कुलदीप सिंह
अलीगढ़: नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर बवाल अब काफी कुछ शांत हो चुका है लेकिन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (अमुवि) में विरोध प्रदर्शन अब भी जारी है। मामले को गर्माए रखने की पुरजोर कोशिशें की जा रही हैं। एक होर जहां सीएए के विरोध में प्रदर्शन का सिलसिला जारी रखा जा रहा है तो वहीं गत 15 दिसम्बर को कैंपस में पुलिस की कार्रवाई के विरोध में अलग से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। बवाल के बाद से यूनिवर्सिटी बंद है, हॉस्टल खाली करा लिए गए हैं फिर भी करीब 40-50 छात्र-छात्राएं हर दिन बाब-ए-सैयद दरवाजे के पास स्लोगन लिखे पट्टिकाओं को लेकर बैठते हैं। छात्रों के मुताबिक ये प्रदर्शन विश्वविद्यालय के खुलने तक जनजागरण का काम करेगा।
छात्र गुटों के विरोध प्रदर्शन में शिक्षक और कर्मचारी भी समर्थन कर रहे हैं। टीचर्स स्टाफ एसोसिएशन (अमुटा), एम्पलाइज यूनियन व नॉन टीचिंग एम्पलाई यूनियन ने भी आन्दोलन का समर्थन करते हुऐ परिसर में कई पैदल मार्च आयोजित किये हैं। यही नहीं, अमुवि को-ऑर्डिनेट कमेटी और एमनेस्टी इन्टरनेशनल इण्डिया भी छात्रों के पक्ष में खड़े हो गये हैं। दोनों कमेटियों ने ‘छात्रों पर पुलिस हिंसा’ के साक्ष्य जुटाते हुए रिपोर्ट भी तैयार की है।
गौरतलब है कि पुलिस और छात्रों के बीच हुई हिंसा पर पुलिस की प्राथमिकी के चार दिन बाद आरएएफ की तरफ से भी एक रिपोर्ट दर्ज करवाई गई थी। अमुवि छात्र नेताओं और एम्पलाई यूनियन के अध्यक्ष प्रो0 रमेश रावत व सचिव शमीम अख्तर ने पुलिस की भूमिका पर कई सवाल खड़े किये हैं। अमुवि छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष सलमान इम्तियाज के मुताबिक छात्रावास -कमरों को सील कर दिया गया है जिससे कई सौ शोधार्थी छात्रों को आवास की मुसीबत झेलनी पड़ रही है। इम्तियाज ने कहा है कि सीएए और एनआरसी का शांतिपूर्ण विरोध जारी रहेगा। इस बीच वाईस चांसलर प्रो. तारिक मंसूर ने 15 दिसम्बर की घटना पर खेद जताते हुऐ एक पत्र जारी किया है और शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन पर आपत्ति नहीं जताई है।
यूनीवर्सिटी के जन संपर्क इंचार्ज शादे किदवई के अनुसार, प्रदर्शनकारी छात्रों ने 15 दिसम्बर को कोई क्षति पहुंचाई हो ऐसी कोई घटना घटित नहीं हुई है। इसी वजह से हमने किसी भी छात्र पर कानूनी या प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई र्यवाई नहीं की है।