आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर उतरेंगे फाइटर प्लेन, 18 को रिहर्सल, 21 को मेगा शो
लखनऊः 302 किलोमीटर लंबा लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे बनकर तैयार है। इसका उद्घाटन 21 नवंबर को सीएम अखिलेश यादव करेंगे। इससे ठीक पहले शुक्रवार, 18 नवंबर को इस एक्सप्रेस-वे पर फाइटर प्लेन उतारने का रिहर्सल होगा। फाइटर प्लेन 21 नवंबर को उद्घाटन के दिन भी इस एक्सप्रेस-वे पर उतरेंगे।
बता दें कि एक्सप्रेस-वे पर ऐसी व्यवस्था की गई है कि किसी इमरजेंसी के वक्त फाइटर प्लेन यहां से उड़ाए और उतारे जा सकेंगे। इससे पहले साल 2015 के मई में वायुसेना ने यमुना एक्सप्रेस-वे पर फाइटर प्लेन उतारे और यहां से उड़ाए थे।
उद्घाटन में क्या होगा?
21 नवंबर को उद्घाटन का कार्यक्रम लखनऊ से करीब 50 किलोमीटर दूर उन्नाव जिले के बांगरमऊ में होगा। यूपी एक्सप्रेस-वे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी के सीईओ नवनीत सहगल के मुताबिक एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन में सीएम अखिलेश के अलावा वायुसेना की मध्य कमान के चीफ एयर वाइस मार्शल राजेश इस्सर, अन्य अफसर और राज्य सरकार के कई अफसर मौजूद रहेंगे।
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कितने विमान भरेंगे उड़ान?
सहगल के मुताबिक रिहर्सल और उद्घाटन वाले दिन यहां से चार मिराज-2000 और इतने ही सुखोई-30 एमकेआई जेट उड़ान भरेंगे और उतरेंगे। उद्घाटन के बाद सीएम अखिलेश यादव एक रैली को भी संबोधित करेंगे। उन्होंने बताया कि 13 हजार 200 करोड़ से बने आगरा-लखनऊ के बीच बनी सड़क को ट्रैफिक लाइट्स वगैरा लगाने के बाद आम जनता के लिए दिसंबर में खोला जाएगा।
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कहां से पहुंचेंगे फाइटर प्लेन?
नवनीत सहगल ने बताया कि सारे फाइटर प्लेन इलाहाबाद के बमरौली एयरपोर्ट से उड़ान भरकर एक्सप्रेस-वे पर उतरेंगे। इससे दिखाया जाएगा कि वायुसेना के लिए भी ये कितना सटीक बनाया गया है। बता दें कि पोलैंड, फिनलैंड, स्वीडन, दक्षिण कोरिया और यहां तक कि पाकिस्तान में भी कई ऐसे रास्ते हैं, जिनमें से युद्ध के वक्त फाइटर प्लेन उतर और उड़ान भर सकते हैं।
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कैसे बन जाता है रनवे?
यहां फाइटर प्लेन के उड़ान भरने और उतरने के लिए उन्नत तकनीकी का इस्तेमाल किया गया है। यहां दो किलोमीटर का ऐसा हिस्सा रखा गया है, जो किसी रनवे की तरह सीधा है। इस हिस्से में फोल्ड हो सकने वाले डिवाइडर लगाए गए हैं। इन डिवाइडर को एक बटन दबाने भर से हटाया जा सकेगा। वायुसेना यहां फाइटर प्लेन उतारने के लिए मोबाइल एटीसी टावर लेकर आएगी। साथ ही दो किलोमीटर के इस पूरे हिस्से के आसपास पक्षियों को मंडराने से रोकने के लिए भी उन्नत तकनीकी का इस्तेमाल किया जाएगा।