कौन हैं ट्रंप और हिलेरी, जाने अमेरिका में राष्ट्रपति पद के इन दिग्गज उम्मीदवारों के बारे में?

Update:2016-11-08 12:28 IST

वाशिंगटन: अमेरिका में आज चुनाव का आखिरी दिन है। आज के दिन फैसला हो जाएगा कि आखिर किसके हाथ में अमेरिका की बागडोर आएगी। एक तरफ जहां हिलेरी क्लिंटन के लिए लोग जबरदस्त सपोर्ट कर रहे हैं। वहीं डोनाल्ड ट्रंप की फैन फॉलोइंग कम नहीं है। दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका का राष्ट्रपति कौन होगा, इसका फैसला आज हो जाएगा। लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं, जो राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों डोनाल्ड ट्रंप और हिलेरी क्लिंटन के बारे में ठीक से जानते नहीं हैं। तो आइए एक नजर डालते हैं इन दोनों उम्मीदवारों के बैकग्राउंड पर सबसे पहले जानिए डोनाल्ड ट्रंप के बारे में-

परिचयः डोनाल्ड ट्रंप

जन्मः 14 जूनए 1946 (क्वींस, न्यूयार्क सिटी)

माता-पिताः मरियम ऐनी और फ़्रेड ट्रंप

पूरा नामः डोनाल्ड जॉन ट्रंप

धर्मः प्रेस्बिटेरियन ईसाई

निवासः ट्रम्प टॉवर, मैनहट्टन, अमेरिका

विवाहः ट्रंप ने तीन विवाह किए हैं। 1977 में पहला विवाह इवाना ज़ेल्निकोवा के साथ, दूसरा 1993 में मार्ला मैपल्स के साथ और 2005 में मेलानिया नाउस के साथ।

संतानें: पहली बीवी से- 31 दिसंबर, 1977 को डोनाल्ड ट्रंप जूनियर, 30 अक्टूबर, 1981 को इवानका ट्रंप और 06 जनवरी 1984 को एरिक ट्रंप।

दूसरी बीवी से- 13 अक्टूबर, 1993 को टिफ़नी ट्रंप।

तीसरी बीवी से- 20 मार्च, 2006 को मेलानिया बैरन विलियम ट्रंप।

चाहतः लेखन, फुटबॉल और बेसबॉल

शिक्षाः फ़ोडर्म विश्वविद्यालय गए और पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के वार्टन स्कूल ऑफ़ फ़िनान्स एण्ड कॉमर्स में पढ़ाई की।

करिअर की शुरुआतः अपने कॉलेज के समय ही पिता की कंपनी में बिजनेस से करिअर की शुरूआत कर दी थी और 2011 मेंफोर्ब्स की टॉप 100 सेलिब्रिटी में शामिल हो गए।

व्यवसायः चेयरमैन और प्रेसीडेण्ड, द ट्रंप ऑर्गनाइजेशन अध्यक्ष, ट्रंप प्लाजा एसोसिएट्स अध्यक्ष, ट्रंप अटलांटिक सिटी एसोसिएट्स अपरेंटिस के प्रस्तोता।

कुल संपति: 3.7 अरब अमेरिकी डॉलर

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व्यवस्था को झकझोर कर रख देने की चाह रखने वाले डोनाल्ड ट्रंप हालांकि अपने इरादों के बहुत मज़बूत हैं और लक्ष्य पर हमेशा सकारात्मक भाव के साथ डटे रहते हैं। फिर भी बुद्धिजीवियों और विशेषज्ञों को इस बात की सच्चाई का भी डर है कि ट्रंप अंतर्राष्ट्रीय मामलों से मोटे तौर पर अनभिज्ञ हैं। वे एक व्यापारी हैं, नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (नैटो) और कश्मीर जैसे मुद्दों को समझने की अभी कोशिश कर रहे हैं। ऐसे तमाम महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनकी राय मूड के हिसाब से बदलती रहती है, फिर वो चाहे भारत का मामला होए रूस का मामला हो या फिर कुछ और।

