आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल ने डिसेबिलिटी मामलों के निस्तारण में बनाया कीर्तिमान
लखनऊः आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल में डिसेबिलिटी केसेज के निस्तारण के लिए फरवरी और मार्च में चलाए गए अभियान में अभूतपूर्व सफलता हासिल करते हुए 62 फीसद मामलों का त्वरित निस्तारण किया गया। यह जानकारी रजिस्ट्रार एचजेएस केके श्रीवास्तव ने दी।
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रजिस्ट्रार श्री श्रीवास्तव ने बताया कि यह अभियान दो चरणों में 27 से 28 फरवरी और 26 मार्च से 29 मार्च के बीच में चलाया गया। इस दौरान कुल 214 मामलों में से 133 मामलों का निस्तारण किया गया। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि इस दरम्यानी अवधि में एक मामले का 15 दिन के भीतर, एक मामले का दायर होने के 60 दिन के भीतर और तीन अन्य मामलों का 60 से 90 दिन की अवधि के भीतर निस्तारण किया गया।
श्री श्रीवास्तव ने यह भी बताया कि एएफटी लखनऊ बेंच अपने गठन के बाद से लगातार सशस्त्र बलों के मामलों के निस्तारण में लगी हुई है। जिसमें सेवानिवृत्त सैनिकों की समस्याओं का हल दिया जा रहा है।
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क्या है एएफटी
25 दिसंबर, 2007 को भारत के राष्ट्रपति की सहमति के बाद, सशस्त्र बल ट्राइब्यूनल अधिनियम, 2007 और राजपत्र अधिसूचना संख्या एसआरओ 116 (ई) का प्रकाशन किया गया।सशस्त्र बल न्यायाधिकरण, क्षेत्रीय पीठ, लखनऊ का 7 नवंबर 2009 को उद्घाटन हुआ और 9 नवंबर 2009 से यह प्रभावी हुआ। क्षेत्रीय पीठ, लखनऊ का उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड राज्यों पर अधिकार क्षेत्र है। ट्रिब्यूनल के पास सेना, वायु सेना और नौसेना से संबंधित सेवा मामलों में मूल अधिकार क्षेत्र है और कोर्ट मार्शल मामलों में अपीलीय क्षेत्राधिकार है। इस बेंच के संस्थापक सदस्यों में जस्टिस जनार्दन सहाय (उस समय न्यायाधीश के पद पर थे), लेफ्टिनेंट जनरल बीएस सिसौदिया, न्यायाधीश एएन वर्मा, लेफ्टिनेंट जनरल आरके छाबड़ा और लेफ्टिनेंट जनरल पीआर गंगाधरन थे।