Atiq-Ashraf Criminal Cases: अतीक अहमद और अशरफ की क्राइम फाइल भी होगी दफन, जानें माफिया ब्रदर्स पर थे कितने मुकदमे

Atiq-Ashraf Criminal Cases: दोनों के ऊपर डेढ सौ से अधिक मुकदमे दर्ज थे। अब यूपी पुलिस ने इन मुकदमों को खत्म करने की कवायद में जुट गई है। माफिया ब्रदर्स के खिलाफ दर्ज मुकदमों की फाइल्स को अब हमेशा के लिए बंद कर दिया जाएगा।

Update: 2023-05-07 11:39 GMT
Atiq Ashraf (File Photo)

Atiq-Ashraf Criminal Cases: प्रयागराज के एक मोहल्ले से समूचे यूपी और आसपास के राज्यों में काले कारनामों को अंजाम देने वाले माफिया अतीक अहमद अब इतिहास के पन्नों में दफन हो चुका है। भाई के नक्शेकदम पर चलकर माफियागिरी करने वाले अशरफ का भी वही हश्र हुआ। दोनों के ऊपर डेढ सौ से अधिक मुकदमे दर्ज थे। अब यूपी पुलिस ने इन मुकदमों को खत्म करने की कवायद में जुट गई है। माफिया ब्रदर्स के खिलाफ दर्ज मुकदमों की फाइल्स को अब हमेशा के लिए बंद कर दिया जाएगा।

यूपी पुलिस का मानना है कि अतीक और अशरफ की मृत्यु के बाद उनके ऊपर दर्ज मुकदमों को जारी रखने का कोई मतलब नहीं रह गया है। ऐसे में विवेचकों की ओर से दोनों भाईयों के मृत्युप्रमाण पत्र को अदालत में पेश कर मुकदमों को बंद करने की मांग की जाएगी। हालांकि, अतीक और अशरफ के साथ मिलकर अपराध को अंजाम देने वाले अन्य जीवित अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी। उनके ऊपर दर्ज मुकदमों को वापस नहीं लिया जाएगा।

माफिया ब्रदर्स पर थे कितने मुकदमे ?

पिछले 4 दशक से अधिक समय से पूर्वांचल में खौफ के पर्याय रहे माफिया अतीक अहमद सिर से पैर तक मुकदमों में डुबा था। मायावती सरकार के दौरान तो उसके खिलाफ एक दिन में है 100 से अधिक मुकदमे कायम हो गए थे। उसका छोटा भाई अशरफ अहमद भी कम कुख्यात नहीं था। दोनों भाई अक्सर मिलकर बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया करते थे।

प्रयागराज पुलिस के मुताबिक, अतीक अहमद पर कुल 104 मुकदमे दर्ज हैं। उसके भाई अशरफ पर 54 मुकदमे चल रहे हैं। कुछ मुकदमों में अंतिम रिपोर्ट लग चुकी है, कई मामलों में विवेचना अब भी जारी है। वहीं, करीब 50 मामले अब भी अदालत के समक्ष विचाराधीन हैं। इतने लंबे समय से जरायम की दुनिया में सक्रिय रहने के बावजूद उसे इस साल मार्च में पहली बार कोर्ट द्वार किसी मामले में दोषी ठहराया गया था। अपने खौफ और आतंक का इस्तेमाल कर दोनों कुख्यात भाई लोकतंत्र के मंदिर संसद और विधानसभा में भी प्रवेश करने में सफल रहे।

15 अप्रैल को हुई थी हत्या

साबरमती जेल में बंद अतीक अहमद और बरेली जेल में बंद अशरफ को उमेश पाल हत्याकांड को लेकर पूछताछ के सिलसिले में प्रयागराज लाया गया था। 15 अप्रैल की रात पुलिस अभिरक्षा में होने के बावजूद शहर के कॉल्विन अस्पताल के बाहर मीडियाकर्मियों के सामने तीन हमलावरों ने दोनों भाईयों को मौत के घाट उतार दिया था। यूपी सरकार ने इस घटना की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया है। आयोग के सदस्यों ने माफिया भाईयों की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों के बयान शनिवार को दर्ज किए। टीम ने धूमनगंज थाने और कॉल्विन अस्पताल के परिसर का भी मुआयना किया। इस दौरान डॉक्टरों के भी बयान लिए गए।

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