हालांकि ट्रंप भारत सहित दुनिया के कई देशों की निवेश नीति प्रभावित कर सकते हैं। फिर भी अपने चुनावी माहौल के दौरान हिंदुओं से प्रेम की बात कहकर भारतीय प्रवासियों को रिझाने में क़ामयाब रहे ट्रंप को भारत और अमेरिका सहित दुनिया भर के देश एक अनिश्चय के भाव से देख रहे हैं। ऐसे में अपने विश्वास को सिद्ध करने के लिए ट्रंप को कड़ी परीक्षा से गुजरना होना। आइए जानते हैं अमेरिकाए भारत और दुनिया के तमाम देशों के लिए उनकी नीतियों के बारे में-

क्या हैं भारत के प्रति ट्रंप की नीतियां

- भारत केसबसे अच्छे दोस्त साबित होने का हर संभव प्रयास करेंगे।

- ट्रंप भारत में बड़े पैमाने पर निवेश करेंगे।

- कश्मीर मामले पर मध्यस्थता की पेशकश।

- ट्रंप भारत में आउटसोर्सिंग के ख़िलाफ़ क़दम उठाएंगे। यह भारत के सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी कंपनियों के लिए अहम मुद्दा है।

- इस्लामिक कट्टरपंथ और आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान को रोकने में भारत का साथ।

- एचवन-बी वीज़ा सिस्टम में पूरी तरह बदलाव किया जाएगा। यह वीज़ा अमरीका में अस्थाई रूप से काम करने के लिए दिया जाता है। इसका ज़्यादातर इस्तेमाल भारत की प्रौद्योगिकी कंपनियां करती हैं।

आगे की स्लाइड में जानिए जो पांच चीज़ें भारत तुरंत चाहता है

- सबसे पहले कश्मीर सहित पाकिस्तान के मामलों पर खुला समर्थन चाहिए।

- दोनों देशों के बीच के कारोबार को 2020 तक 500 अरब अमेरिकी डॉलर (करीब 33,375 अरब रुपए) तक ले जाना है।

- अमेरिका ने अजमेर, विशाखापट्‌टनम और इलाहाबाद को स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित करने में रुचि दिखाई है। इस पर वो फौरन आगे बढ़े।

- भारत के परमाणु-उत्तरदायित्व कानून-2010 यानी 'सिविल लायबिलिटी न्यूक्लियर डैमेज एक्ट-2010' के परमाणु समझौतों के मुताबिक अमेरिका भारत में जल्द से जल्द काम शुरू करे।

- 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की सफलता के लिए भी अमेरिका से नजदीकी मदद की दरकार है।

अमेरिका के लिए ट्रंप की नीतियां

- संपत्ति कर पूरी तरह से ख़त्म होगा।

- कॉरपोरेटटैक्स की मौजूदा दरें घटेंगी।

- निजी इनकम टैक्स की रियायते बढ़ेंगी।

- दस साल के भीतर ढाई करोड़ नौकरियों की व्यवस्था होगी।

- बौद्धिक संपदा की सुरक्षा जैसे दूसरे व्यापारिक मुद्दों पर कड़े क़ानून बनेंगे।

- अपराधियों से सख़्ती से निपटने के लिए कड़े क़ानून बनेंगे।

- इमिग्रेशन-लॉ में बदलाव होगा। अमेरिका आने वालों की तादाद कम करने के लिए क़ानूनी तरीक़ा आपनाया जाएगा।

- महिलाओं को छह हफ़्ते की मैटरनिटी लीव की सुविधा दी जाएगी। इस दौरान उनको सरकार से भी मदद मिलेगी।

- गर्भपात को पूरी तरह से ग़ैरक़ानूनी बनाया जाएगा और गर्भपात कराने वाली महिलाओं के लिए सज़ा का प्रावधान होगा।

- दूसरा संविधान संशोधन पूरी तरह से सुरक्षित रखा जाएगा। इसमें किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।

