Tamilnadu Politics: दक्षिण भारत में 'दही' पर गरमाई सियासत, स्टालिन ने दिखाए तीखे तेवर, तमिलनाडु का आदेश मानने से इनकार

Tamilnadu Politics: भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के एक आदेश के बाद तमिलनाडु में दही को लेकर सियासत गरमा गई है। प्राधिकरण के आदेश से तमिलनाडु में भाषा को लेकर विवाद एक बार फिर गहरा गया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन भी इस विवाद में कूद पड़े हैं।

Update: 2023-03-30 14:39 GMT
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन (सोशल मीडिया)

Tamilnadu Politics: भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के एक आदेश के बाद तमिलनाडु में दही को लेकर सियासत गरमा गई है। प्राधिकरण के आदेश से तमिलनाडु में भाषा को लेकर विवाद एक बार फिर गहरा गया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन भी इस विवाद में कूद पड़े हैं। दरअसल प्राधिकरण की ओर से दक्षिण भारत में दही बनाने वाली सहकारी संस्थाओं को एक आदेश जारी किया गया है।
इस आदेश में दही के पैकेट पर हिंदी में दही लिखने की बात कही गई है। मुख्यमंत्री स्टालिन इस आदेश पर तीखे तेवर दिखाए हैं। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के लोगों पर इस तरह हिंदी नहीं थोपी जा सकती। ऐसा आदेश देने वालों को यह बात दिमाग में रखनी चाहिए कि दक्षिण भारत से उनका वजूद ही खत्म हो जाएगा।

FSSAI ने दिया है यह आदेश

दरअसल यह पूरा मामला दही के नाम को लिखने के मुद्दे पर पैदा हुआ है। तमिल भाषा में दही को तयैर और कन्नड़ भाषा में मोसारू कहा जाता है। अभी तक इन दोनों राज्यों में दही के छोटे-छोटे कप पर स्थानीय भाषा में यही दोनों नाम लिखा जाता रहा है मगर अब प्राधिकरण की ओर से जारी किए गए नए निर्देश में कहा गया है कि इन दोनों राज्यों के मिल्क फेडरेशन को दही उत्पाद पर दही नाम ही लिखना चाहिए। वैसे निर्देश में यह भी कहा गया है कि दही के साथ ब्रैकेट में स्थानीय भाषा में भी नाम दिया जा सकता है।

स्टालिन का हिंदी थोपने का आरोप

FSSAI के निर्देश के बाद तमिलनाडु में एक बार फिर भाषा को लेकर विवाद पैदा हो गया है। दरअसल तमिलनाडु में हिंदी का पहले भी विरोध किया जाता रहा है और अब राज्य के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने इस मुद्दे पर तीखा विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि यह हिंदी थोपने की बेशर्म जिद के अलावा कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि हिंदी थोपने की कोशिश इस हद तक पहुंच गई है कि कन्नड़ और तमिल भाषा को नीचा दिखाने की कोशिश की गई है।
उन्होंने चेतावनी देकर हमारी मातृभाषाओं की अवहेलना को यहां के लोग बर्दाश्त नहीं करेंगे। ऐसा निर्देश जारी करने वालों को तमिलनाडु को दक्षिण भारत से भगा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि FSSAI के निर्देश से साफ हो गया है कि हमें अपनी मातृभाषा से दूर करने की साजिश की गई है। हम इस तरह की कोशिशों को कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे।

तमिलनाडु का आदेश मानने से इनकार

तमिलनाडु सरकार की ओर से प्राधिकरण के इस आदेश को मानने से साफ तौर पर इनकार कर दिया गया है। तमिलनाडु के डेयरी मंत्री ने एक बयान में साफ कहा कि हम इस आदेश को नहीं मानेंगे और तमिलनाडु में पहले की तरह ही दही के पैकेट पर तयैर ही लिखा जाएगा। तमिलनाडु सरकार के रुख से साफ हो गया है कि यदि आदेश वापस नहीं लिया गया तो आने वाले दिनों में इस मुद्दे को लेकर सियासी माहौल और गरमा सकता है।

भाजपा भी तमिलनाडु सरकार के समर्थन में

मजे की बात यह है की तमिलनाडु की भाजपा इकाई ने भी इस मुद्दे पर तमिलनाडु सरकार के स्टैंड का समर्थन किया है। तमिलनाडु के भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई ने इस संबंध में FSSAI के अध्यक्ष राजेश भूषण को पत्र लिखकर आदेश को वापस लेने की मांग की है। उन्होंने याद दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हमेशा स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने की बात करते हैं और यह आदेश प्रधानमंत्री की नीतियों के अनुरूप नहीं है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मौकों पर तमिल भाषा की समृद्ध परंपरा की खुलकर तारीफ कर चुके हैं और पीएम मोदी की भावनाओं का सम्मान करते हुए इस तरह का आदेश वापस लिया जाना चाहिए। भाजपा का समर्थन मिलने के बाद माना जा रहा है कि प्राधिकरण की ओर से आने वाले दिनों में आदेश में बदलाव किया जा सकता है।

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