच जरूरी

कोरोना संकट की वजह से इस बार कई एहतियाती कदम उठाए गए हैं और बैठक में हिस्सा लेने वाले सभी सांसदों को कोरोना जांच संबंधी सर्टिफिकेट दिखाना होगा। सांसदों के कोरोना निगेटिव होने पर ही उन्हें संसद की बैठक में हिस्सा लेने की इजाजत दी जाएगी। सांसदों के साथ ही लोकसभा और राज्यसभा से जुड़े सभी कर्मचारियों की भी बैठक से पहले कोरोना संबंधी जांच की जाएगी।

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