ये है ट्रंप की विदेश नीति

- चीन को किसी तरह की चुनौती नहीं दी जाएगी।

- अमेरिका और मेक्सिको की सीमा पर दो हज़ार मील लंबी दीवार बनेगी।

- इस्लामिक स्टेट से सख़्ती से निपटने के लिए अमेरिकी-सेना उसके सफाए के लिएअरब रवाना की जाएगी।

- रूस के साथ संबंध बेहतर करने के प्रयास होंगे।

- मध्य पूर्वी देशों से आने वाले लोगों को अमेरिका में शरण देने से रोकेंगे।

- पेरिस जलवायु समझौते को रद्द करेंगे।

- अमेरिका और ईरान के बीच हुई परमाणु संधि टलेगी।

आगे की स्लाइड में जानिए अमेरिका की दूसरी उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन के बारे में

परिचयः हिलेरी क्लिंटन

जन्मः 26 अक्टूबरए 1947 (शिकागो, इलिनोयस)

माता-पिताः डोरोथी एम्मा हॉवेल और ह्यूग एल्सवर्थ रोधम

पूरा नामः हिलेरी डायेन रोधम क्लिंटन

धर्मः मेथोडिस्ट इसाई

निवासः इलिनॉय प्रांत, अमेरिका

विवाहः 1975 में बिल क्लिंटन से (बिल अमेरिका के 42वें राष्ट्रपति हैं)

संतानः 27 फरवरी, 1980 को एक पुत्री चेलसा क्लिंटन

चाहतः स्वीमिंग और बास्केट बॉल, कभी अंतरिक्ष यात्री बनने की चाहत थी। इसके लिए इन्होने 1961 में नासा को एक पत्र भी लिखा था।

शिक्षाः1969 में वेलेस्ले विश्विद्यालय से राजनीति विज्ञान विषय में परास्नातक फिर बाद में 1973 में येल लॉ स्कूल से स्नातक किया।

अध्यापनः अरकांसास विश्वविद्यालय में।

करिअर की शुरुआतःअमेरिका के अरकांसास प्रांत में अधिवक्ता के रूप में अपने करिअर की शुरुआत की और 1988 तथा 1991 में अमेरिका के सौ सबसे प्रभावशाली वकीलों में शामिल रहीं।

अपने 30 साल के सार्वजनिक जीवन में हिलेरी महिलाओं के स्वास्थ्य से लेकर एशिया में अमेरिका की भूमिका तक, कई मुद्दों पर नीतियां बनाने से जुड़ी रहीं। ओबामा प्रशासन में विदेश मंत्री की हैसियत से उन्होंने 100 से ज़्यादा देशों की यात्रा की और वे दुनिया के कई नेताओं को व्यक्तिगत तौर पर जानती हैं। जिसका अमेरिका को हर मुहाने पर लाभ मिलेगा। लेकिन इन सबके अलावा कुछ अन्य ऐसे घरेलू व बाहरी मुद्दे हैं। जिन पर अमेरिकी नागरिक और दुनिया नज़र गड़ाए बैठी है। हिलेरी को इनसे निपटने के लिए कमर कसनी होगी। आइए अमेरिका और भारत सहित दुनिया के प्रति हिलेरी की नीतियों पर नज़र डालते हैं-

आगे की स्लाइड में जानिए क्या हैं भारत के प्रति हिलेरी की नीतियां

- भारत के साथ आर्थिक संबंध बेहतर होंगे।

- चीन की बराबरी करने के लिएभारत को अमेरिका की एक 'धुरी' के रूप में विकसित किया जाएगा।

- एचवन-बी वीज़ा सिस्टम में पूरी तरह बदलाव किया जाएगा। यह वीज़ा अमरीका में अस्थाई रूप से काम करने के लिए दिया जाता है। इसका ज़्यादातर इस्तेमाल भारत की प्रौद्योगिकी कंपनियां करती हैं।

