एनआरसी विवाद: मौलाना मदनी बोले -असम के हिंदू-मुस्लिमों की लड़ाई लड़ेगी जमीयत

Update: 2018-07-31 05:35 GMT

सहारनपुर: अपने आपको भारतीय कहने वाले 40 लाख लोग राष्ट्रीय नागरिक रजिस्ट्रर में नाम दर्ज न होने के कारण नागरिक्ता के संकट में फंस गए हैं। नागरिक्ता के संकट में फंसे हिंदू-मुसलमानों को सहारा देते हुए जमीयत उलेमा ए हिंद ने उनकी लड़ाई लडऩे का एलान किया है। जमीयत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि देश की सर्वोच्च न्यायालय तक असम के 40 लाख लोगों की लड़ाई लड़ी जाएगी।

ये है पूरा मामला

राष्ट्रीय नागरिक लिस्ट (एनआरसी) में असम के 40 लाख लोगों के नाम नहीं चढ़ पाए हैं। इनमें हिंदू और मुसलमान दोनों ही शामिल हैं। एनआरसी में नाम न आने के कारण पसोपेश में मुबतला असम के लोगों को बहुत बड़ी राहत देते हुए जमीयत उलेमा ए हिंद ने उनकी लड़ाई कोर्ट में लडऩे का ऐलान किया है। जमीयत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि इन लाखों लोगों के लिए जमीयत उलेमा ए हिंद असम में जगह-जगह शिविर लगाकर उनके भारतीय नागरिक होने के सबूत जमा करेगी। जमीयत की नजर में कोई हिंदू या मुसलमान नहीं है वह एनआरसी में नाम न आने से वंचित सभी लोगों की हक की लड़ाई उच्चतम न्यायालय तक लडऩे का काम करेगी।

गृहमंत्री के बयान पर जाहिर की संतुष्टि

मौलाना मदनी ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के उस बयान पर संतुष्टि जाहिर की। जिसमें गृहमंत्री ने कहा था कि जो लोग फाइनल रजिस्टर में नाम लिखवाने से वंचित रह गए हैं वह अपनी नागरिकता के पुख्ता सबूत पेश कर नाम दर्ज करा सकते हैं।

शांति व्यवस्था बनाये रखने की अपील

मौलाना ने उन सभी लोगों से शांति व्यवस्था बनाए रखने का भी आहवान किया जिनके नाम एनआरसी में दर्ज होने से रह गए हैं। कहा कि मुल्क में अमनो-अमान रहेगा तो सभी दरवाजे खुले रहेंगे और आसानी से उनकी मदद की जा सकेगी।

 

 

 

 

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