वीडियो के बाद अब सुल्तानपुर जेल से वायरल हुआ ये लेटर, ये है पूरा मामला

जेल में निरुद्ध बंदियों के ढाई पन्ने के वायरल पत्र ने जेल प्रशासन की नींद उड़ा कर रख दिया है। पत्र में बंदियों ने जेल प्रशासन द्वारा पहुंचाई जा रही यातनाओं का जिक्र किया है। साथ ही जेल अधीक्षक पर भी बंदियों ने गंभीर आरोप लगाए हैं।

Update:2019-06-20 15:37 IST

सुल्तानपुर: जेल में निरुद्ध बंदियों के ढाई पन्ने के वायरल पत्र ने जेल प्रशासन की नींद उड़ा कर रख दिया है। पत्र में बंदियों ने जेल प्रशासन द्वारा पहुंचाई जा रही यातनाओं का जिक्र किया है। साथ ही जेल अधीक्षक पर भी बंदियों ने गंभीर आरोप लगाए हैं।

बता दें कि दो दिन पूर्व जेल की बैरक नंबर तेरह का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें डीएम ने निरीक्षण कर शासन को रिपोर्ट भेजी थी। बताया जा रहा है कि जल्द ही कुछ अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।

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उल्लेखनीय है कि गुरुवार को सोशल मीडिया पर बंदियों द्वारा जो पत्र वायरल किया गया है उसका विषय है जेल अधीक्षक अमिता दुबे का नाम अच्छा है। इसके आगे दो अलग अलग पन्नों में दस, दस पंक्तियों में ये पत्र लिखा गया है। पंक्ति नंबर एक में खाने में गड़बड़ी के साथ, कच्ची रोटी का उल्लेख है। पंक्ति दो में बंदियों को मारे जाने का उल्लेख। पंक्ति नंबर तीन में जेल में कमाई की जांच पर उंगली उठाई गई है। पंक्ति चार में जेल के सिपाहियों द्वारा बंदियों को पीटने और गाली गलौज का जिक्र है।

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पंक्ति पांच में लिखा गया है कि पत्र वायरल होने से नेता मंत्री भी असलियत जानेगे। पत्र की पंक्ति छह में जेल के कुछ सिपाहियों के नाम लिखकर उनकी नीचता की बात लिखी गई है। सात वे नंबर पर जेल को संदिग्ध बताया गया है और जेलर को सुधरने की बात कही गई है। आठवें नंबर पर पैसे बंटवारे की बात तो नवे नंबर पर प्रदेश की कई जेलों के नाम का जिक्र करते हुए सुल्तानपुर जेल का नंबर बताया गया है। अंत में कुछ बंदियों राकेश यादव, राजन पासी, विशाल सिंह आदि का नाम लिखा है।

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ऐसे ही पत्र के दूसरे पन्ने पर बंदी की शिकायत पर उन्हें भेजने की बात, मुलाकात के नाम पर बीस रुपए लेने का जिक्र हुआ है। ये भी लिखा गया है के नियम बनाकर यहां अत्याचार हो रहा। बंदियों के जेल में मौत पर लिखा गया है के मनमर्जी और लूट के कारण बंदी जेल में फांसी लगाते हैं। खाने की सामग्रियां प्रिंट रेट से दो गुने रेट पर मिलती है। व्रत आदि पर भी यहां बंदियों से लूट की जा रही है। खाने में गिन कर रोटियां आदि मिलने से पेट खाली रहने का भी बंदियों ने जिक्र किया है। जेल मैनुअल के पालन का हवाला देकर दोपहर में भी पंखा बंद कर दिया जाता है।

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