- हिलेरी भारत में आउटसोर्सिंग के ख़िलाफ़ क़दम उठाएंगी। यह भारत के सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी कंपनियों के लिए अहम मुद्दा है।

पांच चीज़ें भारत तुरंत चाहता है

- सबसे पहले कश्मीर सहित पाकिस्तान के मामलों पर खुला समर्थन चाहिए।

- दोनों देशों के बीच के कारोबार को 2020 तक 500 अरब अमेरिकी डॉलर (करीब 33, 375 अरब रुपए) तक ले जानाहै।

- अमेरिका ने अजमेर, विशाखापट्‌टनम और इलाहाबाद को स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित करने में रुचि दिखाई है। इस पर वो फौरन आगे बढ़े।

- भारत के परमाणु उत्तरदायित्व कानून-2010 यानी सिविल लायबिलिटी न्यूक्लियर डैमेज एक्ट-2010 के परमाणु समझौतों के मुताबिक अमेरिका भारत में जल्द से जल्द काम शुरू करे।

- 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की सफलता के लिए भी अमेरिका से नजदीकी मदद की दरकार है।

आगे की स्लाइड में जानिए अमेरिका के लिए हिलेरी की नीतियां

- टैक्स का दायरा बढ़ाकर अमीरों और ग़रीबों की आमदनी का फ़र्क़ कम किया जाएगा।

- शेयर बाज़ार की कमाई पर लगने वाले कैपिटल गेन्स टैक्स को भी बढ़ाया जाएगा।

- छोटे कारोबारए तकनीक और आधुनिक निर्माण जैसे क्षेत्रों में रोज़गार विकसित किए जाएंगे।

- बौद्धिक संपदा की सुरक्षा जैसे दूसरे व्यापारिक मुद्दों पर कड़े क़ानून बनेंगे।

- ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से अमेरिका में रह रहे अप्रवासियों का हिसाब लगाकर उन्हें क़ानूनी दस्तावेज़ और नागरिकता मुहैया कराई जाएगी।

- गर्भपात को लेकर किसी तरह का नया क़ानून नहीं बनाया जाएगा।

- कम आमदनी वाले परिवारों को बच्चे पालने में सरकारी मदद मिलेगी।

- जलवायु परिवर्तन के ख़तरे को देखते हुए तेल और गैस इंडस्ट्री में पर्यावरण के सख़्त नियम बनेंगे।

- एलजीबीटी समुदाय की रक्षा के लिए क़दम उठाए जाएंगे।

- हथियारों से संबंधित क़ानून कड़े किए जाएंगे और दूसरे संविधान संशोधन की समीक्षा होगी।

आगे की स्लाइड में जानिए हिलेरी की विदेश नीति

- दुनिया पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए अमेरिका अपने दखल का दायरा बढ़ाएगा।

- सीरिया में इस्लामिक स्टेट के ख़िलाफ़ युद्ध जारी रखा जाएगा।

- अफ़ग़ानिस्तान को सैन्य मदद मुहैया कराई जाएगी।

- इराक़ में ज़मीनी लड़ाई के लिए अमेरिका अपनी सेना कोभेजने में रुचि नहीं लेगा।

- अमरीका में सीरिया के सालाना शरणार्थियों की संख्या में इज़ाफ़ा किया जाएगा

- रूस के प्रति कठोर रुख़ बरकरार रहेगा।

- यूरोप में रूस से निपटने के लिए नैटो कोऔर मज़बूत बनाने की ओर तेज़ी से क़दम उठाए जाएंगे।

- चीन को रोकने के लिए एशिया में अमरीकी मौजूदगी की ओर ध्यान होगा।

- दक्षिण चीन सागर पर चीन में मानवाधिकारों के उल्लंघन परक़दम उठाए जाएंगे। इस मामले में हिलेरी दुनिया के सामने चीन को घेरेंगी।

- मैक्सिको के साथ एक व्यापक आव्रजन सुधार योजना बनेगी। इसमें वह सीमा सुरक्षा से जुड़े मामलों को भी शामिल होंगे।

 

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