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आगरा: मोहब्बत की नगरी आगरा में हर धर्म के लोग एक दूसरे से काफी प्यार करते हैं और एक दूसरे के लिए सबकुछ करने को बेताब रहते हैं। आगरा की इमली वाली मस्जिद ऐसे ही भाईचारे की मिसाल है। यहां रमजान के महीने में रोजेदारो को तरावीह की नमाज़ पढ़वाने के लिए हिंदू, सिख और ईसाई धर्म के लोग जी जान लगा देते हैं।
चर्च के अंदर वजू के लिए पानी और जगह ईसाई देते हैं, तो सड़क बंद कर सफाई और उस दौरान यातायात की व्यवस्था हिंदू और सिख संभालते हैं। यह व्यवस्था आज से नहीं है बल्कि आजादी के बाद मस्जिद तामील होने से अब तक लगातार होती आ रही है।
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शहर के हॉस्पिटल रोड पर स्थित लगभग 60 से 65 वर्ष पुरानी इमली वाली मस्जिद पूरे विश्व में धार्मिक समभाव की अनूठी मिसाल है। यहां सालों से हर रमजान में तरावीह की नमाज के दौरान वजू के लिए सेन्ट जॉन चर्च पानी और परिसर में स्थान देता है, तो आसपास की मार्केट के हिंदू और सिख नमाज के लिए मस्जिद के बाहर की सड़क की सफाई करते हैं और दरी बिछा कर नमाज की व्यवस्था करते हैं। पूरी तरावीह के दौरान यातायात व्यवस्था भी यही लोग संभालते हैं। इस मस्जिद में रमजान का चांद दिखते ही तरावीह की शुरुआत हो जाती है और 5 दिन तक लगातार दस हजार से अधिक मुस्लिम भाई यहां तरावीह की नमाज अता करने आते हैँ। सालों से यहां मुसलिम भाइयों की नमाज तो होती है पर कोई भी इंतजाम मुस्लिम भाइयों को नहीं करना होता है। सारा इंतजाम हिंदू, सिख और ईसाई भाई ही करते हैं।
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मस्जिद के मुतावली सय्यद इरफ़ान अहमद उर्फ़ सलीम भाई कहते हैं कि जब से होश संभाला यहां कभी धर्म की बात नहीं हुई। यहां के बाशिंदों का प्यार ही है कि यहां होने वाली तरावीह पूरे विश्व में मिसाल बन गई है। जब कभी कहीं धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश होती है तो यहां के सभी धर्मों के भाई एकजुट होकर लोगों को समझाने का भी काम करते हैं।
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मस्जिद के व्यवस्थाधिकारी शमी अघाइ का कहना है की हमें ईद से ज्यादा होली दीवाली बैसाखी और क्रिसमस की याद रहती है। दूसरे धर्मों के भाई ईद हमारे घर मनाते हैं और बाकी त्योहार हम उनके यहां मनाते हैं। कभी भी हमें यह पता ही नहीं चलता की कौन भाई किस धर्म का है बस त्योहारों पर ही एक दूसरे के धर्म का पता चलता है क्योंकि दावत की जगह उसी से तय होती है।
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सेन्ट जॉन चर्च के पादरी मिस्टर दास ने सभी भाइयों को रमजान की मुबारकबाद देते हुए कहा की यह हमारा सौभाग्य है कि हमें इस महान कार्य में योगदान का मौका मिलता है और लोगों को भी यहां से सीख लेनी चाहिए। मार्केट के विजय सहगल की मानें तो उन्हें रमजानों का विशेष इंतजार रहता है। अपने भाइयों के लिए काम कर विशेष ख़ुशी मिलती है। उम्मीद है की यह सिलसिला हमेशा चलता रहेगा। मस्जिद की व्यवस्था सम्भालने वाले सय्यद इमरान ने विजय सहगल,सागर जीतू भाई सुरेन्द्र शर्मा मौनी सरदार दिनेश टिंकू समेत सभी ईसाई साथियों का इस अतुलनीय योगदान के लिए शुक्रिया अता फ़रमाया है।
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