तस्वीर का सच! क्या महारानी लक्ष्मीबाई की ये तस्वीर असली है आईये जानते हैं

माथे पर बिंदी लगाए और कानों में झुमके वाली रानी लक्ष्मीबाई की ये तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल है। अखबार की कतरन है। कहा जा रहा है कि इस तस्वीर को अंग्रेज फोटोग्राफर हॉफमैन ने खींची थी। ये भी लिखा गया कि भोपाल में हुई विश्व फोटोग्राफी प्रदर्शनी में भी इसे दिखाया गया।

Update:2019-11-24 16:33 IST

नई दिल्ली: जंग के मैदान में अंग्रेजो के दांत खट्टे कर देनें वाली महारानी लक्ष्मीबाई इस बार अपने इतिहास और वीरता को लेकर चर्चा में नहीं हैं बल्कि इस बार उनकी चर्चा सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीर को लेकर हो रही है। बता दें कि महारानी लक्ष्मीबाई को लेकर कंगना रनौत के किरदार वाली फिल्म मणिकर्णिका बनकर रिलीज हो चुकी है।

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इस तस्वीर को लेकर क्या है दावा?

बाल खोले, माथे पर बिंदी लगाए और कानों में झुमके वाली रानी लक्ष्मीबाई की ये तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल है। अखबार की कतरन है। कहा जा रहा है कि इस तस्वीर को अंग्रेज फोटोग्राफर हॉफमैन ने खींची थी। ये भी लिखा गया कि भोपाल में हुई विश्व फोटोग्राफी प्रदर्शनी में भी इसे दिखाया गया।

तस्वीर की सच्चाई क्या है

हमने पड़ताल शुरू की तो पता लगा कि रानी दिखती कैसी थीं? जॉन लैंग नाम के एक ऑस्ट्रेलियन पत्रकार थे, जो रानी लक्ष्मीबाई के वकील भी थे। वे ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ, रानी लक्ष्मीबाई की तरफ से कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे। ये कानून लड़ाई झांसी रियासत को ईस्ट इंडिया कंपनी से बचाने की थी।

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इसी सिलसिले में साल 1854 में उनकी छोटी सी मुलाकात रानी लक्ष्मी बाई से हुई। जिसका ज़िक्र उन्होंने अपनी किताब WANDERINGS IN INDIA के पेज नंबर 94 पर भी किया है।

इस किताब में रानी लक्ष्मीबाई की खूबसूरती का बखान लिखा है। जिसका छोटा सा हिस्सा यहां हम हिंदी में लिख रहे हैं-

“महारानी प्रभावशाली महिला थीं। औसत कद-काठी की थीं। शरीर स्वस्थ, ज्यादा मोटी नहीं. कम उम्र की सुंदर गोल चेहरे वाली महिला थीं। खासतौर पर आंखें सुंदर थीं और नाक की बनावट बहुत नाजुक थी। रंग बहुत गोरा नहीं, पर सांवले से दूर था। शरीर पर आभूषण के नाम पर मात्र कानों में ईयररिंग थी।”

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आईये जानते हैं कि इस पड़ताल का क्या निष्कर्ष निकला

वायरल हो रही ये तस्वीर, जॉन लैंग के बखान का हिस्सा है। जिसे किसी चित्रकार ने बनाया है। वैसे इस तस्वीर के झूठे होने के पीछे एक और तर्क है, इस फोटो को देखने के बाद कोई भी बता देगा कि तस्वीर में दिख रही महिला कैमरा फ्रेंडली दिख रही है। और ये फोटो भी काफी नए जमाने की लग रही है। जबकि इतिहास में रानी लक्ष्मीबाई के कभी भी इस तरह से फोटो खिंचवाने का कोई जिक्र नहीं मिलता है।

रानी सिंहासन पर बैठी हैं। मुकुट पहने हुई हैं, चेहरे पर एक अलग ही तरह का तेज है। इस तस्वीर को 1850 का बताया जाता है। और कई जगह पर इस बात का भी ज़िक्र है कि इस तस्वीर को भी हॉफमैन ने खींचा था। यहां तक की 10 मई 1910 को इस तस्वीर के साथ एक पोस्टकार्ड भी पब्लिश हुआ।

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इस तस्वीर की सच्चाई क्या है?

शॉर्ट में समझिये। रानी 1828 में जन्मीं। 1842 में उनकी शादी हुई। 1851 में बेटा हुआ, जो सिर्फ 4 महीने की उम्र में चल बसा। 1853 में पति गंगाधर राव भी चल बसे।

अब दावों और हॉफमैन की माने तो 1850 में ये तस्वीर खींची गई. लेकिन इतिहासकार जो लिख गए हैं। उसके मुताबिक़ लक्ष्मीबाई पहले ही बहुत सादा जीवन बिताती थीं, और राजा के मरने के बाद उन्हें झांसी की गद्दी 1853 में मिली थी। फिर 1850 में इस वेषभूषा में तस्वीर खिंचवाने का सवाल ही नहीं उठता।

अब सवाल यह उठता है कि ये तस्वीर किसकी है

इंटरनेट पर कई जगह ये लिखा मिलता है कि ये तस्वीर भोपाल की सुल्तान जहां बेगम की है. लेकिन ऑथेंटिक जानकारी नहीं मिलती। साथ ही ये तस्वीर जहां बेगम की दूसरी तस्वीरों से काफी अलग है, इसलिए इस तथ्य पर भी हमें भी शक है।

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अब अगला दावा

तलवार और ढाल के साथ वाली ये तस्वीर भी खूब वायरल होती है। लेकिन ये तस्वीर भी फेक है, नकली है। जिस तरह जॉन लैंग ने रानी लक्ष्मीबाई का वर्णन किया। उसके बाद कई चित्रकारों ने लक्ष्मीबाई की तस्वीर बनाई। ये तस्वीर भी उसी बखान का हिस्सा है।

इतिहास गवाह है कि फोटोग्राफी की शुरुआत 1839 में हुई थी। 1840 के बाद से जो ब्रिटिशर्स भारत घूमने आते, वो कैमरा साथ लाते थे। भारत में पहली बार 1854 में 200 मेंबर्स के साथ बॉम्बे फोटोग्राफी सोसायटी की शुरुआत हुई थी।

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