तबाही का विकराल रूप: बाढ़ की चपेट में आए यूपी के 14 जिले, जारी हुआ हाई अलर्ट
यूपी के 75 जिलों में से मौजूदा समय में 14 जिलें बाढ़ से प्रभावित है। प्रदेश के 14 जिलों, बाराबंकी, अयोध्या, कुशीनगर, गोरखपुर, लखीमपुर खीरी, बहराइच, आजमगढ़, गोण्डा, बस्ती, मऊ, संतकबीर नगर, सीतापुर, सिद्धार्थनगर तथा बलरामपुर के 455 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं।
लखनऊ। कोरोना संक्रमण के साथ ही यूपी में अब बाढ़ का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है। यूपी के 75 जिलों में से मौजूदा समय में 14 जिलें बाढ़ से प्रभावित है। प्रदेश के 14 जिलों, बाराबंकी, अयोध्या, कुशीनगर, गोरखपुर, लखीमपुर खीरी, बहराइच, आजमगढ़, गोण्डा, बस्ती, मऊ, संतकबीर नगर, सीतापुर, सिद्धार्थनगर तथा बलरामपुर के 455 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। हालांकि यूपी सरकार का कहना है कि फिलहाल बाढ़ को लेकर किसी तरह की चिंताजनक स्थिति नहीं है।
राप्ती के जलस्तर में लगातार उतार चढ़ाव बना हुआ
गोरखपुर में राप्ती के जलस्तर में लगातार उतार चढ़ाव बना हुआ है। कई दिनों से राप्ती का जलस्तर सुबह बढ़ जाता है और रात में कम हो जाता है। इससे तटबंधों में कटाव होने लगा है। राप्ती के जलस्तर में यह परिवर्तन इसकी सहायक नदियों बूढ़ी राप्ती और कुनरा नदी के कारण हो रहा है। राप्ती के ये तेवर बलरामपुर में भी दिखाई दे रहे है। यहां राप्ती का जलस्तर घट रहा है जिससे तेजी से कटान हो रहा है। बलरामपुर के कल्याणपुर गांव में तो राप्ती ने एक ही रात में करीब 50 मीटर कटान कर दिया, जिससे दो दर्जन से ज्यादा घर इसकी चपेट में आ गये। पानी के तेज बहाव के कारण बाढ़ से बचाव के सभी प्रयास नाकाम साबित हो रहे है।
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तीन गांवों के 27 टोले सरयू की बाढ़ से प्रभावित
देवरियां में भी राप्ती और सरयू कहर बरपाये हुए है। जिसके कारण तीन गांवों के 27 टोले सरयू की बाढ़ से प्रभावित है। यहां सरयू का जलस्तर खतरे के निशान से 1.22 मीटर ऊपर बह रही थी। जबकि राप्ती के जलस्तर में वृद्धि से करीब 52 गांवों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। सिद्धार्थनगर में राप्ती के बढ़ने से हुए जलभराव के कारण खेतों में पानी भर गया है और धान की फसल खेतों में ही गल रही हैं। कुशीनगर में नारायणी नदी भी लगातार उफान पर है।
घाघरा नदी ने भी कई जिलों में कहर बरपा रखा
इसी तरह घाघरा नदी ने भी कई जिलों में कहर बरपा रखा हैै। नेपाल से छोड़े गए 4.27 लाख क्यूसेक पानी के कारण घाघरा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। बहराइच की छह तहसीलों में से चार तहसील महसी, नानपारा, कैसरगंज और मोती पुर बाढ़ प्रभावित है। जबकि अम्बेडकर नगर में आलापुर व टांडा तहसील के गांवों में लोगों की मुसीबते बढ़ गई है। यहां घाघरा खतरे के निशान से 70 सेमी. ऊपर बह रही है। इसी तरह गोंडा में भी घाघरा खतरे के निशान से एक मीटर आठ सेंटीमीटर ऊपर बह रही हैै। घाघरा ने अब तटबंधों को तोड़ना भी शुरू कर दिया है। रविवार को भिखारीपुर-सकरीर तटबंध का दो मीटर हिस्सा नदी में समा गया।
आजमगढ़ में भी घाघरा के जलस्तर में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। सगडी तहसील में घाघरा अपना विकराल रूप धारण करती नजर आ रही है। जिससे करीब 80 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित है। अधिकारी महुआ-गढ़वाल बंधे को बचाने की कवायद कर रहे है। मऊ में भी घाघरा खतरे के निशान के ऊपर बह रही है। रविवार को यहां जलस्तर में प्रतिघंटा एक सेमी. की रफ्तार से वृद्धि दर्ज की गई। बताया जा रहा है कि अगर यह वृद्धि इसी तरह जारी रही तो मंगलवार तक नदी 1998 की बाढ़ का रिकार्ड भी तोड़ देगी।
