लखनऊ : दुनिया में वायु प्रदूषण से समय पूर्व 28 प्रतिशत मौतें देश में होती हैं। ये मौतें एचआइवी, टीबी और मलेरिया से होनेवाली कुल मौतों से तीन गुना ज्यादा है। वैसे वायु प्रदूषण से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और होनेवाली मौतों के बारे में लोगों को कुछ हद तक जानकारी है, लेकिन सरकार के फोकस में अभी भी यह मुख्य एजेंडा नहीं है।
लैंसेट कमिशन की स्टडी में ये निष्कर्ष सामने आए हैं।
ये भी देखें : वायु प्रदूषण रोकने के लिए क्या किया जा रहा है, जवाब दें : UP सरकार से HC
सेंटर फॉर एन्वॉयरोंमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) की सीनियर प्रोग्राम आफिसर अंकिता के मुताबिक देश में खतरों व मौतों से संबंधित हेल्थ डाटा के उपलब्धता की समस्याएं हैं, ऐसे में वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए इस कमी से भी निबटने की जरूरत है। वायु प्रदूषण पर एक व्यापक स्वास्थ्य संबंधी अध्ययन को पूरा करने की जरूरत है। दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों के लिहाज से भारत का स्थान सबसे आगे है। यूपी के शहरों में खराब वायु गुणवत्ता के खतरों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, क्योंकि ये मौतों का बड़ा कारण बनते जा रहे हैं। अंकिता ने बताया कि भारत के शहरों में बढ़ते वायु प्रदूषण से समय पूर्व मौतों की संख्या और श्वास व हृदय संबंधी बीमारियां बढ़ने से पब्लिक हेल्थ संबंधी बड़ा संकट पैदा हो रहा है।
ये भी देखें : फैला रहे थे वायु प्रदूषण तो मिली सजा, पढ़कर आप भी रह जाएंगे हैरान