मुंबई : हम आप वर्षों से सुनते आ रहे हैं, कि पुरुष की सफलता के पीछे एक महिला का हाथ होता है। कई मामलों में ये साबित भी हुआ है लेकिन, आज आप इसे झूठा मान सकते हैं, वजह हम आपको देंगे ऐसा करने के लिए।
महिला वर्ल्ड कप-2017 में विरोधियों के धागे खोल देने वाली टीम की विराट सफलता के पीछे किसी महिला नहीं, बल्कि एक पुरुष का हाथ है। बंदा भी ऐसा की उसने अभी भी श्रेय लेने के लिए किसी तरह की कोई बयानबाजी नहीं की, बल्कि अभी भी पर्दे के पीछे ही है। जब उसे टीम की कमान सौंपी गयी तो किसी को नहीं पता था की वो क्या कर गुजरने वाला है।
कोई नहीं, वो नहीं तो हम ही आपको बता देते हैं, कि वो बंदा आखिर है कौन? जिसने सिर्फ दो जी हाँ! दो ही महीनों में टीम को फर्श से उठा अर्श पर पहुंचा दिया।
दिल थाम के बैठो...और वो हैं, टीम के कोच तुषार आरोठे। तुषार को इसी वर्ष अप्रैल में पूर्णिमा रॉव के स्थान पर कोच की कमान सौंपी गई थी। उस समय किसी को सपने में भी यकीं नहीं रहा होगा कि तुषार सिर्फ दो महीनें में ऐसा जादू कर देंगे, कि दुनिया के बड़े से बड़ा क्रिकेट दिग्गज इनका फैन नहीं, जबर फैन हो जाएगा। हिंदुस्तान में आज सिर्फ लोग महिला टीम के बारे में गूगल में गोते लगा रहे हैं। जिन्हें कैप्टन का नाम नहीं पता था, आज वो 11 खिलाड़ियों को नाम और शक्ल दोनों से जानते हैं। ये सब हुआ तुषार की मेहनत और सधी हुई रणनीति से।
अभी बहुत कुछ जानने को बाकी है मेरे दोस्त
तुषार बालचंद आरोठे का जन्म 17 सितंबर, 1966 को गुजरात के बड़ोदा में हुआ। तुषार ने ऑलराउंडर के तौर पर अपने क्रिकेट करियर का आगाज किया और रणजी टीम के कप्तान रहे। बाद में बड़ोदा रणजी टीम के कोच रहे। उनके साथियों के मुताबिक वो कभी गुस्से में नजर नहीं आते, मैदान में और उसके बाहर उन्हें अपनी बात मनवानी आती है। सभी के साथ उनके रिश्ते मजबूत रहते हैं। कभी किसी के साथ कोई विवाद नहीं रहा, सबसे खास बात ये की तुषार को चर्चा में रहना पसंद नहीं है।
तुषार ने महिला टीम के साथ अच्छा तालमेल बैठाया, उनकी फिटनेस का काफी ख्याल रखा। क्षेत्ररक्षण में जहाँ पहले टीम कमजोर नजर आती थी, वहीँ अब उसने काफी हद तक इसमें सुधार किया। खिलाड़ियों की बॉडीलेंग्वेज को आक्रामक बनाने में तुषार का ही हाथ है।
उन्होंने जो भी प्लान बनाए उन्हें मैदान पर अमलीजामा भी दिया, और नतीजे आज सबके सामने हैं। कैप्टन मिताली राज, हरमनप्रीत कौर, दिप्ती शर्मा, पूनम यादव और एकता बिष्ट के साथ झूलन गोस्वामी बेशक अच्छी खिलाड़ी रही हैं। लेकिन इनको तराशा तुषार ने और उसका नतीजा रहा कि टूर्नामेंट में हमारी बेटियों ने कई रिकार्ड तोड़े और बनाए भी।
आरोठे इससे पहले भी 2008 से 2012 के बीच भारतीय महिला टीम के कोच रह चुके हैं। मिताली राज और झूलन गोस्वामी जैसी सीनियर खिलाड़ी के साथ उनका पहले भी अच्छा अनुभव रह चुका है।
बडोदा के इस पूर्व बल्लेबाज का प्रथम श्रेणी कैरियर किसी भी युवा प्रतिभा को प्रेरित करने के लिए काफी है।