जरूरत मंदों तक ऐसे खाना पहुंचा रहा प्राधिकरण, रोज तैयार हो रहा 1 लाख से ज्यादा पैकेट

लॉकडाउन की सबसे बड़ी मार गरीब, दिहाड़ी मजदूरों, बेसहारा व्यक्तियों पर पड़ी है। जिनको दो समय का भोजन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी प्राधिकरण ने उठाई है।

Update: 2020-05-10 15:21 GMT

नोएडा: लॉकडाउन की सबसे बड़ी मार गरीब, दिहाड़ी मजदूरों, बेसहारा व्यक्तियों पर पड़ी है। जिनको दो समय का भोजन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी प्राधिकरण ने उठाई है। कोई व्यक्ति भूखा न सोये इसके लिए प्राधिकरण पब्लिक प्राइवेट पाटर्नरशिप (पीपीपी) मॉडल पर काम कर रहा है।

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योजना के तहत शहर में प्रतिदिन 41 सोसायटियों/ सेक्टर से 46 हजार 251 रोटियां बनकर प्राधिकरण के कम्यूनिटी किचन तक पहुंचती है। इन रोटियों के साथ सब्जी व चावल प्राधिकरण की कम्यूनिटी किचन में बनते है। इसके बाद पैकेट तैयार होता है और यह भोजन लोगों की भूख मिटाता है।

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लॉकडाउन से लेकर अब तक यह मॉडल लगातार इसी तरह का काम कर रहा है। इसमे प्रत्येक सोसायटी व सेक्टर से रोटी लाने के लिए भी प्राधिकरण की टीम काम कर रही है। बता दें प्राधिकरण की पांच कम्यूनिटी किचन है। इसमे प्रत्येक दिन 1 लाख 6 हजार 579 लोगों का भोजन तैयार होता है।

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इसमे लंच व डिनर दोनों शामिल है। यह पैकेटों में ट्रांसपोर्ट के जरिए मजदूर, गरीब व जरूरत मंद लोगों तक पहुंचता है। ताकि शहर में कोई भी व्यक्ति भूखा न सोय।

रिपोर्ट: दीपांकर जैन

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