69000 शिक्षकों की भर्ती पर बड़ा फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये आदेश

उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले में एक नया मोड आ गया है। दरअसल, सप्रीम कोर्ट ने इस मामले में शिक्षामित्रों की अर्जी पर 37 हजार 339 पदों पर नियुक्ति को होल्ड करने का आदेश दिया है।

Update: 2020-06-09 08:22 GMT

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले में एक नया मोड आ गया है। दरअसल, सप्रीम कोर्ट ने इस मामले में शिक्षामित्रों की अर्जी पर 37 हजार 339 पदों पर नियुक्ति को होल्ड करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में उत्तर प्रदेश सरकार को 37 हजार 339 पदों को फिलहाल होल्ड करने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को दिए थे ये निर्देश

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की ओर से पिछली सुनवाई में यूपी की योगी सरकार से चार्ट के जरिए यह बताने को आरक्षित वर्ग के लिए तय 40 फीसदी और जनरल कैटेगरी के लिए तय 45 फीसदी के कटऑफ पर कितने शिक्षामित्र पास हुए हैं, इसका डाटा चार्ज देने को कहा था। लेकिन शिक्षामित्रों का कहना है कि लिखित परीक्षा के लिए कुल 45 हजार 357 उम्मीदवारों ने फॉर्म भरा था, जिसमें से 8018 शिक्षामित्र 60 से 65 प्रतिशत के साथ पास हुए हैं।

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37339 पद रिजर्व में रखकर बाकी पदों पर की जाए भर्ती

इस मामले में शिक्षामित्रों का यह भी कहना है कि इसमें ताज्जुब करने वाली बात ये है कि इस परीक्षा में कितने शिक्षामित्र 40-45 के कटऑफ पर पास हुए थे इसकी किसी को जानकारी ही नहीं है। इसलिए शिक्षामित्रों ने मांग की है कि 69000 पदों में से 37339 पद रिजर्व में रखकर बाकी पदों पर सहायक शिक्षक की भर्ती की जाए या फिर पूरी भर्ती प्रक्रिया को ही स्टे कर दिया जाए।

तीन जून को कोर्ट ने लगाया था स्टे

वहीं इस भर्ती पर तीन जून को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सुनवाई के बाद ही स्टे लगा दिया है। अब दस जून को इस मामले में हाईकोर्ट खंडपीठ अपना फैसला सुनाएगी। अगर इस मामले में पीठ भर्ती से स्टे हटा भी देती है तो भी 37 हजार 339 पदों को रोककर ही भर्ती की जाएगी।

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जानिए क्या है मामला

बता दें कि बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए अभ्यर्थियों ने 6 जनवरी 2019 को लिखित परीक्षा दी थी। शिक्षक भर्ती पद के लिए करीब चार लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा दिया था।

परीक्षा के बाद सरकार की तरफ से भर्ती का कटऑफ सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी के लिए 65 प्रतिशत व आरक्षित वर्ग के लिए 60 प्रतिशत की अनिवार्यता के साथ तय किया गया था। सरकार के इस आदेश को अभ्यार्थियों ने हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में चुनौती दी थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने शिक्षकों की भर्ती पर फैसला सुना दिया था, लेकिन इसके बाद फिर से रोक लग गई थी।

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