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70 गांव की करीब 40 हजार की आबादी बाढ़ से प्रभावित
अयोध्या में भी नेपाल से छोड़े गए पानी के कारण सरयू का जलस्तर बढ़ गया है और रूदौली तहसील के आठ गांव बाढ़ के पानी से घिरे हुए है। सरयू नदी का जलस्तर बढ़ने का खामियाजा बाराबंकी को भी उठाना पड रहा है। यहां सरयू खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर बह रही है, जिससे यहां के 70 गांव की करीब 40 हजार की आबादी बाढ़ से प्रभावित है। सरयू नदी का भयावह रूप अब बस्ती में भी दिखने लगा है। यहां सरयू खतरे के निशान से 69 सेमी. ऊपर बह रही है। लगातार जलस्तर में वृद्धि से हरैया तहसील क्षेत्र के 20 गांव बाढ़ से प्रभावित है। संत कबीरनगर में भी सरयू खतरे के निशान से 55 सेमी. ऊपर बह रही थी। यहां भी सरयू तेजी से कटान कर रही है, जिससे लगातार बाढ़ का खतरा बना हुआ है।
सुहेली नदी का जलस्तर स्थिर बना हुआ
लखीमपुर में शारदा नदी का जलस्तर हालांकि अब कम हो रहा है लेकिन अभी भी यह खतरे के निशान से 48 सेमी. ऊपर बह रही है। जबकि सुहेली नदी का जलस्तर स्थिर बना हुआ है। ऐसे में फिलहाल बाढ़ का खतरा तो नहीं दिख रहा है लेकिन अभी भी कई गांवों इससे प्रभावित है और खेतों में जलभराव है। शारदा का कहर सीतापुर में भी देखने को मिल रहा है। यहां भी शारदा और घाघरा में जलस्तर में वृद्धि तो रूक गई है लेकिन अभी भी करीब 80 गांवों में जलभराव है। यहां के रेउसा और बेहटा के गांवों में शारदा तो रामपुर मथुरा के गावों में घाघरा का पानी भरा हुआ है।
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जनता को जागरूक किया जाए
इधर, मुख्यमंत्री ने बाढ प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ राहत कार्यों को प्रभावी ढंग से संचालित किए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि बाढ़ की आशंका वाले क्षेत्रों में जनता को बाढ़ से बचाव के सम्बन्ध में जागरूक किया जाए तथा लाउडस्पीकर और माइक से एलर्ट किया जाए। मुख्यमंत्री ने राज्य स्तर पर स्थापित एकीकृत आपदा नियन्त्रण केन्द्र का 24 घण्टे संचालन किए जाने तथा जिला स्तर पर स्थापित कन्ट्रोल रूम के माध्यम से बाढ़ की स्थिति की निरन्तर समीक्षा किए जाने के भी निर्देश दिए हैं।
जनपदों में 96 बाढ़ शरणालय स्थापित किए गये
प्रदेश सरकार द्वारा बाढ़ प्रभावित जनपदों में 96 बाढ़ शरणालय स्थापित किए गये हैं। अब तक कुल 23 हजार 150 फूड पैकेट तथा कुल 6 हजार 996 खाद्यान्न किट तथा 50 हजार 991 मीटर तिरपाल वितरित किया गया है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 653 बाढ़ चैकियां स्थापित की गयी हैं तथा बाढ़ से राहत और बचाव के लिए 835 नावें उपयोग में लाई जा रही हैं। अब तक कुल 23 पशु शिविर बनाए गये हैं। बीते 24 घण्टे में 975 पशुओं के टीकाकरण के साथ ही अब तक कुल 03 लाख 66 हजार 856 पशुओं का टीकाकरण किया गया है। बाढ़ प्रभावित जिलों में सर्च तथा रेस्क्यू के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ तथा पीएसी की कुल 16 टीमें लगाई गयी हैं। इसके अलावा, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 188 मेडिकल टीमें भी कार्य कर रही हैं।
रिपोर्ट- मनीष श्रीवास्तव, लखनऊ
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