जनता कर्फ्यू का एक साल, जानिए तब से लेकर अब तक क्या बदला
चीन के वुहाना से शुरू हुई वैश्विक महामारी कोरोना ने लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पाठ पढ़ाया। लोगों ने इसका पालन भी किया और आज भी कर रहे हैं। मास्क और सैनेटाइजर ने भी इस कोरोना काल में अपनी अलग जगह और पहचान बनाई।
औरैया। बीती 22 मार्च 2020 के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए एक दिन के जनता कफ्र्यू का ऐलान किया था। इसके बाद आया था लॉकडाउन, जो लंबे समय तक चला। इस कठिन समय ने लोगों को कड़े सबक भी दिए। एक बार फिर से कोरोना का खतरा मंडराने लगा है। लोगों ने इस वैश्विक महामारी से जो सबक सीखे थे वो उनसे किनारे करने लगे हैं, जो कि शुभ संकेत नहीं हैं।
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फिर से कोरोना का खतरा बढ़ने लगा
चीन के वुहाना से शुरू हुई वैश्विक महामारी कोरोना ने लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पाठ पढ़ाया। लोगों ने इसका पालन भी किया और आज भी कर रहे हैं। मास्क और सैनेटाइजर ने भी इस कोरोना काल में अपनी अलग जगह और पहचान बनाई।
लोग संक्रमण से बचने को लेकर मास्क लगाकर चलने लगे। सैनेटाइजर का भी जमकर प्रयोग किए जाने लगे। उतार-चढ़ाव से भरे इस कठिन समय ने लोगों की जीवनशैली को बदल दिया।
कोरोना काल में एक-एक दिन मुश्किल से काटने वालों को कोरोना वैक्सीन का इंतजार था। वैक्सीन आ चुकी है और जिले में टीकाकरण भी शुरू हो गया है। अभी वैक्सीन हेल्थ केयर, फ्रंट लाइन वर्कर्स के बाद 60 से ऊपर के बुजुर्गों और 45 से 59 साल के गंभीर मरीजों को दी जा रही है। लेकिन एक बार फिर से कोरोना का खतरा बढ़ने लगा है। लोग भी लापरवाह हो रहे हैं, जिसकी वजह से आने वाले दिनों में फिर से लॉकडाउन या कड़े नियम-कानून बन सकते हैं।
प्रतिदिन एक हजार से ज्यादा हो रही जांचें
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.अर्चना श्रीवास्तव ने बताया कि कोरोना संकट के बाद से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारी, मेडिकल स्टाफ दिनरात लगा रहा। जिले में कोविड-19 एल-वन, एल-टू हॉस्पिटलों का संचालन किया गया।
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एक लाख से ज्यादा लोगों की अब तक जांचें की जा चुकी हैं। जिसमें करीब 3567 में कोरोना की पुष्टि हुई। दुर्भाग्य से 46 लोगों की जानें भी चली गई। पाँच एक्टिव केस आज भी हैं। अभी भी प्रतिदिन लगभग एक हजार से अधिक लोगों की जांचें की जा रही हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग भी की जा रही है।
ढिलाई बरतना ठीक नहीं
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी और कोरोना महामारी के नोडल डॉ.शिशिर पुरी का कहना है कि कोरोना वायरस जब से अस्तित्व में आया है तब से लेकर अब तक उसके लिए कोई भी कारगर वैक्सीन नहीं है। सिर्फ इस वायरस से खुद को सुरक्षित रखने के लिए टीका ही एकमात्र विकल्प है। लोग कोरोना को लेकर फिर से लापरवाह हो रहे हैं, जो कि अच्छे संकेत नहीं है।
यही हाल रहा तो फिर से कड़े नियम-कानून लागू हो सकते हैं। साथ ही कहा कि कोरोना काल ने लोगों को काफी कुछ सिखाया है। लाइफ स्टाइल बदली है, लेकिन लोगों को अभी भी एहतियात बरतने की आवश्यकता है। आज फिर से सड़कों पर भीड़ है। लोग फिर से उसे ढर्रे पर लौट रहे हैं, ऐसा होता है तो दूसरी लहर से बचाव को लेकर लोगों को फिर से कड़े नियमों का सामना करना पड़ सकता है।
बूढ़े-बुजुर्गों का ख्याल रखें
घर के बूढ़े-बुजुर्गों का ख्याल रखे, यह किसी भी घर की रौनक होते हैं। जिंदगी-मौत तो ऊपर वाले के हाथ में है, लेकिन अचानक चलते-फिरते किसी का यूं चले जाना खल जाता है। कोरोना जैसी महामारी में हर किसी की जिम्मेदारी बन जाती हैं कि वो अपने घरों के बुजुर्गों का खास ख्याल रखें। अब तो टीका भी आ चुका है, इसलिए टीकाकरण में भी कराएं।
यह कहना ऐसे परिवारों का है, जिन्होंने कोरोना महामारी में अपनों को खो दिया। हालांकि ऐसे परिवार अपनी पहचान को उजागर नहीं करना चाहते। शहर के ही एक परिवार ने इस वैश्विक महामारी में अपनी मां को खो दिया।
उन्हें अफसोस है कि वो चाहकर भी आखिरी वक्त में उनकी खिदमत नहीं कर सके। कोरोना वार्ड में भर्ती के समय दूर से ही देखकर खुद को तसल्ली देते रहे, मगर एक दिन ऐसा भी आया जब मां की सांसें उखड़ गई। उस दिन को आज भी याद करते हैं तो दिल बैठ जाता है।
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रिपोर्ट- प्रवेश चतुर्वेदी